
राजस्थान में अब कुल 44 वेटलैंड यानी आर्द्रभूमि हैं. इनमें सबसे ज्यादा 12 वेटलैंड बारां जिले में हैं. वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से 19 जिलों इन 44 वेटलैंड्स की अधिसूचित सूची जारी की गई है. 44 वेटलैंड्स से राज्य में पारिस्थिकीय तंत्र मजबूत होगा और वन्यजीवों के लिए बेहतर भोजन उपलब्ध हो सकेगा.
इन वेटलैंड्स में शिकार, उद्योग लगाने, प्रवासी पक्षियों को दाना डालने जैसी कई गतिविधियों पर रोक रहेगी.
वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव शिखर अग्रवाल ने वेटलैंड्स के बारे में ज्यादा जानकारी दी. वे बताते हैं कि बारां ज़िले में एकलेरा सागर, कोटरापार तालाब, बेथाली डैम, हिंगलोत डैम,उतावली डैम,सेहरोल डैम,गरड़ा तालाब,नियाना तलाई,नाहरगढ़,तेजा जी की तलाई,पुष्कर तालाब,ल्हासी डैम, बीकानेर जिले में देवी कुंड सागर और सूरसागर हैं. वहीं, बूंदी जिले में नवल सागर लेक, चित्तौडग़ढ़ ज़िले में मंगलवाड़ तालाब, किशन कारेरी,बड़वई लेक,गम्भीरी डैम, डूंगरपुर ज़िले में साबेला तालाब, जोधपुर जिला अंतर्गत कायलाना व सूरपुरा,कोटा अंतर्गत पक्षी विहार केनवास,किशोर सागर, हनोतिया वेटलैंड्स शामिल हैं.
इसके अलावा नागौर ज़िले में डीडवाना (खाल्दा), पाली ज़िले में लखोटिया तालाब एवं लोरडिया तालाब, राजसमंद जिला अन्तर्गत राज्यावास एवं राघव सागर, सीकर ज़िले में रेवासा, टोंक ज़िले में बुद्धसागर,बीसलपुर ,चंदलाई,मोतीसागर,गलवानिया,टोरडी सागर वेटलैंड हैं.
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साथ ही उदयपुर ज़िले में मेनार तालाब वेटलैंड काम्प्लेक्स, भीलवाड़ा ज़िले में चावण्डिया, प्रतापगढ़ ज़िले में केसरियावाड़, सिरोही ज़िले में लाखेराव तालाब, अजमेर ज़िले में बड़ा तालाब, जालोर ज़िले में रनखार, झालावाड़ ज़िले में बड़बेला तालाबों को प्रदेश के वेटलैंड्स में शामिल किया गया है.
विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार आर्द्रभूमि क्षेत्र और आस-पास के क्षेत्र में किसी भी प्रकार का अतिक्रमण नहीं किया जाएगा. साथ ही किसी भी प्रकार का नया उद्योग स्थापित करने एवं मौजूदा उद्योगों के विस्तार पर भी प्रतिबंध रहेगा. इसी के साथ, ठोस, खतरनाक व ई- अपशिष्ट पदार्थों के संग्रहण एवं निष्कासन पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा. मछलियों एवं माइग्रेटरी पक्षियों को आमजन की ओर से दिए जाने वाले खाद्य पदार्थों पर भी इन वेटलैंड्स पर रोक रहेगी.
वहीं, वाणिज्यिक खनन, पत्थर उत्खनन के साथ क्रशिंग इकाइयों और किसी भी तरह के शिकार पर पाबंदी रहेगी. वेटलैंड्स क्षेत्र एवं क्षमता को कम करने वाली गतिविधियों सहित प्रदूषण उत्सर्जन करने वाली सभी वाणिज्यिक गतिविधियां भी यहां प्रतिबंधित रहेंगी. इसके अलावा इन जगहों से किसी भी प्रकार की भूजल निकासी नहीं की जा सकेगी.
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वेटलैंड्स में कई तरह की पाबंदियां रहती हैं, लेकिन अधिसूचना के अनुसार वेटलैंड्स क्षेत्र में मछली पालन,नावों के चलने, डिसिल्टिंग,अस्थायी निर्माण, विशेष उद्देश्य के लिए पानी की निकासी पर किसी तरह की रोक नहीं है. ये काम पहले की तरह ही किए जा सकेंगे.
"किडनी ऑफ़ द लैंडस्केप" एवं बायोलॉजिकल सुपरमार्केट" के नाम से पहचाने जाने वाली ऐसी नम एवं दलदली भूमि,जो वर्ष भर आंशिक रूप से या पूरी तरह पानी से भरा रहता है. वेटलैंड्स वो पारिस्थितिकीय तंत्र हैं जो बाढ़ के दौरान जल की अधिकता को सोख लेते हैं. इससे इंसानी बस्ती वाले क्षेत्रों में जलभराव नहीं होता. इतना ही नहीं वेटलैंड्स के कारण ‘कार्बन अवशोषण’ व ‘भू-जल स्तर’ में भी बढ़ोतरी होती है.
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