Explained: अर्थव्यवस्था में बड़ा रोल निभाते हैं छोटे मछुआरे, 130 लाख लोगों को मिला है रोजगार

Explained: अर्थव्यवस्था में बड़ा रोल निभाते हैं छोटे मछुआरे, 130 लाख लोगों को मिला है रोजगार

भारत में 130 लाख से अधिक लोगों को मछली पकड़ने के काम में रोजगार मिला हुआ है. 130 लाख लोग किसी न किसी रूप में मछली पकड़ने, बेचने और उससे जीवन यापन करने के काम में लगे हुए हैं. इस मामले में चीन के बाद भारत का दूसरा स्थान है.

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Explained: अर्थव्यवस्था में बड़ा रोल निभाते हैं छोटे मछुआरे, 130 लाख लोगों को मिला है रोजगारमछली पालन और मछली पकड़ने के कारोबार में लाखों लोगों को मिला है रोजगार (सांकेतिक तस्वीर-Freepik)-16:9

देश-दुनिया की अर्थव्यवस्था में छोटे मछुआरों का बड़ा रोल है. ये वही मछुआरे हैं जो बिना किसी भारी और बड़ी मशीन की मदद से मछली पकड़ने का काम करते हैं. छोटे जाल और पारंपरिक तरीके से मछली पकड़कर ये अपना काम चलाते हैं. अर्थव्यवस्था में इन मछुआरों का अहम रोल न केवल भारत में है बल्कि दुनिया में ये बड़ी भूमिका अदा करते हैं. संयुक्त राष्ट्र की संस्था फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (FAO) की एक रिपोर्ट बताती है कि पूरी दुनिया में पकड़ी जाने वाली मछलियों में 40 फीसद हिस्सेदारी स्मॉल स्केल फिशिंग की होती है. ये वही फिशिंग है जिसे छोटे-छोटे मछुआरे नदी, तालाब या झीलों में अंजाम देते हैं.

एफएओ की रिपोर्ट में कहा गया है, पूरी दुनिया में हर साल 920 लाख टन मछलियां पकड़ी जाती हैं. इसमें 370 लाख टन मछलियां छोटे मछुआरे पकड़ते हैं. ये वो मछुआरे हैं जो छोटे स्तर पर मछली पकड़ने का काम करते हैं. इसमें स्मॉल स्केल फिशिंग की हिस्सेदारी 40 परसेंट है जबकि 60 परसेंट मछली पकड़ने का काम बड़े स्तर पर होता है. 

स्मॉल स्केल फिशिंग या छोटे स्तर पर मछली पकड़ने का काम सबसे अधिक अफ्रीका में होता है. अफ्रीका में 66 परसेंट तक स्मॉल स्केल फिशिंग होती है जबकि अमेरिका में यह 32 परसेंट और एशिया में 47 परसेंट है. रोजगार के लिहाज से देखें तो स्मॉल स्केल फिशिंग में सबसे अधिक रोजगार चीन में मिला हुआ है. यहां की साढ़े तीन करोड़ से अधिक की आबादी मछली पकड़ने के काम में लगी है.

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भारत में 130 लाख से अधिक लोगों को मछली पकड़ने के काम में रोजगार मिला हुआ है. 130 लाख लोग किसी न किसी रूप में मछली पकड़ने, बेचने और उससे जीवन यापन करने के काम में लगे हुए हैं. इस मामले में चीन के बाद भारत का दूसरा स्थान है. तीसरे नंबर पर बांग्लादेश आता है जहां लगभग 121 लाख लोग फिशिंग में रोजगार पाए हुए हैं. 47 लाख लोगों के साथ चौथे स्थान पर इंडोनेशिया और 44 लाख रोजगार के साथ पाकिस्तान पांचवें स्थान पर है.

एफएओ की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया में 492 मिलियन लोग छोटे स्तर पर मछली पकड़ने का काम करते हैं. इसके अलावा 600 लाख लोग पार्ट टाइम या फुल टाइम स्मॉल स्केल फिशिंग में लगे हैं. सबसे खास बात ये है कि छोटे स्तर पर मछली पकड़ने के काम में लगे 10 लोगों में से चार महिलाएं हैं. इस आंकड़े से स्पष्ट है कि स्मॉल स्केल फिशिंग में महिलाएं बड़ी भूमिका निभा रही हैं और वे पुरुषों से किसी मामले में पीछे नहीं हैं. 'टाइम्स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट कहती है कि छोटे-छोटे मछुआरों की पकड़ी गई मछलियों का बिजनेस 77 अरब डॉलर का है. 

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इन मछुआरों की पकड़ी गई मछलियां लोगों को पोषण देने में भी बड़ा रोल निभा रही हैं. कैल्शियम, सेलेनियम और जिंक जैसे पोषक तत्वों के लिए मछलियों का सेवन किया जाता है. इसमें वही मछलियां सबसे अहम हैं जिसे छोटे मछुआरे पकड़ते हैं और बाजार-हाट में बेचते हैं. एशिया और अफ्रीका में इन मछलियों से पोषक तत्वों की सबसे अधिक भरपाई होती.

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