गेहूं के मोर्चे पर भारत की चुनौतियां फिलहाल बढ़ती हुई दिख रही हैं. कुल मिलाकर समझा जाए तो गेहूं के मोर्चे पर भारत का गणित उलझा हुआ दिखाई दे रहा है, जिसके पीछे कई कारण हैं, जिसमें सबसे पहला कारण गेहूं का स्टॉक है. मसलन, भारत का गेहूं स्टॉक 16 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है, जो बफर स्टॉक से थोड़ा सा अधिक है. इसी तरह से गेहूं की रिकॉर्ड पैदावार में भी संशय के बादल छाए हुए हैं. तो वहीं MSP पर गेहूं खरीद के मोर्चे में भी कई चुनाैतियां दिखाई दे रही हैं. इन हालातों में अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर कैसे FCI का गेहूं भंडार भरेगा. आइए समझते हैं कि पूरा मामला क्या है.
भारत के गेहूं गोदाम मौजूदा वक्त में खाली पड़े हैं. सीधे शब्दों में कहा जाए तो भारत का गेहूं स्टॉक पिछले 16 साल से निचले स्तर पर है. असल में भारत का गेहूं का स्टॉक सेंट्रल पूल में एक अप्रैल को 75.02 लाख टन दर्ज किया गया है, इससे पहले साल 2008 में इससे कम 58 लाख टन गेहूं का स्टॉक था. इस साल अप्रैल में गेहूं का जो स्टॉक है, वह बफर स्टॉक (आपतकालीन स्थिति में आर्पूति के लिए) से थोड़ा सा ही अधिक है. मानकों के अनुरूप एक अप्रैल को 74.6 लाख टन बफर स्टॉक होना चाहिए.
भारत सरकार के गेहूं गोदाम यानी स्टॉक में गेहूं क्यों कम है. इसके पीछे की कहानी को सम्रझना बेहद ही जरूरी है. असल में साल 2022 में अप्रैल में पड़ी गर्मी का असर गेहूं के उत्पादन पर पड़ा था. नतीजतन, उत्पादन में गिरावट दर्ज की थी. इस वजह से गेहूं की सरकारी खरीद पर भी प्रभावित हुई थी.
मसलन, केंद्र सरकार ने गेहूं खरीद का लक्ष्य खरीद वर्ष 2022-23 के लिए 444 लाख मीट्रिक टन का रखा था, लेकिन सरकारी की विभिन्न एजेंसियां सिर्फ 187.92 लाख मीट्रिक टन गेहूं ही खरीद पाई थी. इसी तरह खरीद वर्ष 2023-24 के लिए गेहूं खरीद का लक्ष्य 341.5 लाख मीट्रिक टन निर्धारित किया गया था, लेकिन लक्ष्य के अनुरूप सिर्फ 262 लाख मीट्रिक टन गेहूं की ही खरीद हो सकी थी.
मसलन, यूपी, पंजाब, हरियाणा राज्य भी अपना लक्ष्य पूरा नहीं कर पाए थे. सीधी सी बात है कि दो साल लक्ष्य के अनुरूप गेहूं की खरीद नहीं हो पाई तो वहीं केंद्र सरकार को खुले बाजार में गेहूं के दाम नियंत्रित करने के लिए OMSS के तहत गेहूं को खुले बाजार में बेचना पड़ा. ऐसे में गेहूं के गोदाम खाली हो गए.
देश के गेहूं गोदाम खाली पड़े हैं. इस बीच पूर्व से ही केंद्र सरकार की कई एजेंसियां ये दावा कर रही हैं कि इस बार भारत में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन होगा. जिसके तहत दावा किया जा रहा है कि इस बार 112 से 114 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन हो सकता है, लेकिन इन दावों पर अब सवाल होने लगे हैं. एक तरफ को देश की आटा मिलर्स एसोसिएशन ने दावा किया गया है कि इस बार देश में 106 मिलियन टन गेहूं उत्पादित होने का अनुमान है, जो सरकारी एजेंसियों के अनुमान से 8 मिलियन टन कम है. तो वहीं दूसरी तरफ अप्रैल के महीने देश के कई राज्यों में हो रही बारिश और खेतों में खड़ी फसल को हो रहे नुकसान भी चिंता पैदा कर रहा है.
देश में गेहूं के खाली पडे़ गोदामों को भरने के लिए सरकारें मोर्चे पर है, जिसके तहत एक अप्रैल से विभिन्न राज्यों में MSP पर गेहूं की खरीदी शुरू हो गई है. इसको लेकर FCI ने भी माेर्चा संभाला हुआ तो वहीं नेफेड जैसी सहकारी संस्थान भी बिहार से गेहूं की खरीदी करने के लिए काम कर रहे हैं. हालांकि पिछले साल की तुलना में इस बार गेहूं खरीद का लक्ष्य कम करते हुए 320 लाख मीट्रिक टन रखा गया है, लेकिन 9 अप्रैल तक गेहूं खरीद के जो आंकड़े सामने आए हैं, वह पूरी व्यवस्था की धीमी चाल की तरफ इशारा कर रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक 9 अप्रैल तक कुल पौने आठ लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी हुई है. जिसमें सबसे अधिक मध्य प्रदेश से गेहूं की खरीदी हुई है, जबकि पंजाब और हरियाणा से गेहूं खरीद की चाल बेहद ही सुस्त है.
MSP पर गेहूं खरीद में इस बार कई चुनौतियां नजर आ रही हैं. असल में मध्य प्रदेश और राजस्थान में किसानों को गेहूं की MSP पर 150 रुपये का बोनस दिया जा रहा है. मसलन 2400 रुपये क्विंटल गेहूं MSP पर खरीदा जा रहा है. जबकि बाकी राज्यों में 2275 रुपये क्विंटल पर गेहूं का भाव है.वहीं खुले बाजार में भी गेहूं के दाम 2400 रुपये क्विंटल के पास हैं. इन हालातों में पंजाब, हरियाणा, यूपी जैसे राज्यों में MSP पर गेहूं की खरीद उलझी हुई है. वहीं माना जा रहा है कि जब आवक के समय ही गेहूं के दाम अधिक हैं तो बाद में इसमें और बढ़ोतरी होगी. इन हालातों में किसान गेहूं का स्टॉक बाद में बेचने के लिए अपने पास रोक सकते हैं. गेहूं खरीद की इन चुनौतियों के बीच 80 करोड़ लोगों को फ्री राशन का वितरण भी होना है. अब सवाल ये है कि आखिर कैसे गेहूं का भंडार भरेगा.
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