हाल ही में राजधानी दिल्ली में बाढ़ जैसे हालात हो गए. दिल्ली की आम आदमी सरकार ने आरोप लगाया कि हरियाणा ने हथिनी कुंड से बहुत सारा पानी यमुना में छोड़ दिया जिससे यमुना नदी का जलस्तर बहुत बढ़ गया. नतीजतन, यमुना खादर का इलाका जलमग्न हो गया और पानी कई रिहायशी इलाकों में भी घुस गया, जबकि राजधानी में कुछ दिनों से इतनी तेज़ बारिश नहीं हुई है. वहीं भारतीय जनता पार्टी की तरफ से ये दलील आई कि हथिनी कुंड एक बैराज है, बांध नहीं जहां पानी को रोका जा सके. एक बैराज से सिर्फ पानी की दिशा को बदला जा सकता है. इसलिए ये तर्क बेबुनियाद है कि हरियाणा की बीजेपी सरकार ने सारा पानी दिल्ली की तरफ छोड़ दिया और उत्तर प्रदेश की तरफ नहीं.
इस राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप के बीच कुछ सरल से सवाल उत्सुकता पैदा करते हैं-
• आखिर बैराज और बांध क्या होते हैं, इनमें क्या फर्क है?
• नदी और नहर में क्या फर्क है और तालाब और झील में क्या अंतर होता है?
चूंकि, दोनों ही मनुष्य द्वारा बनाए जाते हैं इसलिए बांध और बैराज का मूलभूत अंतर है उन्हें बनाने के पीछे का उद्देश्य. बांध को एक विशाल नदी या जल स्त्रोत पर बनाया जाता है. बांध एक विशाल दीवार की तरह होता है, जिससे पानी को रोका और इकट्ठा किया जाता है. फिर इस एकत्रित जल से बिजली बनाई जाती है, सिंचाई के लिए इसे इस्तेमाल किया जाता है और जल आपूर्ति भी की जाती है. यह एक बहुत ऊंची दीवार की शक्ल में होता है जिसके ऊपर पानी नहीं जा सकता. बांध का उद्देश्य होता है, पानी को इकट्ठा करना और इसमें संचित पानी के स्तर को आवश्यकतानुसार बढ़ाते रहना.
यूं तो बैराज भी एक बांध की तरह होता है, लेकिन बैराज में ऊंची दीवार नहीं होती बल्कि बहुत सारे गेट्स होते हैं . इन दरवाजों के जरिये पानी के प्रवाह को नियंत्रित किया जाता है और कुछ हद तक उसकी दिशा को बदला जा सकता है. बैराज में संचित पानी का स्तर उसके गेट्स की ऊंचाई पर निर्भर करता है. अगर जल के स्तर का दरवाजों के भी ऊपर जाने का अंदेशा हो तो ये गेट्स खोल दिये जाते हैं और पानी के प्रवाह को निश्चित दिशा में छोड़ दिया जाता है. बैराज का निर्माण तब किया जाता है जब नदी के पानी को इकट्ठा करने की नहीं बल्कि उसके प्रवाह की दिशा बदलना ज़्यादा ज़रूरी हो. बैराज अक्सर उन नदियों पर बनाए जाते हैं जिनका प्रवाह धीमा होता है जबकि बांध ऐसी नदियों पर बनाए जाते हैं जिनका प्रवाह बहुत तेज़ हो. बैराज बनाकर नदियों को कुछ और गहरा भी किया जा सकता है.
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बांध में भी कुछ गेट्स बनाए जाते हैं. लेकिन अक्सर ये द्वार बांध की दीवार के ऊपर बनाए जाते हैं ताकि आपातकाल में अगर जल स्तर दीवार से भी ऊपर जाने लगे तो ये दरवाजे खोल दिये जाएं और बाढ़ जैसी स्थिति से बचा जा सके. जबकि बैराज में ऊपर से लेकर नदी के तल तक दरवाजे बनाए जाते हैं ताकी पानी के प्रवाह को अच्छी तरह से नियंत्रित किया जा सके.
अब बात करते हैं नदी और नहर में अंतर की. हम सभी जानते हैं कि नदी एक प्राकृतिक जल स्त्रोत है. यानी ये ऐसी जगहें हैं जहां पानी स्वाभाविक तौर से इकट्ठा होता है और बहता है. नदियां प्रायः अपने आकार और दिशा के अनुसार झील, समुद्र या अन्य नदियों में मिल जाती हैं. जबकि, नहरें मनुष्य द्वारा बनायी जाती हैं. अक्सर किसी बड़े जल स्रोत यानी नदी, तालाब या झील में से एक निश्चित मार्ग पर नहर निकाली जाती है जिसका मुख्य उद्देश्य सिंचाई और जल आपूर्ति होता है. नहर के पानी को मनुष्य इच्छानुसार नियंत्रित कर सकता है उसका प्रवाह भी बदल सकता है. लेकिन नदी के साथ ऐसा करना मुश्किल है क्योंकि जल अपना रास्ता नहीं भूलता. इसलिए नदी के पानी को कुछ हद तक ही नियंत्रित किया जा सकता है. या यूं कह सकते हैं कि नहर बना कर हम नदी के पानी का प्रयोग करते हैं, और उसे नियंत्रित भी कर सकते हैं.
वहीं तालाब एक अपेक्षाकृत छोटा जल स्रोत होता है और यह चारों तरफ से बंद होता है. कुछ प्राकृतिक तालाब या जलाशय होते हैं और कुछ मनुष्य भी बना सकता है. तालाब प्रायः 20 फीट गहरे होते हैं. कुछ तालाब तो बरसाती भी होते हैं जो बारिश के मौसम में भर जाते हैं और मौसम बदलते ही धीरे धीरे सूख जाते हैं. रेगिस्तानी इलाकों या उन क्षेत्रों में जहां बारिश कम होती है, तालाब बनाकर बारिश के पानी को इकट्ठा करके सिंचाई की जाती है. यह ज़मीन को उपजाऊ और हरा-भरा बनाने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान देते हैं.
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जबकि झीलें तालाबों से काफी बड़ी होती हैं और वे बंद नहीं होती यानी उनके आसपास कोई निश्चित चौहद्दी नहीं होती. झीलें 20 से 4,000 फीट तक गहरी हो सकती हैं. ऐसा माना जाता है कि झीलों का आकार अंडाकार होता है और तालाब गोलाकार होते हैं. ज़्यादातर झीलें फ्रेश वॉटर बॉडी होती हैं लेकिन कभी-कभार इनका पानी खारा भी हो सकता है. तालाब अमूमन फ्रेश वॉटर जलस्रोत ही होते हैं. तालाब और झील के बारे में रोचक बात ये हैं कि दुनिया में ऐसे कोई निश्चित मानक नहीं हैं जो ये तय कर सकें कि कौन सा जल स्रोत तालाब है, और कौन सा झील. लेकिन यह हर जगह माना जाता है कि तालाब छोटे होते हैं और झीलें बड़ी और बहुत गहरी भी.
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