Special Varieties of Mango: बाजार में अब मिलेंगे असली आम, अब तक जो खा रहे थे उससे कुछ अलग

Special Varieties of Mango: बाजार में अब मिलेंगे असली आम, अब तक जो खा रहे थे उससे कुछ अलग

अप्रैल के शुरूआत से ही बाजार में आम बिकने शुरू हो जाते हैं, लेकिन शुरू में मिलने वाले आम प्राकृतिक रूप से नहीं पके होते हैं. वास्तव में आम के पकने का सही समय मई के आखिर से लेकर जून का महीना ही होता है, इस खबर पर आपको आम की उन किस्मों के बारे में बताएंगे जो जून-जुलाई में प्राकृतिक रूप से पकते हैं.

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बाजार में अब मिलेंगे असली आम, अब तक जो खा रहे थे उससे कुछ अलगआम की पछेती किस्में

बोरिंग गर्मी के मौसम में भी जान डाल दे उसे कहते हैं आम, एक तरफ जहां लोग हीट वेब, पसीने की चिपचिप और AC, कूलर चलने से बढ़ते बिजली के बिल से परेशान रहते हैं तो वहीं दूसरी ओर आम खाने के लिए साल भर गर्मी का इंतजार भी करते हैं. गर्मी की शुरुआत से ही बाजार में आम बिकने शुरू हो जाते हैं लेकिन वो आम प्राकृतिक रूप से पके हुए नहीं होते बल्कि उन्हें कार्बाइड जैसे केमिकल्स की मदद से पकाया जाता है. नैचुरल तरीके से पके आम मई के अंत या जून के महीने में ही मिलते हैं. कहने का मतलब ये कि अब तक आपने जो आम खाया उसमें ज्यादातर संभावना इस बात की है कि वो आम अपने समय से पहले पकाए गए थे जिसको खाने पर आपको स्वाद तो भरपूर मिला होगा लेकिन उसकी तासीर आपकी हेल्थ के लिए बिल्कुल भी फायदेमंद नहीं है. इस खबर में आपको आम की ऐसी किस्मों के बारे में बताने जा रहे हैं जो सीजन के आखिर में पकते हैं और बाजारों में आते हैं. 

सीजन के आखिर में पकने वाले आम

बाजार में आम की कई किस्में मौजूद हैं जो आमतौर पर अप्रैल के पहले हफ्ते या पखवाड़े से ही बाजार में बिकने लगती हैं. इनमें हापुस, केसर, दशहरी, हिमसागर, चौसा, बादामी और सफेदा हैं लेकिन इससे अलग आम की ऐसी किस्मों के बारे में बताते हैं जो जून में आती हैं. कहने का मतलब है कि ये आम की पछेती किस्में हैं जो सीजन के अंत तक बाजारों में बिकती हैं. आइए उनके नाम जानें. 

फजली आम

पकने के बाद भी हरा और पीला दिखने वाला मीठा रसदार गूदे वाला फजली आम पछेती किस्मों में से एक है. फजली किस्म का आम बड़े आकार के लिए जाना जाता है, इसके एक आम का वजन 700 ग्राम से लेकर डेढ़ किलो तक होता है. फजली आम मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल के मालदा और मुर्शिदाबाद जिलों और बांग्लादेश के राजशाही डिवीजन में मिलता है. 

रत्ना आम

हापुस और नीलम के  संकरण से विकसित (हाइब्रिड) किस्म से तैयार रत्ना किस्म के आम भी देर से पकने वाली किस्मों में शामिल हैं. ये आम ना सिर्फ स्वाद में बेहतर होता है बल्कि देखने में भी अन्य किस्म के आम से अधिक आकर्षक लगता है. रत्ना किस्म के आम का गूदा स्पंजी होता है और इसमें रेशा नहीं होता है. रत्ना आम की खेती महाराष्ट्र और कर्नाटक में खासतौर पर होती है. 

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लंगड़ा आम

अगर आप आम खाने के शौकीन हैं तो लंगड़ा आम का नाम ना सुने हों ऐसा हो ही नहीं सकता है. उत्तर प्रदेश के बनारस, भदोही जैसे जिलों में मिलने वाला लंगड़ा आम अपने स्वाद और अपने नाम के चलते फेमस होता है. लंगड़ा आम जून के दूसरे हफ्ते तक में ही पकता है और देरी से बाजार में पहुंचता है. पछेती किस्मों में सबसे अधिक बाजार मांग वाला आम लंगड़ा आम ही है. 

मल्लिका आम

दक्षिण भारत के अलावा उत्तर भारत के गिने-चुने इलाकों में उगाया जाने वाला मल्लिका आम भी देरी से पकने वाले आमों में शामिल है. मीठा स्वाद, रसदार गूदे के साथ ये आम अपनी खुशबू के कारण जाना जाता है. इस आम की खासियत ये है कि इसे सही देखभाल के साथ आप 10 दिनों तक स्टोर करके भी रख सकते हैं. फाइबर से भरपूर मल्लिका आम के कई हेल्थ बेनिफिट्स भी बताए जाते हैं. 

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