देशभर में किसान को बागवानी और औषधीय फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंगलवार को किसानों से गांव-गांव औषधीय फसलों की खेती को बढ़ावा देने की अपील की. उन्होंने
प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय, महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के उद्घाटन समारोह में किसानों से हर्बल खेती और ग्रामीण आय को बढ़ावा देने के लिए 'एक गांव, एक औषधीय पौधा' अभियान शुरू करने का आह्वान किया.
राज्यपाल ने इस बात पर जोर दिया कि नवनिर्मित विश्वविद्यालय राज्य के पूर्वी क्षेत्र पूर्वांचल में आयुर्वेद के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में काम करेगा. उन्होंने परिसर के आसपास के गांवों के किसानों को विशिष्ट औषधीय पौधों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया और सुझाव दिया कि हर गांव किसी विशेष जड़ी-बूटी में विशेषज्ञता हासिल कर सकता है. इससे विविधता को बढ़ावा मिलेगा और बेहतर बिक्री योग्यता हासिल होगी.
उन्होंने कहा कि ऐसी कोशिशों से न केवल आर्थिक फायदा होगा, बल्कि सुरक्षित, दुष्प्रभाव-मुक्त दवाओं के उत्पादन में भी योगदान मिलेगा. आनंदीबेन पटेल ने आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक उपचारों के माध्यम से समाज के सभी वर्गों तक पहुंचने की आवश्यकता पर भी जोर दिया.
उन्होंने आग्रह किया कि डॉक्टरों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी के साथ आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से ऐसे उपचार वितरित किए जाएं. उन्होंने कहा कि विभिन्न चिकित्सा प्रणालियों में प्रगति के बावजूद, यह पूछना महत्वपूर्ण है कि क्या हम वास्तव में सभी तक पहुंच पाए हैं.
इससे पहले उन्होंने सोमवार को बरेली में भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के 11वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए इस बात पर जोर दिया कि शैक्षणिक संस्थानों को सैद्धांतिक ज्ञान से आगे बढ़कर वास्तविक सामाजिक चुनौतियों को हल करने की दिशा में काम करना चाहिए.
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सोमवार को विश्वविद्यालयों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि उनके शोध और नवाचारों से किसानों, महिलाओं और अन्य वंचित समुदायों को सीधा लाभ मिले. उन्होंने कहा, "हमें खुद से पूछना चाहिए - हम कहां खड़े हैं, हमारी ताकत और कमजोरियां क्या हैं, हमारी गंभीर समस्याएं क्या हैं? जब तक हम इन सवालों पर अपना शोध आधारित नहीं करेंगे, तब तक इससे किसी को फायदा नहीं होगा."
पटेल ने इस बात पर जोर दिया कि विश्वविद्यालयों को समाज के उन वर्गों तक ज्ञान का सक्रिय प्रसार करना चाहिए, जिन्हें इसकी सबसे अधिक जरूरत है- खासकर महिलाओं और किसानों तक. कृषि और पशुपालन में अपनी पृष्ठभूमि का हवाला देते हुए राज्यपाल ने कहा कि सार्थक समाधान तभी सामने आ सकते हैं, जब संस्थान समुदायों से सीधे जुड़कर उनकी वास्तविक जरूरतों को समझें. (पीटीआई)
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