नींबू के जैसा दिखने वाला तेंदू फल दिखने में जितना खूबसूरत है, उतना ही गुणकारी भी होता है. इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व कई बीमारियों को दूर करने के लिए उपयोगी माने जाते हैं. इस फल को जंगल का 'राजा' भी कहा जाता है. अभी की स्थिति ये है कि बाजारों में तेंदू फल पहुंचना शुरू हो गया है. यह फल ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है. इसकी बिक्री से अच्छी आमदनी भी होती है. तेंदू फल जनवरी, फरवरी से लेकर अप्रैल के महीने तक पाया जाता है.
ऐसे में अभी पेड़ से फल काफी मात्रा में निकल रहे हैं. तेंदू पेड़ से फल और पत्ते को जुटाकर बिक्री करने से ग्रामीणों की अच्छी आमदनी हो जाती है. साथ ही इसकी दवाइयां भी बनती हैं, जो विभिन्न प्रकार के रोगों में उपचार के लिए काम आती हैं. इसके अलावा इसके पत्तियों से पशुओं का चारा भी बनाया जाता है.
तेंदू के पत्तों से बीड़ी तैयार की जाती है, लेकिन इसका फल सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. तेंदू का पेड़ छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के जंगलों में पाया जाता है. तेंदू का सेहतमंद फल अच्छी कीमत पर बिकता है. इसके अलावा तेंदू के पत्तों से बने चारे की भी खूब डिमांड होती है. इसकी पत्तियों से बने चारे पशुओं के लिए काफी फायदेमंद माने जाते हैं. यही कारण है कि तेंदू की पत्तियों से बने चारे बहुत महंगे बिकते हैं.
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तेंदू फल एक जंगली फल है. ये फल मीठा होने के साथ-साथ स्वादिष्ट भी होता है. इसमें मौजूद मिनरल्स और विटामिन कई गंभीर बीमारियों को दूर रखते हैं. जानकारों का मानना है कि तेंदू पेड़ के छाल की लेप त्वचा के लिए कारगर मानी जाती है. तेंदू पेड़ के फल, छाल, पत्ते और पेड़ से निकलने वाले गोंद का आयुर्वेदिक महत्व है. छाल का काढ़ा उपयोग करने से मुंह संबंधित रोग में जल्द आराम मिलता है. वहीं पेड़ से निकलने वाले गोंद जिसे लासा भी कहते हैं, यह आंखों की रोशनी के लिए उपयोगी माना जाता है. तेंदू फल के सेवन से शुगर कंट्रोल में रहता है. साथ ही तेंदू फल का सेवन करने से पेट संबंधित रोग में भी लाभ मिलता है.
तेंदूपत्ता की खेती में छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश को अव्वल माना जाता है. इन दोनों राज्यों में इसे हरा सोना भी कहा जाता है. इस पत्ते का सबसे ज्यादा उपयोग बीड़ी बनने और पशुओं का चारा बनाने में किया जाता है. पेड़ों से तेंदू पत्ता इकट्ठा करने के बाद इसे सुखा कर बिड़ी बनती है. वहीं इसके हरे पत्ते को काटकर उसका चारा बनाया जाता है. इसकी पत्तियां अच्छे गुणों वाली और पाचन के लिए बेहतर होती हैं. इसकी पत्तियों में विटामिन और खनिज का स्रोत पाया जाता है जिसे खिलाने से पशुओं को फायदा होता है.
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