महाराष्‍ट्र में फूलों की खेती करने वाले किसानों के सामने बड़ी मुश्किल! जानें क्‍या है सारा मामला  

महाराष्‍ट्र में फूलों की खेती करने वाले किसानों के सामने बड़ी मुश्किल! जानें क्‍या है सारा मामला  

गणेश उत्सव के दौरान कृत्रिम फूलों की बिक्री बढ़ने से किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. कृषि मंत्री दत्तात्रेय भरणे ने पर्यावरण मंत्री पंकजा मुंडे से इन पर कानूनी रोक लगाने की मांग की है.

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महाराष्‍ट्र में फूलों की खेती करने वाले किसानों के सामने बड़ी मुश्किल! जानें क्‍या है सारा मामला  महाराष्‍ट्र में फूलों की खेती करने वाले किसानों के सामने नया संकट

महाराष्‍ट्र में धूमधाम से गणेश उत्सव मनाया गया लेकिन इसी बीच एक बड़ी चिंता सामने आई है. राज्‍य में गणेशोत्‍सव और बाकी त्योहारों के दौरान बाजारों में आर्टिफिशियल फूलों की बिक्री तेजी से बढ़ रही है. इन फूलों की बढ़ती खपत ने असली फूलों की खेती करने वाले किसानों पर गंभीर असर डाला है. इसी सिलसिले में महाराष्‍ट्र के कृषि मंत्री दत्तात्रेय भरणे ने पर्यावरण मंत्री पंकजा मुंडे को एक चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में उन्‍होंने आर्टिफिशियल फूलों की बिक्री और इस्तेमाल पर तत्काल कानूनी रोक लगाने की मांग की है. 

किसानों को हो रहा नुकसान  

भरणे ने अपनी चिट्ठी में कहा है कि आर्टिफिशियल या कृत्रिम फूलों की वजह से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. फूलों की खेती पहले ही कई कारणों से प्रभावित हो रही है और अब बाजार में प्लास्टिक के फूलों की एंट्री ने स्थिति और बिगाड़ दी है. उन्होंने पर्यावरण मंत्री से आग्रह किया कि किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस पर तुरंत कदम उठाया जाए. फूलों की खेती केवल किसानों तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे जुड़े मजदूर, ट्रांसपोर्टर, व्यापारी और फूल सजावट करने वाले कारीगर भी अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं. अगर यह खेती प्रभावित होती है तो हजारों परिवारों की आजीविका पर सीधा संकट आ जाएगा. 

शहद उत्पादन पर भी खतरा

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि फूलों की खेती सिर्फ फूल उत्पादकों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे कृषि तंत्र के लिए आवश्यक है. फूलों पर बैठने वाली मधुमक्खियां परागण में मदद करती हैं, जिससे अन्य फसलों की पैदावार भी बेहतर होती है. अगर फूलों की खेती घटेगी तो शहद उत्पादन और परागण पर गंभीर असर पड़ेगा. आर्टिफिशियल फूल आमतौर पर प्लास्टिक से बनाए जाते हैं और इनमें इस्तेमाल होने वाले रंग इंसानों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताए गए हैं. इसके अलावा, प्लास्टिक कचरे से पर्यावरण प्रदूषण भी बढ़ता है। यही वजह है कि भरणे ने अपनी चिट्ठी में इस बात पर जोर दिया है कि कृत्रिम फूलों पर तुरंत प्रतिबंध लगाकर किसानों और नागरिकों दोनों के हितों की रक्षा की जाए. 

क्‍या लग पाएगी रोक? 

त्योहारों में सजावट के लिए असली फूलों की जगह आर्टिफिशियल फूलों की बढ़ती खपत किसानों की आजीविका, पर्यावरण और आम जनता के स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बनती जा रही है.  कृषि मंत्री दत्तात्रेय भरणे की इस मांग ने सरकार के सामने एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या परंपरागत खेती और किसानों के हितों की रक्षा के लिए प्लास्टिक के फूलों पर स्थायी रोक लगाई जाएगी?

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