ततारपुर में रावण के पुतला बनाने वाले कारोबार को नहीं हो रहा हैं पहले जैसा फायदादशहरा को महज कुछ ही दिन रहा गए हैं. उस दिन रावण दहन किया जाता है. जिसकी तैयारियां अभी से चल रही हैं. वहीं दिल्ली के सबसे बड़े रावण के पुतले का बाजार ततारपुर माना जाता है. यहां दिन-रात कारीगर इन पुतलों को बनाने में जुटे हुए हैं. लेकिन चालीस साल से भी अधिक समय से इस व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि महंगाई की मार और बम पटाखों पर प्रतिबंध ने उनके कारोबार को चौपट कर दिया है. इससे काम प्रभावित हुआ है. कई दशकों से जुड़े कारीगरों का कहना है कि अब इस काम में एक तो महंगाई की वजह से और दूसरा बम पटाखों पर रोक की वजह से बहुत दिक्कत आई है. काम काफी कम हो गया है, जबकि पहले तो ऐसे मजमा लगता था कि लोग दूर-दूर से यहां देखने आते थे और पटाखे भी खरीदते थे.
कारीगरों का कहना है कि यहां बने पुतने देश के कई हिस्सों में जाते थे. उससे अच्छा पैसा मिलता था, लेकिन अब हालात बदल गए हैं. कारीगर सरकार पर गुस्सा निकलते हुए कहते हैं कि एक दिन सिर्फ 1 घंटे पटाखे पर छूट देने से आखिर कितना प्रदूषण बढ़ जाएगा, क्योंकि दिल्ली तो हमेशा ही प्रदूषित रहती है, इसलिए उन्होंने हाई कोर्ट के साथ-साथ दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार से गुहार लगाई है कि एक घंटे भर ही सही पटाखे पर रोक हटाई जाए. क्योंकि इस कारोबार से हजारों परिवार जुड़े हुए हैं ऐसे में काम प्रभावित होने से सबकी रोजी-रोटी पर फर्क पड़ रहा है.
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यहां बनने वाले पुतलों की ऊंचाई 5 फुट से लेकर 50 फीट तक की होती है. हालांकि इस कारोबार से सालों से जुड़े कारोबारी का कहना है कि मांग के अनुसार वह 50 फुट से अधिक 100 फीट तक का रावण भी तैयार करते हैं. जिसकी कीमत भी उसी हिसाब से बढ़ती है. खास बात यह है कि इन रावण के पुतलों को बनाने में जिस बांस का इस्तेमाल होता है जसे असम से मंगाया जाता है. वहीं इन पुतलों को बनाने में जिस कागज का इस्तेमाल किया जाता है उसे खासतौर पर जापान से मंगवाया जाता है.
चार दशक से रावण का पुतला बनाने का काम कर रहे एक कारीगर का कहना है कि अब इस काम में कोई मुनाफा नहीं रह गया है. इस काम को करने वाले कारीगर बिहार, यूपी और हरियाणा सहित कई राज्यों से आते हैं. यहां बनने वाले पुतले दिल्ली सहित कई राज्यों में जाते हैं. जिसके लिए पहले से डिमांड आती थी. लेकिन अब पहले जैसी मांग नहीं है.
कारोबारी सतपाल ने कहा, पुतलों को तैयार करने के लिए बांस असम से मंगाया जाता है जो पिछले साल के मुकाबले और महंगा हो गया. जबकि कागज जापान से मंगाते हैं वह भी महंगा हो गया है. लेकिन इसमें प्रॉफिट अब पहले के हिसाब से नहीं रह गया है. पटाखों पर रोक से भी काम प्रभावित हुआ है. रावण का पुतला बनाने वाले महेंद्र कहते हैं कि महंगाई बहुत बढ़ गई है. ऊपर से सरकार ने पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया.
जिसकी वजह से काम एकदम ही खत्म हो रहा है. हम दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के साथ-साथ कोर्ट से गुहार लगा रहे हैं कि कम से कम 1 घंटे पटाखे जलाने की छूट तो दी जाए. जिससे रावण को भी मुक्ति मिले. बिना पटाखे रावण को भी मुक्ति नहीं मिलती. इसी दशहरा और दिवाली के त्यौहारों पर हम छोटे कारीगरों का घर चलता है. (रिपोर्ट/ मनोरंजन कुमार)
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