भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां पर 75 प्रतिशत से अधिक आबादी की आजीविक कृषि पर ही निर्भर है. इनमें किसान के साथ- साथ कृषि मजदूर भी शामिल हैं. कृषि मजदूरों को रोज काम के बदले दिहाड़ी मिलती है. खास बात यह है कि देश के सभी राज्यों में कृषि श्रमिकों की मजदूरी एक जैसी नहीं है. केरल में सबसे अधिक कृषि मजदूरों को दिहाड़ी मिलती है. यहां पर खेत में काम करने वाले कृषि मजदूरों को रोज 700 रुपये से भी अधिक मिलते हैं, जो राष्ट्रीय औसत से भी अधिक है.
भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की हैंडबुक ऑफ स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, फाइनेंसियल ईयर 31 मार्च 2023 तक ग्रामीण भारत में एक पुरुष की रोज की औसत कमाई 345.70 रुपये थी. लेकिन केरल में कृषि मजदूरों की रोज की इनकम राष्ट्रीय औसत के दोगुने से भी अधिक है. यहां पर एक कृषि मजदूर को रोज 764.3 रुपये मिलते हैं. खास बात यह है कि कृषि मजदूरों को दिहाड़ी देने में मध्य प्रदेश सबसे पीछे है. यहां पर कृषि मजदूर रोज 229.2 रुपये ही कमाई कर पाते हैं. वहीं, बिहार में कृषि मजदूरों को रोज 308.7 रुपये की दिहाड़ी मजदूरी मिलती है.
पिछले 9 साल के दौरान अगर फाइनेंशियल ईयर 2021 और 2018 को छोड़ दिया जाए, मध्य प्रदेश में 7 वर्षों के दौरान कृषि मजदूरों को सबसे कम मजदूरी दी गई. इसी तरह इन दो वित्तीय वर्षों में, गुजरात में भी देश में सबसे कम कृषि मजदूरी का भुगतान किया गया. खास बात यह है कि फाइनेंसियल ईयर 2023 में मध्य प्रदेश के बाद गुजरात में सबसे कम कृषि मजदूरों को दिहाड़ी दी गई. यहां पर मजदूरों को रोज 241.9 रुपये की दिहाड़ी दी गई. ऐसे में यह दिहाड़ी राष्ट्रीय औसत से 30 फीसदी कम है.
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केरल के बाद कृषि श्रमिकों को सबसे अधिक मजदूरी देने वाला राज्य हिमाचल प्रदेश है. यहां पर कृषि मजदूरों की दैनिक कमाई 473.3 रुपये रही. हालांकि, इसके बावजूद भी हिमाचल प्रदेश में मजदूरों की इनकम केरल के मुकाबले 291 रुपये कम है. हिमाचल प्रदेश के बाद तमिलनाडु का स्थान आता है. यहां पर कृषि मजदूरों को रोज 470 रुपये दिए गए. इसी तरह हरियाणा और पंजाब में मजदूरों की दिहाड़ी क्रमश: 424.8 रुपये और 393.3 रुपये है.
वहीं, वित्त वर्ष 2013 के लिए राज्यों में महिलाओं के लिए कृषि मजदूरी अभी तक जारी नहीं की गई है. हालांकि, पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने कम कमाई की है. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2011 में, भारत में एक महिला कृषि मजदूर को पुरुष मजदूर के मुकाबले मजदूरी 88 रुपये कम मिलते थे. खास बात यह है कि कोरोना काल के बाद महाराष्ट्र में कृषि मजदूरों की दिहाड़ी में गजब की बढ़ोतरी हुई. वित्त वर्ष 2020 के दौरान महाराष्ट्र में पुरुष कृषि मजदूरों की दिहाड़ी 231.8 रुपये थी, जो वित्त वर्ष 2023 में बढ़कर 303.5 रुपये हो गई. यह अपने आप में 31 प्रतिशत की बढ़ोतरी है. हालांकि, महाराष्ट्र अभी भी कृषि श्रमिकों को सबसे कम वेतन देने वाले निचले पांच राज्यों में शामिल है.
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इसी तरह कर्नाटक में भी कृषि मजदूरों की दैनिक मजदूरी में इजाफा हुआ है. यहां पर फाइनेंशियल ईयर 2020 में कृषि मजदूरों को रोज मजदूरी में 292 रुपये मिलते थे, जो अब बढ़कर 379.5 रुपये हो गए हैं. यानी कि इनकी कमाई में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. वहीं, आंध्र प्रदेश में साल 2020 के दौरान कृषि मजदूरों को रोज 302.6 रुपये की मजदूरी मिलती थी, जो अब बढ़ कर 384.4 रुपये हो गई है. यानी आंध्र प्रदेश में कृषि मजदूरों की मजदूरी में 27.03 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. दूसरी ओर, वर्षों से सबसे अधिक भुगतानकर्ता होने के बावजूद, केरल में कृषि मजदूरी FY20 और FY23 के बीच केवल 9 प्रतिशत ही बढ़ी. इसके बाद भी यह देश में कृषि मजदूरों को सबसे अधिक देहाड़ी देने वाला राज्य है.
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