महाराष्ट्र में कपास की खेती करने वाले किसानों की परेशानी कम नहीं हो रही है. कपास का उचित भाव नहीं मिलने से किसान निराश नजर आ रहे हैं. वहीं वरोरा मंडी में कपास का न्यूनतम दाम 6000, अधिकतम दाम 7701 और औसत दाम 7340 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है. राज्य की कई मंडियों में कॉटन का का दाम 6000 से लेकर 7000 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है. इसके चलते किसान चिंतित हैं. किसानों का कहना है कि प्रति एकड़ कपास की खेती के पीछे उन्होंने 30-35 हजार रुपये खर्च किए हैं तो ऐसे में अगर इतना कम भाव मिलेगा तो कैसे गुजारा होगा.
बता दें कि केंद्र सरकार ने लंबे रेशे वाले कॉटन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 7020 रुपये जबकि मध्यम रेशे वाले की एमएमपी 6620 रुपये क्विंटल तय की हुई है. इससे कम दाम मिलने पर किसानों को घाटा होता है. किसान इस साल भी 2021 और 2022 की तरह का दाम चाहते हैं. तब 9000 से 12000 रुपये क्विंटल तक दाम था. लेकिन किसानों को इस साल 2021 के मुकाबले कपास का दाम कम मिल रहा है. इससे किसान परेशान हैं. महाराष्ट्र देश का प्रमुख कॉटन उत्पादक प्रदेश है लेकिन यहां के किसान ही फसलों के उचित दाम नहीं मिलने से निराश नज़र आ रहे हैं.
विदर्भ और मराठवाड़ा के पिछड़े इलाकों में सोयाबीन के बाद कपास लोकप्रिय फसल है, जिस पर किसान आजीविका के लिए निर्भर हैं. यहां के 115 तहसीलों को कपास उत्पादक क्षेत्रों के रूप में चिन्हित किया गया है. वहीं कपास उगाने वाली 115 तहसीलें राज्य के औरंगाबाद, जालना, परभणी, हिंगोली, नांदेड़, बीड, बुलढाणा, अमरावती, नागपुर, अकोला, यवतमाल, वर्धा, चंद्रपुर, नासिक, धुले, नंदुरबार, जलगाँव और अहमदनगर जिलों में हैं.
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केंद्र सरकार के अनुसार वर्ष 2023-24 में कॉटन का उत्पादन 323.11 लाख गांठ है, जो पिछले साल से कम है. पिछले साल मतलब वर्ष 2022-23 के तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक कॉटन का उत्पादन 343.47 लाख गांठ था. एक गांठ में 170 किलोग्राम की होती है. बताया गया है कि पिछले सप्ताह कपास के उत्पादन में कमी का अनुमान आने के बाद दाम में थोड़ा सुधार की उम्मीद थी लेकिन उतना दाम नहीं मिल रहा है. जितना किसान उम्मीद कर रहा है. एक बार दाम 8300 रुपये तक पहुंचकर फिर से वापस गिरने लगा है. गुलाबी सुंडी के प्रकोप, अलनीनो के असर और अन्य कारणों की वजह से इस बार कपास का उत्पादन कम होने का अनुमान है.
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