राजस्थान सरकार ने कृषि और पशुपालन-चिकित्सा शिक्षा से जुड़ा एक बड़ा कदम उठाया है. पूर्वी राजस्थान के दौसा जिले में लालसोट में नया पशु चिकित्सा (वेटनरी) कॉलेज खोला जाएगा. मुख्यमंत्री ने इसके लिए अपने स्तर की स्वीकृति दे दी है. यह कॉलेज राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर के कॉलेज के रूप में काम करेगा. कॉलेज में पहले साल के लिए 80 सीटें बनाई गई हैं. यानि फर्स्ट ईयर में 80 स्टूडेंट्स का एडमिशन यहां किया जाएगा.
सरकार से स्वीकृति मिलने के बाद कॉलेज की नई बिल्डिंग के लिए जगह तलाशी जा रही है. नए कैंपस के लिए बिल्डिंग का निर्माण पूरा होने तक कॉलेज अन्य राजकीय बिल्डिंग या किराये के भवन से चलाया जाएगा. इसके अलावा लालसोट क्षेत्र में पशु चिकित्सा कॉलेज खुलने से यहां के पशुपालकों को भी काफी राहत मिलेगी. पशुओं की बीमारियों से संबंधित कई तरह के रिसर्च कॉलेज में होंगे और इसका फायदा किसानों और पशुपालकों को ही मिलेगा.
कॉलेज में पढ़ाने के लिए सरकार ने 19 नए पदों का सृजन किया है. इसमें डीन का एक, प्रोफेसर के पांच, एसोसिएट प्रोफेसर के चार, असिस्टेंट प्रोफेसर के 19 पद, सहायक पुस्तकालाध्यक्ष, निजी सहायक, जूनियर अकाउंटेंट, क्लर्क ग्रेड-2 के एक-एक तथा लैब असिस्टेंट के तीन पदों सहित चार अन्य पद सृजित किए गए हैं. महाविद्यालय में नियमित कर्मचारियों के आने तक पढ़ाई के लिए गेस्ट फैकल्टी/अर्जेंट टेम्पेररी बेसिस पर तथा अशैक्षणिक पदों को सेवानिवृत कार्मिक/आउट सोर्सिंग से भरा जाएगा.
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बता दें कि इस सरकार के कार्यकाल में कृषि और पशुपालन से संबंधित 40 से अधिक कॉलेज खोले गए हैं. अब प्रदेश में कुल 49 कृषि महाविद्यालय हैं. साथ ही कई पशु चिकित्सा महाविद्यालय भी संचालित हो रहे हैं.
लालसोट में पशु चिकित्सा महाविद्यालय खोलने के अलावा राज्य सरकार ने किसानों के हित में एक और निर्णय लिया है. इसके अनुसार बीकानेर, हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिलों में पक्के नहरी खालों का निर्माण और क्षतिग्रस्त का जीर्णोंद्धार कराया जाएगा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तीनों जिलों में कार्यों के लिए 162.95 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है.
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इस स्वीकृति के तहत हनुमानगढ़ के भादरा स्थित अमरसिंह ब्रांच, सिद्धमुख नहर व नोहर फीडर क्षेत्र और श्रीगंगानगर के सूरतगढ़ में पुराने क्षतिग्रस्त खालों निर्माण में 112.95 करोड़ रुपए की लागत आएगी. बीकानेर के नहरी खालों की मरम्मत में 50 करोड़ रुपए व्यय होंगे. इससे जलधाराएं एवं भूमिगत नालियों का कार्य शीघ्र हो सकेगा. इससे पानी की बचत होने से खेतों को अधिक पानी मिलेगा. बता दें कि मुख्यमंत्री गहलोत ने वर्ष 2023-24 के बजट में सिंचाई परियोजना के मरम्मत कार्य को लेकर घोषणा की थी.
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