आखिर क्यों नारियल और केला मंदिर में चढ़ाए जाते हैं भगवान को, जानें 2 बड़ी वजहें

आखिर क्यों नारियल और केला मंदिर में चढ़ाए जाते हैं भगवान को, जानें 2 बड़ी वजहें

हिंदू मंदिरों में नारियल और केले चढ़ाए जाते हैं क्योंकि इन्हें 'शुद्ध' या ऐसे फल माने जाते हैं जो एकदम 'अछूते' फल माना जाता है. बाकी फलों को 'दूषित' माना जाता है क्योंकि पक्षियों या जानवरों ने उन्हें आंशिक तौर पर खा लिया होगा या उनके बीज फैलाकर अंकुरित हो सकते हैं. हालांकि, केले और नारियल फेंके गए हिस्सों से नहीं उगते और इन्हें पूर्ण माना जाता है.

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आखिर क्यों नारियल और केला मंदिर में चढ़ाए जाते हैं भगवान को, जानें 2 बड़ी वजहेंHindu Puja Offerings: न‍ारियल और केले का पूजा में है बड़ा महत्‍व

हिंदू धर्म में मंदिरों में भगवान को भोग और नैवेद्य चढ़ाना एक प्राचीन परंपरा है. इसमें विशेष रूप से नारियल और केला का उपयोग बड़े श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाता है. यह केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कारण भी छिपे हैं. इसलिए यह परंपरा आज भी हर मंदिर में बड़े श्रद्धा और विश्वास के साथ निभाई जाती है. यही वजहें हैं कि आपको नवरात्रि या दूसरे धार्मिक आयोजनों पर बाजार में केले और नारियल की मांगों में तेजी दिखती है. 

एकदम अछूते फल 

हिंदू मंदिरों में नारियल और केले चढ़ाए जाते हैं क्योंकि इन्हें 'शुद्ध' या ऐसे फल माने जाते हैं जो एकदम 'अछूते' फल माना जाता है. बाकी फलों को 'दूषित' माना जाता है क्योंकि पक्षियों या जानवरों ने उन्हें आंशिक तौर पर खा लिया होगा या उनके बीज फैलाकर अंकुरित हो सकते हैं. हालांकि, केले और नारियल फेंके गए हिस्सों से नहीं उगते और इन्हें पूर्ण माना जाता है. नारियल का कठोर आवरण अहंकार के टूटने का प्रतीक है, जबकि अंदर का सफेद गूदा पवित्रता का प्रतीक है. दोनों फल पूर्णता और प्रचुरता के भी प्रतीक हैं, और आसानी से उपलब्ध और किफायती हैं. 

पवित्रता और 'अदूषित' प्रकृति

बाकी फल अक्सर मनुष्यों तक पहुंचने से पहले पक्षियों और जानवरों द्वारा आंशिक तौर पर खा लिए जाते हैं जिससे वे 'दूषित' हो जाते हैं. अगर खाने के बाद उनके छिलके फेंक दिए जाते हैं तो केले और नारियल नहीं उगते. एक नया पौधा उगाने के लिए, पूरे नारियल को बोना पड़ता है, या केले के प्रकंद को रोपना पड़ता है. इन शुद्ध, अदूषित फलों का अर्पण ईश्वर को पवित्रता अर्पित करने का प्रतीक है. 

नारियल का क्‍या है महत्‍व 

नारियल को 'श्रीफल' कहा जाता है और इसे पूजा में पवित्र फल माना जाता है.नारियल का कठिन खोल और मीठा अंदरूनी हिस्सा इंसान के जीवन का प्रतीक है. इसका अर्थ है कि व्यक्ति को कठिनाई और संयम से अपने भीतर के नैतिक गुणों और पवित्रता को विकसित करना चाहिए. पूजा में नारियल फोड़ना इस बात का संकेत है कि अहंकार और बुराई को तोड़कर ईश्वर की शरण में आना चाहिए. साथ ही, नारियल में मौजूद पानी और गूदा स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है. 

केला समृद्धि का प्रतीक

केला का पेड़ हमेशा हरा-भरा रहता है और फलों से लदा रहता है. यह समृद्धि और जीवन की निरंतरता का प्रतीक माना जाता है। पूजा में केला चढ़ाने का संदेश है कि भगवान की कृपा से जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त होती है. अधिकतर मंदिरों में भगवान को केले के पत्तों पर भोग चढ़ाना भी देखा जाता है, जो शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है. केला आसानी से पकने वाला फल है और कई देवी-देवताओं को प्रिय माना जाता है. 

वैज्ञानिक और स्वास्थ्य संबंधी कारण

धार्मिक दृष्टि से नारियल और केला लंबे समय तक खराब नहीं होते. इसे भोग के रूप में चढ़ाना स्वच्छ और आसान होता है.  इसके अलावा, ये दोनों फल पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक हैं, जो भोग के रूप में चढ़ाने पर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं. सांस्कृतिक दृष्टि से नारियल और केला का प्रयोग त्योहारों, विवाह और धार्मिक अनुष्ठानों में बड़े पैमाने पर होता है. यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है और इससे धार्मिक आस्था के साथ-साथ सामाजिक एकता और सांस्कृतिक पहचान भी बनी रहती है. 

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