किसानों के लिए खुशखबरी है. अब राजस्थान में किसान अपनी बंजर या अनुपयोगी भूमि पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर सकेंगे. इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सौर कृषि आजीविका योजना को मंजूरी दी है. योजना के तहत किसान अपनी बंजर भूमि लीज पर भी दे सकते हैं. योजना के अंतर्गत एक पोर्टल (https://skayrajasthan.org.in/OuterHome/Index ) भी विकसित किया गया है. जहां किसान/भूमि मालिक अपनी जमीन को सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए लीज पर देने हेतु पंजीकृत करा सकते हैं.
भूमि विकासकर्ता किसानों द्वारा पोर्टल पर डाला गया भूमि विवरण देख सकते हैं तथा नियमानुसार सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर सकते हैं. यह योजना पीएम कुसुम योजना की तर्ज पर शुरू की गई है.
आवेदन के लिए किसान को 1180 रुपए देने होंगे. वहीं, विकासकर्ता को एकमुश्त 5900 रुपए फीस के रूप में देने होंगे.
सौर कृषि आजीविका योजना से विकासकर्ता भी संयंत्र स्थापित करने के लिए सुगमता से पीएम कुसुम योजना के तहत केन्द्रीय अनुदान (लागत का 30 प्रतिशत) प्राप्त कर सकेंगे.
राजस्थान सरकार की ओर से भूमि मालिक/किसान, विकासकर्ता तथा संबंधित डिस्कॉम या कंपनी के मध्य त्रिपक्षीय अनुबंध किया जाएगा ताकि भूमि मालिक/किसान को जोखिम से सुरक्षा मिल सके. सरकार का मानना है कि इस निर्णय से सौर ऊर्जा उत्पादन बढ़ने से राजस्थान को एक हरित ऊर्जा राज्य बनाने के लक्ष्य को भी हासिल किया जा सकेगा. ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों पर निर्भरता कम होने से पर्यावरण प्रदूषण का स्तर कम होगा तथा आमजन को राहत मिलेगी.
इस योजना से किसानों को दो मुख्य फायदे होंगे. जिसमें पहला अपनी बंजर या अनुपयोगी भूमि पर खुद सोलर प्लांट लगाकर उससे पैदा हुई बिजली संबंधित डिस्कॉम को 3.40 रुपए प्रति यूनिट बेच सकता है. वहीं दूसरा, सोलर प्लांट के लिए अपनी जमीन किसी कंपनी को किसान 25 साल तक की लीज पर दे सकते हैं. इससे किसानों को सालाना 80 हजार से 1.50 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर तक मिल सकते हैं.
सरकार टेंडर प्रक्रिया से किसानों से बिजली खरीदेगी. इस प्रक्रिया में शर्त होगी कि जमीन डिस्कॉम के 33/11 सब स्टेशन के 5 किलोमीटर की परिधि में हो. इसके लिए किसान को 3.40 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से भुगतान होगा.
योजना के शुरू होने के बाद जिलों में संबंधित डिस्कॉम ने इसे लागू करना शुरू कर दिया है. जैसलमेर में योजना के तहत भूमि चिन्हिकरण का काम हो चुका है. पहले चरण में जिले में 125 स्थानों को सौर ऊर्जा संयंत्र के लिए चिन्हित किया है. सोलर प्लांट की स्थापना के बाद 33/11 केवी जीएसएस के आसपास के जितने भी कृषि उपभोक्ता है, उन सबको सोलर के माध्यम से दिन के समय ज्यादा समय के लिए बिजली मिलेगी. इससे सिंचाई की सुविधा भी किसानों को मिलेगी.
इसी तरह चुरू में कड़वासर और राजगढ़ में चांदगोठी सब स्टेशन को योजना के तहत चिन्हित किया गया है. इसी तरह भरतपुर जिले में भी डिस्कॉम अधिकारियों ने जमीन चिन्हीकरण का काम चालू कर दिया है.
इस योजना से किसानों के साथ-साथ राजस्थान सरकार को भी फायदा होने वाला है. पहला, राज्य सरकार खेती के लिए बिजली बिल पर अतिरिक्त अनुदान देती है. किसानों को खुद की बिजली मिलने से दिए जाने वाली सब्सिडी में कमी आएगी. इससे सरकार का वित्तीय भार कम होगा. इसके अलावा सौर ऊर्जा नीति 2019 के तहत सरकार को 2024-25 तक सौर उर्जा उत्पादन को चार हजार मेगावाट करने में मदद मिलेगी
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