राष्ट्रीय एफपीओ समागम 2025भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की तरफ से आयोजित राष्ट्रीय एफपीओ समागम 2025 का मुख्य उद्देश्य किसानों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना है. यह आयोजन 10,000 किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) के गठन और संवर्धन योजना के तहत मिली उपलब्धियों का उत्सव है. कार्यक्रम का मकसद नवाचार, सहयोग, तकनीकी विकास और बाज़ार संपर्कों के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाना और कृषि को और अधिक टिकाऊ बनाना है.
यह दो दिवसीय आयोजन 30–31 अक्टूबर 2025 को एनसीडीसी और एनसीयूआई परिसर, हौज़ खास, नई दिल्ली में हो रहा है. इसमें 24 राज्यों और 140 जिलों से आए 500 से अधिक किसान, कार्यान्वयन एजेंसियां (IA), क्लस्टर आधारित व्यावसायिक संगठन (CBBO) और प्रगतिशील एफपीओ शामिल हो रहे हैं.
समागम में कुल 267 एफपीओ अपने उत्पादों और नवाचारों का प्रदर्शन करेंगे. इनमें से 57 एफपीओ स्टॉल एनसीडीसी परिसर में लगाए जाएंगे, जहाँ देशभर की कृषि विविधता को प्रदर्शित किया जाएगा.
प्रदर्शनी में ये उत्पाद शामिल होंगे:
यह प्रदर्शनी "एक भारत - एक कृषि" की भावना को दर्शाती है- जहां देश के अलग-अलग हिस्सों के किसान एकजुट होकर एक मजबूत और बाज़ार उन्मुख कृषि अर्थव्यवस्था का निर्माण कर रहे हैं.
एफपीओ समागम 2025 में कई महत्वपूर्ण कृषि विषयों पर तकनीकी सत्र और पैनल चर्चाएँ आयोजित होंगी. इनमें शामिल विषय हैं:
कार्यक्रम में उच्च प्रदर्शन करने वाले एफपीओ, सीबीबीओ और कार्यान्वयन एजेंसियों को भी सम्मानित किया जाएगा. यह सम्मान किसानों के संगठन, व्यावसायिक उपलब्धियों और डिजिटल नवाचारों में उनकी भूमिका को सराहने के लिए दिया जाएगा.
इस समागम में एक विशेष क्रेता-विक्रेता बैठक (Buyer-Seller Meet) भी आयोजित की जाएगी. इसका उद्देश्य किसानों, कृषि-उद्योगों और ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के बीच सीधा संपर्क स्थापित करना है. इससे किसानों को अपने उत्पादों के बेहतर दाम और ग्रामीण उद्यमियों को नए व्यावसायिक अवसर मिलेंगे.
राष्ट्रीय एफपीओ कॉन्क्लेव 2025 सिर्फ़ एक आयोजन नहीं, बल्कि किसान उद्यमिता और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प का उत्सव है. यह दर्शाता है कि कैसे सामूहिक प्रयास, तकनीकी नवाचार और डिजिटल समावेशन ग्रामीण भारत में आर्थिक परिवर्तन की नई दिशा गढ़ रहे हैं. यह आयोजन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के उस दृष्टिकोण का प्रतीक है जिसमें किसानों को उत्पादक, प्रदाता और भागीदार के रूप में भारत की कृषि अर्थव्यवस्था के केंद्र में रखा गया है.
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