
केंद्रीय कृषि-किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरु में ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत किसानों से बातचीत की. उन्होंने कहा कि शोध के क्षेत्र में वैज्ञानिकों के प्रयास सराहनीय हैं. बेंगुलरु ग्रामीण और आसपास के क्षेत्रों में बागवानी में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. किसानों ने खुद भी कई प्रकार के शोध और प्रयोग करके कृषि नवाचार में नए अध्याय जोड़े हैं. केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि मैंने यहां ड्रैगन फ्रूट (कमलम) की खेती देखी, इसके बारे में किसानों ने अऩुभव साझा किए.
चौहान ने कहा कि मुझे जानकारी मिली कि ड्रैगन फ्रूट की खेती में पहले दो वर्ष तक उतना फायदा नहीं होता, लेकिन तीसरे साल के बाद 6 से 7 लाख रुपये आसानी से बचाए जा सकते हैं. टमाटर के खेतों का भी भ्रमण किया, मुझे किसान भाइयों ने ही बताया, कई बार कीमतों में उतार-चढ़ाव के बाद भी 3 से 4 लाख रुपये प्रति एकड़ कमाया जा सकता है.
शिवराज सिंह ने कहा कि ‘लैब से लैंड’ जुड़ना जरूरी है. रिसर्च की रीयल टाइम में किसानों तक पहुंच हो, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं. जलवायु और क्षेत्र की विशेषता के अनुसार फलों, सब्जियों और फसलों की उपज की सही जानकारी किसानों तक पहुंचनी चाहिए. बिना कृषि के विकास संभव नहीं है. आज भी 50 प्रतिशत आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है.
जीडीपी में 18 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी कृषि क्षेत्र की है. साथ ही इस वर्ष चौथी तिमाही में जीडीपी की विकास दर 7.5 प्रतिशत है, जिसमें कृषि का योगदान 5.4 प्रतिशत है. कृषि में 1 या 2 प्रतिशत की विकास दर बड़ी मानी जाती है, उस लिहाज में यह समझा जा सकता है कि किस प्रकार हम कृषि क्षेत्र में उन्नति के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.
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शिवराज सिंह ने कहा कि हमें चार प्रमुख लक्ष्यों की दिशा में आगे बढ़ना होगा, इनमें 145 करोड़ आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा, पोषणयुक्त आहार, किसानों के लिए कृषि क्षेत्र को लाभ में बदलना, मिट्टी की उर्वरक क्षमता को सुरक्षित रखना शामिल हैं. वैज्ञानिक गांव-गांव जाकर वहां की क्षेत्र विशेष की जानकारियों के आधार पर, मिट्टी की उर्वरकता की आवश्यकतानुसार, जलवायु व अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए किसानों को सही किस्मों व पद्धति के जरिए कृषि में उत्पादन बढ़ाने की जानकारी दे रहे हैं.
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने नकली बीजों, उर्वरकों, कीटनाशकों को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि गुणवत्ताहीन बीज या कीटनाशक बनाने वालों के प्रति सरकार सख्ती से पेश आएगी. कानून बनाया जा रहा है. ऐसे कृत्य में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. चौहान ने कहा कि इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि 16 हजार वैज्ञानिक खेतों में किसानों के पास जाकर शोध की जानकारी दे रहे हैं.
‘एक राष्ट्र-एक कृषि-एक टीम’ विजन के साथ हम सभी को साथ मिलकर आगे बढ़ना होगा. सम्मिलित प्रयासों से भारत को विश्व का ‘फूड बास्केट’ बनने से कोई रोक नहीं सकेगा. हम अपने देश की जरूरतें भी पूरी करेंगे और विदेशों में निर्यात की दिशा में भी आगे बढ़ेंगे. किसान सीधे अपनी उपज बेच सके, बिचौलियों की भूमिका कम हो, इन्हीं सब पहलुओं को देखते हुए बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) बनाई गई है.
केंद्रीय मंत्री चौहान ने कहा कि कृषि मंत्री, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, कृषि विज्ञान केंद्र और अन्य उपक्रमों से जुड़े प्रत्येक वैज्ञानिक की असली जिम्मेदारी यही है कि किसान भाइयों-बहनों तक शोध की सटीक जानकारी सही समय में पहुंचे. केंद्रीय कृषि मंत्री ने सभी किसानों से कहा कि सिर्फ पारंपरिक खेती पर निर्भर ना रहें. आगे बढ़ते हुए कृषि विविधिकरण, प्रोसेसिंग का रास्ता भी चुनें. निर्यात के लिए गुणवत्तापूर्ण उत्पादों की दिशा में भी कदम बढ़ाएं.
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