Rabi Season Crop: रबी सीजन में 4.5 लाख हेक्टेयर तक बढ़ा दलहन का रकबा, बढ़ोतरी का ये है अहम फैक्टर

Rabi Season Crop: रबी सीजन में 4.5 लाख हेक्टेयर तक बढ़ा दलहन का रकबा, बढ़ोतरी का ये है अहम फैक्टर

रबी सीजन की प्रमुख दलहन फसल, चना, 24 अक्टूबर तक 3.19 लाख हेक्टेयर में बोई जा चुकी है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 2.89 लाख हेक्टेयर से 10.38 प्रतिशत अधिक है. हालांकि, मसूर की खेती का रकबा पिछले साल की इसी अवधि के 0.69 लाख हेक्टेयर से लगभग 29 प्रतिशत कम होकर 0.49 लाख हेक्टेयर रह गया है.

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रबी सीजन में 4.5 लाख हेक्टेयर तक बढ़ा दलहन का रकबा, बढ़ोतरी का ये है अहम फैक्टररबी दलहन की शुरुआती बुवाई का रकबा बढ़ा (सांकेतिक तस्‍वीर)

देश भर के किसानों ने 24 अक्टूबर तक लगभग 4.5 लाख हेक्टेयर में चना और मसूर जैसी रबी दालों की बुवाई की है, जो पिछले साल की इसी अवधि के 4.38 लाख हेक्टेयर से 2.74 प्रतिशत अधिक है. रबी सीजन की प्रमुख दलहन फसल, चना, 24 अक्टूबर तक 3.19 लाख हेक्टेयर में बोई जा चुकी है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 2.89 लाख हेक्टेयर से 10.38 प्रतिशत अधिक है. लंबे समय तक चले मानसून के कारण मिट्टी में नमी का स्तर बढ़ा है और यह किसानों के लिए रबी की बुवाई के लिए अनुकूल माना जा रहा है. इसके अलावा, जलाशयों में पानी का स्तर बढ़ने से भी इस रुझान को बल मिल रहा है.

अच्छी कीमतों से प्रोत्साहित किसान

रबी सीजन के लिए, केंद्र ने चने के लिए ₹5,875 प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया है, जो पिछले सीज़न से ₹225 ज़्यादा है. इसी तरह, मसूर दालों का एमएसपी ₹300 बढ़ाकर ₹7,000 प्रति क्विंटल कर दिया गया है. उत्तर भारत के अलग-अलग बाजारों में मसूर की कीमतें गुणवत्ता के आधार पर 5,600-8,000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रही हैं. इसी प्रकार, विभिन्न बाज़ारों में चना की कीमतें गुणवत्ता के आधार पर 5,000-6,000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रही हैं. कीमतों के ये सकारात्मक संकेत किसानों को रबी सीजन में दलहन बुवाई की ओर प्रोत्साहित कर रहे हैं.

मसूर और मटर का रकबा घटा

हालांकि, मसूर की खेती का रकबा पिछले साल की इसी अवधि के 0.69 लाख हेक्टेयर से लगभग 29 प्रतिशत कम होकर 0.49 लाख हेक्टेयर रह गया है. इसी तरह कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मटर की खेती का रकबा भी 28 प्रतिशत घटकर 0.36 लाख हेक्टेयर (पिछले वर्ष इसी अवधि में 0.5 लाख हेक्टेयर) रह गया है. अंग्रेजी अखबार 'बिजनेस लाइन' की एक रिपोर्ट में आईग्रेन इंडिया के राहुल चौहान ने कहा कि अच्छी बारिश के कारण कई राज्यों में मिट्टी की नमी बढ़िया है. जिन इलाकों में नमी का स्तर ज़्यादा है, वहां किसान गेहूं बोना पसंद कर सकते हैं, क्योंकि मसूर की तुलना में गेहूं के दाम साल भर अच्छे रहे हैं. इसके अलावा, सामान्य से ज़्यादा ठंड पड़ने के अनुमान के कारण किसान इस रबी सीज़न में गेहूं बोने को तरजीह दे सकते हैं.

धान, दलहन, मक्का और गन्ने का रकबा बढ़ा

वहीं इससे पहले कुछ सैटेलाइट आधारित फसल सर्वेक्षण रिपोर्ट भी ये कह रही थी कि इस साल खरीफ फसलों के उत्पादन पर अगस्त-सितंबर में हुई बेमौसम भारी बारिश और बाढ़ बहुत ही कम प्रभाव दिखा रही हैं. कृषि मंत्रालय ने इस महीने की शुरुआत में बताया था कि 3 अक्टूबर तक सभी खरीफ फसलों की बुवाई का रकबा 1121.46 लाख हेक्टेयर था, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह रकबा 1114.95 लाख हेक्टेयर था. धान, दलहन, मक्का और गन्ने की बुवाई का रकबा पिछले साल की समान अवधि की तुलना में ज़्यादा रहा.

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