Navratri 2023: नवरात्रि में क्यों उगाए जाते हैं जौ, जानिए इसके पीछे का कान्सैप्ट और इसे उगाने का आसान तरीका

Navratri 2023: नवरात्रि में क्यों उगाए जाते हैं जौ, जानिए इसके पीछे का कान्सैप्ट और इसे उगाने का आसान तरीका

हिंदू धर्म में जौ को देवी अन्नपूर्णा का प्रतीक माना जाता है. यह एक पौराणिक मान्यता है कि जब भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड का निर्माण किया, तो वनस्पतियों के बीच उगने वाली पहली फसल जौ या ज्वार थी. इसे पूर्ण फसल भी कहा जाता है. यही कारण है कि नवरात्रि के पहले दिन यानी कलश स्थापना के साथ ही जौ बोने का भी महत्व है.

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Navratri 2023: नवरात्रि में क्यों उगाए जाते हैं जौ, जानिए इसके पीछे का कान्सैप्ट और इसे उगाने का आसान तरीकानवरात्रि में क्यों उगाई जाती है जौ, जानिए यहां

हिंदू धर्म में नवरात्रि के त्योहार का विशेष महत्व है. पूरे वर्ष में चार बार नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है. अक्टूबर या नवंबर माह में मनाई जाने वाली शरद नवरात्रि का विशेष महत्व होता है. हालाँकि, हर नवरात्रि की अपनी-अपनी मान्यताएँ होती हैं. लेकिन शरद नवरात्रि पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है. नवरात्रि के दौरान देवी भगवती के नौ रूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है और व्रत रखे जाते हैं. इस त्यौहार में जौ या ज्वार का बहुत महत्व है. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के दिन घरों और मंदिरों में जौ बोने का महत्व है. जौ के बिना नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि नवरात्रि में जौ क्यों बोया जाता है? जानिए इसका रहस्य और इससे जुड़ी धार्मिक मान्यताएं.

क्यों उगाया जाता है जौ

हिंदू धर्म में जौ को देवी अन्नपूर्णा का प्रतीक माना जाता है. यह एक पौराणिक मान्यता है कि जब भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड का निर्माण किया, तो वनस्पतियों के बीच उगने वाली पहली फसल जौ या ज्वार थी. इसे पूर्ण फसल भी कहा जाता है. यही कारण है कि नवरात्रि के पहले दिन यानी कलश स्थापना के साथ ही जौ बोने का भी महत्व है. जौ बोने के साथ ही कलश स्थापना की जाती है. ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि में जौ बोने से देवी भगवती प्रसन्न होती हैं और देवी दुर्गा के साथ-साथ देवी अन्नपूर्णा और भगवान ब्रह्मा का भी आशीर्वाद मिलता है. नवरात्रि में बोए गए जौ के उगने के बाद उससे शुभ और अशुभ संकेतों का पता लगाया जाता है. इसके अलावा देवी-देवताओं की पूजा, हवन या किसी विशेष अनुष्ठान के दौरान भी जौ अर्पित किए जाते हैं.

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क्या है इसके पीछे का कान्सैप्ट

रबी मौसम में जौ बोया जाता है. अर्थात जौ की बुआई अक्टूबर माह में प्रारम्भ हो जाती है. ऐसे में लोग नवरात्रि से पहले सबसे पहले जौ के बीज बोते हैं और यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि इस साल कितनी पैदावार होगी. इसके अलावा, भगवान को एक तरह का प्रसाद भी लगाया जाता है. ताकि फसल प पर भगवान की कृपा बनी रहे. यह एक टेस्टिंग विधि है. जहां कम जगहों में बीज की उपजाऊ क्षमता और गुणवत्ता दोनों चेक की जाती है. 

इस साल 2023 कब है नवरात्रि?

इस साल नवरात्रि रविवार 15 अक्टूबर 2023 से शुरू हो रही है. मंगलवार 23 अक्टूबर 2023 को नवरात्रि समाप्त होगी. वहीं, 24 अक्टूबर विजयादशमी या दशहरा का पर्व मनाया जाएगा. आश्विन माह की प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर 2023 की रात 11:24 मिनट से शुरू होगी. ये 15 अक्टूबर की दोपहर 12:32 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर से होगी.

नवरात्रि में जौ उगाने का आसान तरीका

  • सबसे पहले जौ के बीजों को 6-8 घंटे के लिए पानी में भिगोकर रखें.
  • एक छोटा बर्तन या ट्रे लें और उसे मिट्टी या बालू से भर दें.
  • भीगे हुए जौ के बीजों को मिट्टी पर समान रूप से छिड़कें और उन्हें मिट्टी या बालू की एक पतली परत से ढक दें.
  • मिट्टी/बालू को धीरे से पानी दें, ध्यान रखें कि बीजों को नुकसान न पहुंचे.
  • बर्तन या ट्रे को धूप वाले स्थान पर रखें, या खिड़की के पास जहाँ उसे सूरज की रोशनी मिल सके.
  • मिट्टी/बालू को पूरी तरह सूखने से बचाने के लिए नियमित रूप से पानी दें.
  • कुछ ही दिनों में, आप देखेंगे कि जौ के बीज अंकुरित होने शुरू हो जाएंगे.
  • अंकुरों को नियमित रूप से पानी देना जारी रखें, और लगभग 7-10 दिनों में, आपके पास पूरी तरह से विकसित जौ के अंकुर उपयोग के लिए तैयार होंगे.
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