रोहतक जिले के कई गांवों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं. खेतों में जमा पानी अब सड़कों, गलियों, स्कूलों और बाकी जगहों पर भी भर गया है. जिले में हजारों एकड़ में लगी धान, बाजरा, कपास और ज्वार की खड़ी फसलें जलभराव के चलते पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं. दूसरी ओर जिला प्रशासन और सिंचाई विभाग अतिरिक्त पानी निकालने के लिए पंपिंग स्टेशन लगा रहा है. आपको बता दें कि देश के दो राज्य पंजाब और हरियाणा इन दिनों भयंकर बाढ़ का सामना करने को मजबूर हैं.
सैमन गांव के करमवीर लोहन के हवाले से अखबार ट्रिब्यून ने लिखा, 'हमारा गांव पूरी तरह पानी में घिर चुका है. सड़कें, गलियां, घर और सार्वजनिक भवन सब पानी में डूबे हैं. खड़ी फसलें चौपट हो गई हैं और ऐसे हालात में गेहूं की बुवाई भी संभव नहीं लग रही.' मेहम, कलानौर और सांपला ब्लॉक के कई गांवों में भी लगातार बारिश और खेतों में जलभराव की वजह से ऐसी ही समस्या बनी हुई है.
स्थिति पर चर्चा के लिए अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) की बैठक सांपला कस्बे में हुई. बैठक के बाद किसान सभा ने प्रभावित किसानों को तुरंत राहत देने और नष्ट हुई फसलों का मुआवजा देने की मांग की. जिला अध्यक्ष प्रीत सिंह ने साल 2022 के अटके फसल क्षति मुआवजे को तुरंत देने की मांग की. वहीं, स्थानीय इकाई के सचिव नवीन कुलताना ने प्रशासन से खेतों से पानी की निकासी की प्रक्रिया तेज करने की अपील की.
इसी बीच, मेहम क्षेत्र के कुछ प्रमुख नागरिकों का एक प्रतिनिधिमंडल रोहतक के उपायुक्त सचिन गुप्ता से मिला और गांवों में बनी बाढ़ जैसी स्थिति की जानकारी दी. इस प्रतिनिधिमंडल में पूर्व विधायक उमेद सिंह, हरियाणा फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स ऑर्गनाइजेशन (HFUCTO) के अध्यक्ष डॉ. विकास सिवाच और कर्नल अशोक शामिल थे. उन्होंने उपायुक्त से जलभराव की इस स्थायी समस्या का स्थायी समाधान खोजने की मांग की.
गांववालों की मांग है कि ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर फसल क्षति दावों को दर्ज करने की अंतिम तारीख बढ़ाई जाए, ताकि प्रभावित किसान अपने नुकसान दर्ज करा सकें. साथ ही पूरे मेहम क्षेत्र को बाढ़ग्रस्त घोषित कर विशेष गिरदावरी (फसलों के नुकसान का आकलन) कराने की भी मांग की गई. यहां यह बात ध्यान देने वाली है कि हरियाणा सरकार ने ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर दावे की तारीख 31 अगस्त से बढ़ाकर 10 सितंबर तक कर दी है.
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