शकरकंद एक प्राकृतिक रूप से मीठी जड़ वाला फल है. सर्दियों की दस्तक के साथ ही मार्केट में शकरकंद मिलना शुरू हो जाता है. कई लोग इसे उपवास में खाना पसंद करते हैं क्योंकि इसे ताकत और पोषण तो मिलता ही है, लंबे समय तक भूख भी नहीं लगती है. इतनी सारी खूबियों की वजह से ही शकरकंद को सुपरफूड भी कहा जाता है. आलू की तरह दिखने वाले शकरकंद का स्वाद भारत के अलावा आज पूरी दुनिया को भा रहा है. ऐसे में ये जानना लाजमी हो जाता है कि आखिर शकरकंद के क्या फायदे हैं और इसकी अच्छी किस्में कौन सी हैं? ये बातें जानना जरूरी है क्योंकि कमाई के लिहाज से भी शकरकंद किसानों के लिए लाभकारी है.
बाजारों में उपलब्ध कई सब्जियों में से शकरकंद को सबसे अधिक पौष्टिक माना जाता है. शकरकंद नारंगी या कभी-कभी बैंगनी गूदे वाले खनिज और ए, बी और सी विटामिन से भरपूर होते हैं. इसके कारण शकरकंद को सुपरफूड कहा जाता है.
ये भी पढ़ें:- Online Seeds: अब 4 किलो के पैक में मिल रहा मक्का का ये उन्नत बीज, ऑनलाइन ऑर्डर कर घर मंगवाएं
दरअसल शकरकंद में कई ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जिनसे आपका शरीर स्वस्थ रहेगा. शकरकंद में विटामिन ए, बी, सी और डी की अच्छी खासी मात्रा होती है. साथ ही इसमें प्रोटीन, फाइबर और कैलोरी भी होता है, जो वेट लॉस के लिए परफेक्ट होता है. साथ ही इसे डायबिटीज रोगी भी आसानी से खा सकते है. ये उनके लिए भी लाभकारी होता है.
श्रीभद्र किस्म- यह शकरकंद की अधिक उपज देने वाली किस्म है. यह एक छोटी अवधि में पैदा होने वाली किस्म है. ये किस्म 90 से 105 दिन में पक कर तैयार हो जाती है. इसकी चौड़ी पत्तियां होती हैं. वहीं इसके कंद आकार में छोटे और गुलाबी होते हैं. इस कंद में 33 फीसदी शुष्क पदार्थ, 20 फीसदी स्टार्च और 2.9 फीसदी चीनी होती है.
सिपस्वा 2 किस्म- शकरकंद की इस किस्म का उत्पादन अम्लीय मिट्टी में किया जाता है. इनमें केरोटिन की प्रचुर मात्रा होती है. शकरकंद की यह किस्म 110 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इसकी उपज 20 से 24 टन प्रति हेक्टेयर है.
एस टी-14 किस्म- शकरकंद की यह किस्म साल 2011 में इजाद की गई थी. शकरकंद की इस किस्म के कंद का रंग थोड़ा पीला होता है. वहीं गूदे का रंग हरा और पीला होता है. इस किस्म के अंदर उच्च मात्रा में वीटा केरोटिन (20 मिली ग्राम प्रति 30 ग्राम) पाया जाता है. इस किस्म को तैयार होने में 110 दिन का वक्त लगता है. यदि इसकी उपज की बात की जाए तो वह लगभग 70 टन प्रति हेक्टेयर होती है.
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today