भारत में हर त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. यहां हर संस्कृति की अपनी पहचान है और उससे जुड़े त्योहार भी हैं. जिसे हर समुदाय के लोग बड़े धूमधाम से मनाते हैं. ऐसे में आज छत्तीसगढ़ में हरेली का त्योहार मनाया जा रहा है. ऐसे कई त्योहार हैं जो केवल छत्तीसगढ़ में ही मनाये जाते हैं. उन्हीं त्योहार में से एक है हरेली का त्यौहार. इस त्योहार का अपना विशेष महत्व है. इस दिन पूरे राज्य में हरियाली देखने को मिलती है. आपको बता दें कि यह छत्तीसगढ़ का पहला त्योहार माना जाता है.
ठीक उसी तरह जिस तरह पंजाब और हरियाणा में लोहड़ी को पहला त्योहार माना जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में यह त्योहार परंपरागत रूप से बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन का कृषि से भी गहरा संबंध है. वो क्या है आइए जानते हैं.
इस दिन किसान खेती में उपयोग होने वाले कृषि उपकरणों की पूजा करते हैं, गांव में बच्चे और युवा डोली का आनंद लेते हैं. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर लोक महत्व के इस पर्व पर सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया गया है. यह त्योहार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रायपुर निवास पर बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. हर साल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने रायपुर निवास में हरेली त्योहार मनाते हैं. यही नहीं हर हरेली त्योहार पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री कोई ना कोई योजना शुरू करते हैं. ऐसे में इस बार हरेली त्योहार पर प्रदेश में छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की शुरुआत की जाएगी.
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हरेली त्योहार श्रावण कृष्ण पक्ष अमावस्या को मनाया जाता है. यह त्यौहार जुलाई माह में आता है. यह त्योहार तब मनाया जाता है जब बारिश होने के बाद खेतों में फसलें हरी हो जाती हैं. इस साल हरेली का त्योहार 17 जुलाई, सोमवार यानी आज मनाया जा रहा है.
हरेली त्योहार पर किसान नागर, गैंती, कुदाल, फावड़ा सहित कृषि में उपयोग होने वाले औजारों की सफाई करते हैं. इस मौके पर घरों में गुड़ का चीला बनाया जाता है. बैल, गाय और भैंस को बीमारियों से बचाने के लिए बगरंदा और नमक खिलाने की परंपरा है. हरेली पर्व पर किसान कुल देवताओं और कृषि उपकरणों की पूजा कर अच्छी फसल की कामना करते हैं. किसान डेढ़ से दो महीने तक फसल लाने का काम खत्म करने के बाद यह त्योहार मनाते हैं. इस त्यौहार पर गाँवों में बच्चों के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है.
इस मौसम में फसलों में अलग-अलग परकार की बीमारियों का खतरा रहता है. ऐसे में फसलों में किसी भी प्रकार की बीमारी न हो, साथ ही पर्यावरण भी सुरक्षित रहे, जिसके लिए किसान हरेली त्यौहार मनाते हैं. हरेली अमावस्या यानी श्रावण कृष्ण पक्ष अमावस्या के दिन किसान अपने खेतों और फसलों की धूप, दीप और अक्षत से पूजा करते हैं. पूजा में भिलवा वृक्ष की पत्तियों, टहनियों और दशमूल (एक प्रकार का कांटेदार पौधा) को विशेष रूप से खड़ी फसल में लगाया जाता है और उसकी पूजा की जाती है. किसानों का मानना है कि इससे फसल में होने वाले कई तरह के हानिकारक कीड़ों और बीमारियों से उनकी रक्षा होती है.
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