
ग्लेडियोलस एक ऐसा फूल है, जिसकी बाजार में भारी मांग है. इसकी आसान खेती के कारण किसान कम समय में शानदार मुनाफा कमा सकते हैं. शादी-ब्याह, त्योहारों में गुलदस्ते, बुके के लिए इसकी सबसे ज्यादा मांग होती है. ग्लेडियोलस मुख्य रूप से सर्दियों में उगाया जाने वाला फूल है, लेकिन मध्यम जलवायु वाले क्षेत्रों में इसकी खेती लगभग पूरे साल की जा सकती है. इसकी बुआई का सबसे अच्छा समय सितंबर-अक्टूबर तक होता है. ऐसे में अगर आप भी ग्लेडियोलस की खेती करना चाहते हैं तो राष्ट्रीय बीज निगम इसका बेस्ट किस्म का पौधा बेच रहा है. आइए जानते हैं कैसे खरीदें.
फूलों के मार्केट में बढ़ते डिमांड को देखते हुए राष्ट्रीय बीज निगम लोगों की सुविधा के लिए ऑनलाइन ग्लेडियोलस के धनवंतरी किस्म का पौधा बेच रहा है. इस फूल के बीज को आप ओएनडीसी के ऑनलाइन स्टोर से खरीद सकते हैं. यहां किसानों को कई अन्य प्रकार की फसलों और सब्जियों के बीज भी आसानी से मिल जाएंगे.
धनवंतरी ग्लेडियोलस की एक खास किस्म है. ये किस्म हल्के पीले रंग की होती है. इस किस्म के पौधे 4 फीट तक ऊंचे होते हैं और बगीचे में इसे आसानी से उगाया जा सकता है. बता दें कि इस किस्म पर पाले का खतरा नहीं होता है. इन्हें अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी पसंद है जिसमें कंपोस्ट जैसी जैविक सामग्री भरपूर मात्रा में हो. इस किस्म की देखभाल करना बहुत आसान होता है.
अगर आप भी ग्लेडियोलस की गार्डनिंग या खेती करना चाहते हैं, तो इसका बीज आपको सस्ते में मिल जाएगा. इस फूल के 2 पौधे आपको फिलहाल 23 प्रतिशत छूट के साथ 65 रुपये में राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट पर मिल जाएगा. इसे खरीद कर आप आसानी से ग्लेडियोलस की खेती कर सकते हैं.
ग्लेडियोलस की बुआई इसके कंद (बल्ब) से होती है, जो आलू की तरह दिखते हैं. एक एकड़ खेत में रोपाई के लिए लगभग 60,000 कंदों की जरूरत होती है. रोपाई से पहले कंदों को फफूंदनाशक से उपचारित करना बेहद जरूरी है. इसके लिए 0.2% कार्बेंडाजिम के घोल में कंदों को डुबोकर रखें. इससे फसल को फंगस से होने वाली बीमारियों से बचाया जा सकता है. इसकी बुआई आलू की तरह दो तरीकों से की जा सकती है. पहला, क्यारियां बनाकर लाइनों में 25 सेंटीमीटर की दूरी पर 5 सेंटीमीटर गहराई में कंद लगाएं. दूसरा, खेत में आलू की तरह मेड़ बना लें और नालियों में कंदों की रोपाई करें. यह तरीका ज्यादा सुरक्षित माना जाता है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today