Noon River: इस मॉनसून सीजन से फिर बहने लगेगा नून नदी में पानी! इतने गांवों को सिंचाई में होगा फायदा

Noon River: इस मॉनसून सीजन से फिर बहने लगेगा नून नदी में पानी! इतने गांवों को सिंचाई में होगा फायदा

Nun River Revival: उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में नून नदी के पुनरुद्धार का काम तेजी से चल रहा है. यह नदी लगभग 87 किलोमीटर लंबी है और कोच विकास खंड के सताह गांव से निकलकर आगरा की ओर बहती है. नदी के पुनरुद्धार से 47 गांवों की लगभग 2,800 हेक्टेयर कृषि भूमि को लाभ होगा, जिससे कृषि उत्पादकता बढ़ेगी और पशुधन एवं वन्यजीवों को भी फायदा होगा.

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इस मॉनसून सीजन से फिर बहने लगेगा नून नदी में पानी! इतने गांवों को सिंचाई में होगा फायदानून नदी जल्‍द होगी पु‍नर्जीवित (सांकेत‍िक तस्‍वीर- Grok AI)

उत्‍तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में लंबे समय तक पारिस्थितिकी उपेक्षा झेलने वाली नून नदी जल्द ही अतीत की अपनी शानदार स्थिति में लौटने के लिए तैयार है. कोच विकास खंड के सताह गांव से निकलने वाली और आगरा की ओर बहने वाली इस नदी को लंबे समय से खत्म माना जाता रहा है. लेकिन अब इसका पुनरुद्धार हो रहा है. व्यवस्थित संरक्षण और बढ़ते कृषि अतिक्रमण के कारण यह नदी वर्षों से सूखती आ रही है और अपने पीछे जलमग्न और अनुपयोगी भूमि का एक बड़ा हिस्सा छोड़ गई है. लेकिन पूरी तरह से बहाल होने के बाद, नून से 47 गांवों में लगभग 2,800 हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई होने की उम्मीद है. इससे कृषि उत्पादकता को बढ़ावा मिलेगा, लोगों को स्वच्छ पीने का पानी मिलेगा और पशुधन और वन्यजीवों को भोजन मिलेगा.

नदी का 20 किलोमीटर हिस्‍सा बहाल

हाल ही में शेखपुरा गांव के दौरे पर आए डीएम राजेश कुमार पांडे ने स्थानीय खंड विकास अधिकारियों को गाद निकालने के काम को बढ़ाने और जमीनी स्तर पर अधिक लोगों को तैनात करने का निर्देश दिया. डीएम ने कहा कि नदी का 20 किलोमीटर का हिस्सा पहले ही बहाल कर दिया गया है, जबकि जुलाई के पहले सप्ताह में मॉनसून आने से पहले शेष हिस्से को पूरा कर लिया जाएगा. परियोजना का संभावित प्रभाव महत्वपूर्ण है.

87 किलोमीटर तक फैली है नून नदी

सतह गांव के प्रधान हरिकिशोर पटेल कहते है कि नहर के पानी और प्राकृतिक झरनों से पोषित होकर नून नदी स्वतंत्र रूप से बहती थी, लेकिन समय के साथ, इसके आसपास की जमीन पर खेती की जाने लगी और पानी के पास जाने के लिए कोई जगह नहीं बची. नदी के बजाय हमारे पास एक स्थिर दलदल था. नून नदी 87 किलोमीटर तक फैली हुई है और इसके मुहाने से कुछ ही दूरी पर 40 किलोमीटर का क्षेत्र सूख चुका है.

 हजारों एकड़ कृषि भूमि जलमग्न और बंजर हुई

पारिस्थितिकी तंत्र के ढहने से हजारों एकड़ कृषि भूमि जलमग्न और बंजर हो गई, जबकि पीने और सिंचाई के लिए पानी गायब होने लगा, जिससे इस पर निर्भर लोगों की दुर्दशा और भी खराब हो गई. साल 2019 की शुरुआत में ही नदी को पुनर्जीवित करने की दिशा में कदम उठाए गए थे, जिसमें वर्षा जल के बहाव को रोकने के उपाय किए गए और वर्ष 2021 में जिला प्रशासन ने गाद निकालने का काम शुरू किया.

पीएम मोदी ने मन की बात में किया था ज़ि‍क्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नवंबर 2021 में अपने मासिक मन की बात संबोधन में इन प्रयासों की सराहना की थी. जिला मजिस्ट्रेट राजेश कुमार पांडे और जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने श्रमदान या स्वैच्छिक श्रम के रूप में स्थानीय लोगों से मदद मांगी थी. इसके परिणामस्वरूप, प्रभावित क्षेत्रों में ग्राम चौपालों (ग्राम सभाओं) की एक श्रृंखला आयोजित की गई, जिससे किसानों को समाधान सुझाने के लिए एक मंच मिला.

300 से ज्‍यादा लोग साथ जुटे

डीएम राजेश कुमार पांडे ने कहा कि एक बात तो साफ है कि नून नदी को पुनर्जीवित करना सिर्फ़ पर्यावरण की प्राथमिकता नहीं थी- यह क्षेत्र के अस्तित्व के लिए ज़रूरी था. 13 अप्रैल, 2025 को सिंह और पांडे ने प्रतीकात्मक रूप से नदी को साफ करने के लिए ग्रामीणों के साथ मिलकर कुदाल चलाई. तब से, इस आंदोलन ने गति पकड़ी है, स्थानीय लोग इस मुद्दे पर एकजुट होकर नदी के तल से गाद निकालने और उसे साफ करने की पेशकश कर रहे हैं.

अब तक 300 से ज़्यादा लोग नदी के मार्ग को बहाल करने के प्रयास में हिस्सा ले चुके हैं. महेवा गांव के ग्राम प्रधान शंकर सिंह ने कहा कि लोग दिन-रात काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कुकर के पास नून नदी पूरी तरह सूख गई थी और इसका पानी प्रदूषित नाले के ज़रिए अब्दानी नदी में चला गया था. अब, हम एक स्वच्छ, निरंतर प्रवाह को बहाल करने की उम्मीद करते हैं. 

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