किसान संवाद कार्यक्रम में किसानों से समस्या व सुझाव लिए जाते हैं. फाइल फोटो- Agriculture deptराजस्थान में कांग्रेस सरकार हर महीने किसान संवाद कार्यक्रमों के जरिए किसानों ने जुड़ रही है. किसान आयोग की ओर से प्रदेश के अलग-अलग जिलों में यह संवाद कार्यक्रम किए जा रहे हैं. इसमें राजस्थान किसान आयोग के अध्यक्ष महादेव सिंह खंडेला शामिल होते हैं. ऐसा ही एक किसान संवाद कार्यक्रम आज शुक्रवार को श्रीगंगानगर के दी गंगानगर ट्रेडर्स एसोसिएशन भवन, नई धान मण्डी में किया जा रहा है. इसमें 200 से अधिक प्रगतिशील किसान शामिल होंगे.
इस सब के बीच एक सवाल यह है कि आखिर कांग्रेस किसान आयोग के जरिए किसान संवाद कार्यक्रम कर के आखिर क्या हासिल करना चाहती है?
राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव हैं. ऐसे में कांग्रेस किसान संवाद जैसे कार्यक्रम कर किसानों को खुद के साथ जोड़ना चाहती है ताकि विधानसभा चुनावों में इसका फायदा उसे मिल सके. इसके अलावा इस तरह के संवाद कार्यक्रमों में कृषि विभाग, पशुपालन विभाग, उद्यान विभाग के अधिकारी भी शामिल होते हैं.
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वे विभाग किसानों को सरकार की ओर से शुरू की गई योजनाओं के बारे में किसानों को बताते हैं ताकि किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके. सरकार की ओर से शुरू की गई कल्याणकारी योजनाओं से किसानों को जोड़कर विधानसभा चुनावों में लाभार्थियों की संख्या को जनता के सामने रखेगी.
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. जीआर मटोरिया ने बताया कि किसान संवाद कार्यक्रम में किसानों, पशुपालकों, मछली पालकों, मुर्गा पालकों और अन्य स्टेक हॉल्डर से उनकी समस्याएं जानी जाएंगी. साथ ही इन समस्याओं के समाधान के लिए सुझाव भी लिए जाएंगे. कार्यक्रम की तैयारी को लेकर संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार) जिला परिषद्, श्रीगंगानगर की अध्यक्षता में पशुपालन विभाग, कृषि विपणन विभाग, उद्यान विभाग, मत्स्य विभाग व अन्य स्टेक हॉल्डर के साथ कृषक संवाद आयोजन के लिए बैठकें हुई हैं.
कृषक संवाद कार्यक्रम में लगभग 200 की संख्या में नवाचारी, प्रगतिशील किसान, पशुपालक, मत्स्य पालक, मुर्गा पालक, मण्डी श्रमिक, कृषक उत्पादक संगठन, स्वयं सेवी संस्थाओं के साथ-साथ सम्बन्धित विभागों के जिला स्तरीय अधिकारियों को भी बुलाया गया है.
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आयोग की ओर से जिले के किसानों, पशुपालकों, कृषि मजदूरों, कृषि और इससे संबंधित दूसरे क्षेत्रों से जुड़े व्यक्तियों, संस्थाओं, संगठनों से समस्या एवं सुझाव लिए जाएंगे. साथ ही किसानों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों, विश्वविद्यालयों, विषय विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, अनुसंधानकर्ताओं व नवाचार करने वाले किसानों व पशुपालकों से चर्चा कर समस्याओं का समाधान किया जाएगा. वहीं, राज्य सरकार को नीतिगत निर्णय व योजनायें बनाने के लिए सुझाव भी भिजवाए जाएंगे.
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