किसानों के लिए इस वक्त सबसे बड़ी समस्या नकली खाद और खेत में डाली जाने वाली नकली दवाएं बनी हुई हैं. इसी गंभीर मुद्दे को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को कहा कि किसानों के लिए कीटनाशकों और उर्वरकों की गुणवत्ता की जांच के लिए एक डिवाइस का आविष्कार किया जाना चाहिए. गौरतलब है कि वर्तमान खरीफ सीजन में लगभग हर एक राज्य में नकली खाद और कीटनाशकों से किसान बहुत परेशान हैं और उनकी फसल का नुकसान हो रहा है. प्रशासन नकली कृषि उत्पादों के खिलाफ एक्शन भी ले रहा है.
भोपाल में भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (IISER) के 12वें दीक्षांत समारोह में बोलते हुए चौहान ने कहा कि कीटनाशकों और उर्वरकों की जांच के लिए किसानों के पास एक टेस्टिंग सुविधा की जरूरत है. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दीक्षांत समारोह में स्नातकों को संबोधित करते हुए कहा, "मैं नकली कीटनाशकों और खाद का उपयोग होने पर उन्हें पकड़ने का काम कर रहा हूं." उन्होंने उनसे एक ऐसे उपकरण का आविष्कार करने का आग्रह किया जो कीटनाशकों और उर्वरकों की क्वालिटी की जांच कर सके और नकली कीटनाशकों की पहचान कर सके.
शिवराज ने कहा कि कृषि मंत्री बनने के बाद उन्हें पता चला कि कृषि उपज बढ़ाने के दावे के नाम पर 30,000 जैव-उत्तेजक दवाएं बेची जा रही थीं. उन्होंने कहा कि मैंने उनके दावे का वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर परीक्षण करवाने के बारे में सोचा. मैंने उनकी बिक्री के लिए एक तय प्रोटोकॉल अपनाया. कंपनियों ने एक साल का समय मांगा और कहा कि अगर सभी दवाइयां बंद कर दी गईं, तो किसानों का क्या होगा? इसके बाद उन्होंने एक साल का समय मांगा, लेकिन उन्हें सिर्फ़ तीन महीने का समय दिया गया. मैं चाहता था कि इस दावे का परीक्षण भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान या प्रतिष्ठित कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों द्वारा किया जाए.
शिवराज सिंह ने बताया कि इस जांच के लिए 22,000 कंपनियों ने अपने उत्पाद परीक्षण के लिए नहीं दिए. उन्होंने कहा कि बाद में परीक्षणों से यह सिद्ध हुआ कि केवल 642 उत्पादों से ही कृषि उपज में वृद्धि हुई. उन्होंने छात्रों से भारत में ही रहने और देश को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने में मदद करने का आह्वान किया. चौहान ने खेती को लाभदायक बनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि देश में भूमि जोत पश्चिमी देशों की तुलना में छोटी है, जहां कृषि भूमि बहुत बड़ी है. उन्होंने कहा कि हमारे छोटे किसानों के पास औसतन एक से दो एकड़ ज़मीन है. हमें उनकी आय बढ़ाने के लिए मत्स्य पालन और मुर्गी पालन जैसी एकीकृत खेती को बढ़ावा देना होगा.
(सोर्स- PTI)
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