अक्सर राह चलते लोग कई पौधों को रौंदते हुए निकल जाते हैं. ऐसे लोग ये नहीं जानते हैं कि उन पौधे के औषधीय गुण भी हो सकते हैं. उन पौधों को लोग खरपतवार, तो कभी बेकार का झाड़-फूस या फालतू पौधा मानकर उखाड़ फेंकते हैं. वहीं यदि इनके औषधीय गुणों की जानकारी मिल जाए तो लोग समझ पाएंगे कि ये पौधे हमारे लिए कितने काम के हो सकते हैं. ऐसा ही औषधीय गुणों से भरपूर पौधा है पुनर्नवा.
अक्सर यह पौधा हमारे आंगन, बगीचे और घास के मैदानों में उग जाता है. लोग इसे खरपतवार मानकर छोड़ देते हैं, लेकिन यह काफी काम की चीज़ है. आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार, पुनर्नवा अनेक रोगों के लिए एक बेहद उपयोगी औषधि भी है.
पुनर्नवा कई औषधीय गुणों वाला एक देसी पौधा है. इस पौधे की खासियत ये है कि यह पौधा गर्मी के मौसम में सूख जाता है और बरसात के समय फिर से खिल उठता है. इसी वजह से इसका नाम पुनर्नवा रखा गया है. इस पौधे के कई फायदे भी हैं. देश में किडनी की समस्या से जूझ रहे अधिकतर मरीजों के लिए डायलिसिस ही जिंदगी का एक जरिया रह गया है. मगर विशेषज्ञों का दावा है कि पुनर्नवा का सेवन किडनी से जुड़ी बीमारियों के इलाज में संजीवनी का काम करता है. कई रिसर्च भी बताती हैं कि किडनी के मरीजों के लिए पुनर्नवा का सेवन काफी लाभकारी साबित हो सकता है.
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मजे की बात यह है कि मध्यप्रदेश के पातालकोट के आदिवासी इसे जवानी बढ़ाने वाली दवा के रूप में प्रयोग करते हैं. वहीं पुनर्नवा की ताजी जड़ों के रस का दूध के साथ रोज सेवन करने से वृद्ध व्यक्ति भी युवा महसूस करते हैं.
आयुर्वेद में पुनर्नवा का मतलब शरीर को ऊर्जावान बनाना होता है. इससे बने चूर्ण या काढ़े का सेवन सेहत के लिए अच्छा होता है. साथ ही यह पौधा पशुओं की पाचन क्रिया में सहायक होता है. इसे खाने से पशुओं की अपच की समस्या ठीक हो जाती है. आयुर्वेदिक नुस्खों की मानें तो पुनर्नवा की जड़ का काढ़ा बनाकर पीने से आंखों की समस्या से निजात मिलती है. पुनर्नवा की पत्तियों के रस को शहद में मिलाकर आंखों में लगाने से पुराने नेत्र रोग और मोतियाबिंद को नियंत्रित किया जा सकता है. वहीं आंखों की अन्य बीमारियों से भी इसका सेवन छुटकारा दिलवा देता है.
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