भारत को कृषि का देश कहा जाता है. कृषि का मतलब सिर्फ खेती ही नहीं बल्कि इसमें पशुपालन, पक्षी पालन और अन्य तरह के काम भी शामिल हैं. जिससे किसानों को अलग-अलग तरह से लाभ मिल सकता है. अगर ऐसे किसानों की बात करें तो पशुपालन करके अपना जीवनयापन करते हैं तो उनके लिए यह एक सुनहरा मौका सामने आया है. आपको बता दें कि विदेशों में जैविक खेती का चलन बढ़ रहा है. खासकर अगर अरब देशों की बात करें तो यहां खजूर की खेती के लिए गोबर की मांग बढ़ रही है.
ऐसे में वे इस मांग को पूरा करने के लिए भारत से बड़ी मात्रा में गोबर खरीद रहे हैं. इतना ही नहीं वे इसके लिए ज्यादा पैसे भी दे रहे हैं. इसलिए अब इसे Brown Gold भी कहा जाने लगा है. तो आइए जानते हैं कि किसान इसे कैसे बेचकर पैसे कमा सकते हैं.
आजकल गोबर को सिर्फ खाद या कंडे बनाने तक ही सीमित नहीं देखा जा रहा, बल्कि इसे अब "ब्राउन गोल्ड" कहा जाने लगा है. इसका कारण है कि गोबर की अब विदेशों में बहुत ज्यादा मांग बढ़ गई है. खासकर अरब देशों में, जहां ऑर्गेनिक खेती तेजी से बढ़ रही है, वहां भारतीय गोबर की भारी डिमांड हो रही है.
विदेशों में, खासकर मिडिल ईस्ट के देशों जैसे दुबई, सऊदी अरब, ओमान आदि में डेट्स (खजूर) की खेती के लिए ऑर्गेनिक खाद की जरूरत होती है. रासायनिक खाद की जगह वे अब देशी गोबर का उपयोग करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. भारत का गोबर प्राकृतिक और पौष्टिकता से भरपूर माना जाता है, इसलिए इसकी बड़ी मात्रा में मांग की जा रही है.
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जहां पहले गोबर को गांवों में मुफ्त में दिया जाता था या खेतों में फैला दिया जाता था, अब वही गोबर विदेशों को बेचा जा रहा है. भारत में गोबर की कीमत जहां 2 से 3 रुपये प्रति किलो होती है, वहीं विदेशों में यह 40 से 50 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है. यह किसानों के लिए एक नई आमदनी का जरिया बन गया है.
अब कई गौशालाएं और डेयरी फार्म गोबर को पैक करके कंपनियों या एक्सपोर्ट हाउस को बेच रहे हैं. कुछ राज्य सरकारें भी इसमें किसानों की मदद कर रही हैं और गोबर के व्यापार को संगठित रूप देने के लिए योजना बना रही हैं. इससे किसानों को अतिरिक्त आय, गोबर के बेहतर दाम, रोजगार के नए अवसर और पशुपालन को बढ़ावा मिल रहा है.
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अगर आप किसान हैं और आपके पास गाय, भैंस या अन्य पालतू जानवर हैं, तो आप भी इस व्यापार में शामिल हो सकते हैं:
गोबर जिसे पहले एक बेकार चीज माना जाता था, आज वह "ब्राउन गोल्ड" बन चुका है. इससे ना केवल किसान को अतिरिक्त आमदनी मिल रही है बल्कि भारत अब ऑर्गेनिक खेती में योगदान देने वाला प्रमुख देश भी बन रहा है. ऐसे में यह समय है कि किसान गोबर को केवल खाद नहीं, बल्कि कमाई का साधन समझें और इसका अधिक से अधिक उपयोग करें.
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