अगस्त के पहले पखवाड़े (15 दिन) में कम बारिश के बाद पिछले दस दिनों में मानसून की बारिश में वृद्धि देखने को मिली है. इससे ये बारिश जून-सितंबर सीजन के लिए 'सामान्य' सीमा के 104% तक या संचयी वर्षा दीर्घावधि औसत (LPA) के बेंचमार्क तक पहुंच गई. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, 1 जून से 24 अगस्त के बीच 674 mm बारिश हुई, जो एलपीए या 'सामान्य' सीमा से 103.6% अधिक है. यानी कि अगस्त की शुरुआत में जो बारिश हल्की पड़ती दिख रही थी, वह अगस्त खत्म होते-होते 'सामान्य' सीमा से बहुत ज्यादा हो गई.
बता दें कि जून-जुलाई के दौरान, संचयी वर्षा एलपीए की 106% थी, जिसे 'सामान्य से अधिक' के रूप में देखा गया है. इस मौसम में 738 जिलों में से 175 जिलों में कम वर्षा दर्ज की गई है, जो मुख्य रूप से असम (26), उत्तर प्रदेश (25), बिहार (23), तमिलनाडु (11), अरुणाचल प्रदेश (6) और मेघालय (6) में केंद्रित है. बाकी के 538 जिलों में 1 जून से 17 अगस्त के बीच 'सामान्य' से लेकर 'अधिक' वर्षा हुई है.
आईएमडी ने कहा कि अगले एक सप्ताह में गुजरात, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में भारी से बहुत भारी वर्षा जारी रहने की संभावना है. गौरतलब है कि IMD एलपीए के 96-104 प्रतिशत के बीच की वर्षा को 'सामान्य', 90-95% को 'सामान्य से कम' और 90% से नीचे की बारिश को 'कम' मानता है. 105 से 110 प्रतिशत के बीच की वर्षा को 'सामान्य से अधिक' माना जाता है. बता दें कि एलपीए यानी दीर्घावधि औसत 1971-2020 का औसत 87 सेमी है.
हालांकि पहले से ही जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान सहित उत्तरी राज्यों के कुछ हिस्सों में मध्यम से भारी बारिश जारी है, जिससे कई निचले इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई और सड़कों, पुलों और अन्य चीजों को नुकसान पहुंचा है. जम्मू में रविवार सुबह 8.30 बजे तक पिछले 24 घंटों में 190.4 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो इस महीने में सदी की दूसरी सबसे ज़्यादा बारिश है. अगस्त में सबसे ज़्यादा बारिश 228.6 मिमी रही, जो 5 अगस्त, 1926 को दर्ज की गई थी, जबकि इससे पहले दूसरी सबसे ज़्यादा बारिश 11 अगस्त, 2022 को 189.6 मिमी हुई थी.
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