भारत के लोग कई मोर्चों पर महंगाई से जूझ रहे हैं. ताजा मामला सब्जियों की महंगाई है. सब्जियों में टमाटर, अदरक और बैंगन के भाव इस कदर बढ़े हैं कि लोग सोच में पड़ गए हैं कि क्या खाएं, क्या न खाएं. टमाटर 150 रुपये किलो से ऊपर चल रहा है. इस बढ़ी हुई दरों की सबसे बड़ी मार मध्यम वर्ग के लोगों पर पड़ रही है. इस वर्ग को सब्जियों की महंगाई के बीच अनाज के बढ़े दाम भी परेशान कर रहे हैं. HSBC Holdings plc की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में अनाजों की कमी महंगाई दर को और अधिक बढ़ा सकती है. रिपोर्ट में हालांकि एक अच्छी बात ये कही गई है कि अगले महीने से सब्जियों के दाम में गिरावट देखी जाएगी.
अभी लोगों का सबसे अधिक ध्यान टमाटर या अन्य सब्जियों की महंगाई पर है. लेकिन अर्थशास्त्री इससे इतर राय रखते हैं. 'इकोनॉमिक टाइम्स' ने अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी और आयुषी चौधरी के हवाले से लिखा है कि खाद्य महंगाई का असली मुद्दा टमाटर से नहीं जुड़ा है बल्कि अनाजों की महंगाई से संबंधित है. इसमें मुख्य भूमिका गेहूं और चावल की है जिसकी महंगाई आने वाले समय में और अधिक परेशान कर सकती है.
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एचएसबीसी ने मार्च 2024 तक महंगाई का पूर्वानुमान पांच परसेंट बताया है. लेकिन इस बात की भी आशंका जाहिर की है अनाज महंगे होंगे तो महंगाई दर और भी बढ़ सकती है. अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि आने वाले महीनों में बारिश की स्थिति और धान की रोपाई से पता चलेगा कि महंगाई कम रहेगी या बढ़ेगी. रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर पश्चिम भारत में धान की रोपाई में देरी और दक्षिण पूर्व के राज्यों में कम बारिश से धान की पैदावार गिर सकती है. इससे चावल का निर्यात प्रभावित हो सकता है. लिहाजा पूरी दुनिया में चावल के रेट बढ़ सकते हैं. साथ ही गेहूं भी महंगा हो सकता है क्योंकि चावल की कमी को पूरा करने के लिए लोग गेहूं का इस्तेमाल करते हैं.
इसके अलावा, रूस-यूक्रेन युद्ध लंबा खिंचने से भी अनाजों की महंगाई बढ़ेगी. रूस और यूक्रेन के बीच काला सागर से होकर अनाजों की ढुलाई का मुद्दा भी गरमाया हुआ है. रूस ने कहा है कि काला सागर के रास्ते यूक्रेन जाने वाले जहाज में हथियार हो सकते हैं, जिससे अनाजों की सप्लाई पर बेहद बुरा असर देखा जा रहा है. एक्सपर्ट मानते हैं कि रूस की इस निगरानी और चेतावनी से आने वाले समय में गेहूं के भाव बढ़ेंगे. भारत पर भी इसका असर होगा और घरेलू बाजार में गेहूं महंगा होगा. अल-नीनो का खतरा अलग है जिससे महंगाई में और बढ़ोतरी हो सकती है.
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उपभोक्ता मूल्य महंगाई और खुदरा महंगाई में अनाजों के दाम सबसे बड़ा रोल निभाते हैं. इस पूरी महंगाई में अनाजों का दाम 10 परसेंट तक हिस्सेदारी निभाता है. यही वजह है कि जून में खुदरा महंगाई इसलिए बढ़ी रही क्योंकि खाने की चीजें महंगी रहीं. इसके बाद अर्थशास्त्रियों ने महंगाई दर के पूर्वानुमान में बदलाव किया. आगे इस बात की संभावना है कि रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कोई कमी नहीं करेगा. ऐसे में माना जा रहा है कि भारत सरकार के लिए अभी सबसे बड़ी चुनौती अनाजों की महंगाई को रोकना है क्योंकि अगले साल आम चुनाव है. चुनाव में महंगाई बड़ा मुद्दा बन सकता है. यही वजह है कि सरकार ने अभी हाल में सस्ते गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है.
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