Mastitis Disease: गाय-भैंस में थनैला बीमारी की अब आसान हो गई जांच, ये है तरीका 

Mastitis Disease: गाय-भैंस में थनैला बीमारी की अब आसान हो गई जांच, ये है तरीका 

Mastitis in Cow-Buffalo एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो थनैला बीमारी की सबसे बड़ी वजह डेयरी मैनेजमेंट है. जब मैनेजमेंट के दौरान पशुओं की देखभाल में कुछ बातों की अनदेखी की जाती है तो दूध देने वाला पशु थनैला बीमारी से पीड़ित हो जाता है. इसलिए ये जरूरी है कि पशु का दूध दुहाने से पहले और बाद में कुछ बातों का खास ख्याल रखना बहुत जरूरी है. 

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Mastitis Disease: गाय-भैंस में थनैला बीमारी की अब आसान हो गई जांच, ये है तरीका थनैला की जांच का तरीका

Mastitis in Cow-Buffalo गाय-भैंस का डेयरी सिस्टम दूध पर काम करता है. सुबह-शाम गाय-भैंस से मिलने वाले दूध को बड़े-बड़े डेयरी प्लांट या लोकल बाजार में बेचा जाता है. लेकिन गाय-भैंस को होने वाली एक बीमारी पूरे डेयरी सिस्टम को बिगाड़ देती है. पशुपालक को भी मुनाफे की जगह नुकसान होने लगता है. थनैला ऐसी ही एक बीमारी है. बीते कुछ वक्त पहले गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी, लुधियाना में एक सेमिनार के दौरान थनैला बीमारी को डेयरी में होने वाला सबसे बड़ा नुकसान माना गया था. लेकिन अब पशुपालक इस नुकसान से बच सकेंगे. वक्त से थनैला बीमारी के बारे में पता कर इसका इलाज भी करा सकेंगे. और ये सब मुमकिन होगा लाला लाजपतराय पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्वालय (लुवास), हिसार की एक रिसर्च से. 

लुवास के वाइस चांसलर (वीसी) डॉ नरेश जिंदल के मुताबिक अब थनैला बीमारी की पहचान दूध से हो सकेगी. इस रिसर्च को पेटेंट भी कराया जा चुका है. वीसी का कहना है कि दूध में मौजूद अल्फा1 ग्लाइको प्रोटीन की जांच से अब थनैला बीमारी के बारे में वक्त रहते पता लगाया जा सकेगा. इस रिसर्च के तहत होगा ये कि दूध के नमूने को स्फेक्ट्रो फोटो मीटर की मदद से जांचा जाएगा. क्योंकि होता ये है कि अगर गाय-भैंस थनैला बीमारी से ग्रसित है तो दूध में मौजूद अल्फा1 ग्लाइको प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाएगी. इस रिसर्च पर लुवास के पीजी छात्र अनिरबन गुहा ने पूर्व प्रोफेसर डॉ. संदीप गेरा के मार्ग दर्शन में काम किया है.  

पशुओं को ऐसे होती है थनैला बीमारी 

  • दूध निकालने से पहले थनों की सफाई ना करना. 
  • दूध निकालने वाले के कपड़े और हाथों के गंदा होने पर. 
  • दूध निकालने वाला अगर बीमार है. 
  • जिस बर्तन में दूध निकाला जा रहा उसका साफ ना होना. 
  • गंदी जगह पर बैठकर पशु का दूध निकालना. 
  • गाय-भैंस के बच्चे को दूध पिलाने के बाद थनों को ना धोना. 
  • पशु के पेट, थन और पूंछ पर चिपकी गंदगी से.

पढ़ें थनैला पर क्या कहते हैं डेयरी एक्सपर्ट 

डेयरी एक्सपर्ट डॉ. जसनीत सिंह का कहना है कि दूध दुहते समय पानी, बर्तन, सीरिंज और फर्श की गुणवत्ता को लेकर अलर्ट रहें. डेयरी में काम करने वाली लेबर के गंदा रहने और उनके कपड़े इस बीमारी को और बढ़ा देते हैं. खराब खान-पान, किसी भी प्रकार का तनाव कम भी पशुओं में थनैला से लड़ने की क्षमता को कमजोर करते हैं. 

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