अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष को यादगार बनाने के लिए जारी किया गया डाक टिकट और एक सिक्का

अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष को यादगार बनाने के लिए जारी किया गया डाक टिकट और एक सिक्का

2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में यादगार बनाने के लिए डाक टिकट और एक सिक्का भी जारी किया. उन्होंने बताया कि भारत मोटे अनाज का प्रमुख केंद्र है, साथ ही वैश्विक जरूरतों को पूरा करने में भी सक्षम हो सकता है. इस वैश्विक सम्मेलन में उत्पादकों, उपभोक्ताओं व अन्य हितधारकों के बीच पोषक अनाज के प्रचार और जागरूकता, पोषक अनाज की वैल्यू चेन डिवेलपमेंट, पोषक अनाज के स्वास्थ्य और पोषण संबंधी पहलू, बाजार संपर्क, अनुसंधान और विकास आदि जैसे श्री अन्न से जुड़े सभी महत्वपूर्ण मुद्दो पर सत्र आयोजित किए गए.

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अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष को यादगार बनाने के लिए जारी किया गया डाक टिकट और एक सिक्कादेश में मोटे अनाज की बढ़ती मांग

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर में आयोजित मोटे अनाज पर दो दिवसीय ग्लोबल मिलेट कान्फ्रेंस का समापन हुआ है. जिसमें चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर काम्बोज ने प्रत्यक्ष रूप से भाग लिया. इसके अलावा विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशालय, विस्तार शिक्षा निदेशालय, कृषि महाविद्यालय एवं गृह विज्ञान महाविद्यालय के वैज्ञानिक, प्राध्यापक एवं शोधार्थी, किसान, स्वयं सहायता समूहों के सदस्य एवं कृषि व्यवसाय स्टार्टअप युवा, जो शोध कार्य कर रहे हैं. बाजरा पर, वर्चुअल माध्यम से इस सम्मेलन में शामिल हों और वर्तमान समय में मोटे अनाज वाली फसलों की खेती सहित स्वास्थ्य से जुड़े विषयों, मोटे अनाज के महत्व, उपयोगिता, पोषक गुणों पर देश के प्रमुख वक्ताओं के विचार जानें.

प्रधानमंत्री ने दी मोटे अनाजों को नई पहचान

कुलपति बी.आर काम्बोज ने बताया कि इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मोटे अनाजों को श्री अन्न की पहचान दी गई. इतना ही नहीं वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में यादगार बनाने के लिए डाक टिकट और एक सिक्का भी जारी किया. उन्होंने बताया कि भारत मोटे अनाज का प्रमुख केंद्र है, साथ ही वैश्विक जरूरतों को पूरा करने में भी सक्षम हो सकता है. इस वैश्विक सम्मेलन में उत्पादकों, उपभोक्ताओं व अन्य हितधारकों के बीच पोषक अनाज के प्रचार और जागरूकता, पोषक अनाज की वैल्यू चेन डिवेलपमेंट, पोषक अनाज के स्वास्थ्य और पोषण संबंधी पहलू, बाजार संपर्क, अनुसंधान और विकास आदि जैसे श्री अन्न से जुड़े सभी महत्वपूर्ण मुद्दो पर सत्र आयोजित किए गए.

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13 राज्यों में की जा रही है मोटे अनाजों की खेती

अनुसंधान निदेशक डॉ. जीतराम शर्मा ने बताया कि भारत में मिलेट फसलें मुख्य रूप से 13 राज्यों में उगाई जाती है. देश में मोटे अनाज की खपत प्रति व्यक्ति 2-3 किलोग्राम प्रति माह से अधिक नहीं थी. लेकिन अब जागरूकता के कारण बढ़ रही है. हरियाणा राज्य में लगभग 4.5 लाख हैक्टेयर भूमि पर बाजरा और 0.70 लाख हैक्टेयर भूमि पर ज्वार की खेती की जाती है. हरियाणा में बाजरा व ज्वार उत्पादकता क्रमश: 2017 और 528 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर है. उन्होंने बताया कि मोटे अनाज अधिक पोष्टिक आहार है, जिसमें प्रोटीन, फैटी एसिड, फाइबर, विटामिन-बी, कैल्शियम, लोहा, जस्ता पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे खनिज होते है, जोकि मधुमेह, रक्तचाप संबंधित बीमारी, थायराइड, हृदय सहित अनेक रोगों में लाभदायक है.

देश में बढ़ रही मोटे अनाजों की पैदावार

कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एसके पाहुजा ने बताया कि वर्तमान समय की मांग है कि मोटे अनाज की पैदावार बढ़ाकर उनकी उपयोगिता व पोषण तत्वों के बारे में हर व्यक्ति को जागरूक किया जाए. सम्मेलन में विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. बलवान सिंह मंडल, बायोटेक्नोलॉजी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. सुधीर कुमार व अन्य विभागों के विभागाध्यक्ष मौजूद रहे. इस सम्मेलन में बाजरा अनुभाग के अध्यक्ष डॉ. अनिल यादव व बाजरा प्रजनक डॉ. देवव्रत, ज्वार फसल के वैज्ञानिक डॉ. पम्मी कुमारी, डॉ. सतपाल, डॉ. बजरंग लाल शर्मा, फूड एंड न्यूट्रिशियन विभाग की अध्यक्ष डॉ. संगीता सिंधू व वैज्ञानिक डॉ. उर्वशी नांदल सहित अन्य वैज्ञानिकों, शोधार्थियों व मिलेट पर काम करने वाले किसानों ने भी वर्चुअल माध्यम से भाग लिया.

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