नागौर के परबतसर में लगता है वीर तेजाजी पशुमेला. फाइल फोटो- Madhav Sharmaदेश के बड़े पशु मेलों में से एक श्री वीर तेजाजी का मेला 30 अगस्त से शुरू होगा. नागौर जिले के परबतसर में लगने वाले इस मेले में हजारों की संख्या में पशुपालक पशुओं की खरीद-बिक्री के लिए आते हैं. पशुपालन विभाग के अनुसार तेजाजी पशु मेला 14 सितंबर तक चलेगा. इस तरह वीर तेजाजी पशु मेला 30 अगस्त से 14 सितंबर तक भरेगा. मेले की तैयारियों को लेकर पशुपालन विभाग ने पशु मेला चौकी की बनाना शुरू कर दी हैं.
वहीं, मेले की अन्य व्यवस्थाओं के लिए भी प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी हैं.
नागौर जिले के परबतसर में हर साल भरने वाला यह पशु मेला सिर्फ राजस्थान ही नहीं बल्कि देशभर में प्रसिद्ध है. मेले में प्रसिद्ध नागौरी नस्ल के बैल, मारवाड़ी ऊंट, घोड़ों के साथ-साथ भेड़-बकरी भी बड़ी संख्या में खरीद-बिक्री के लिए आती हैं. पशुओं की खरीद-बिक्री के लिए मेले में भारत के लगभग हर हिस्से से व्यापारी शामिल होते हैं.
पशुपालन विभाग के अनुसार हर साल आयोजित होने वाले इस पशु मेले में राजस्थान के अलावा पड़ोसी राज्यों खासकर उत्तरप्रदेश, हरियाणा एवं पंजाब से बड़ी संख्या में पशुपालक व व्यापारी आते हैं.
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कार्यालय उपनिदेशक पशुपालन विभाग, कुचामन सिटी ने बताया कि 26 अगस्त की मेला चौकी की स्थापना की जाएगी. वहीं, 30 अगस्त को झण्डारोहण का कार्यक्रम होगा. मेले में पशु प्रदर्शनियां एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम 30 अगस्त से दो सितंबर तक आयोजित किए जाएंगे. साथ ही, पशु प्रतियोगितायें 31 अगस्त व एक सितंबर को आयोजित होंगी. इसके बाद पुरस्कार वितरण का कार्यक्रम दो सितंबर को किया जाएगा.
राजस्थान में पशु मेलों का इतिहास काफी पुराना है. आज भी प्रदेश में हर साल करीब 250 छोड़े-बड़े पशु मेले लगते हैं. इनमें से 10 पशु मेले राज्य स्तरीय होते हैं. इनका आयोजन हर साल पशुपालन विभाग करता है. प्रदेश में अधिकतर पशुमेले लोक-देवताओं और महापुरुषों से जुड़े हुए हैं.
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इन मेलों में पशुपालन विभाग बिजली, पानी, आवास, चिकित्सा, पशुओं का टीकाकरण की व्यवस्था निशुल्क की जाती है. बता दें कि प्रदेश में लगने वाले इन पशुमेलों की खरीद-बिक्री से पशुपालकों की 50-60 करोड़ रुपये की आय होती है.
राज्यस्तरीय 10 बड़े पशुमेलों में गोमती सागर पशुमेला, गोगामेड़ी पशुमेला, वीर तेजाजी पशुमेला, जसवंत प्रदर्शनी और पशुमेला, कार्तिक पशु मेला पुष्कर, चन्द्रभागा पशुमेला, रामदेव पशुमेला, शिवरात्रि पशुमेला, मल्लीनाथ पशुमेला और बलदेव पशुमेला शामिल हैं.
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