तीन दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन लिविंग विद नेचर सॉइल, वाटर, और सोसाइटी इन इकोसिस्टम कंजर्वेशन (LNSWSEC-2024) हिमालयन कल्चरल सेंटर, देहरादून में आयोजित किया गया. पहले दिन इस क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले 25 वैज्ञानिकों को सम्मानित किया.
गुरूवार को उत्तराखंड विधानसभा की स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण ने नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन लिविंग विद नेचर का बतौर मुख्य अतिथि शुभारंभ किया. इस मौके पर उन्होंने शोध को व्यावहारिक प्रयोगों में परिवर्तित करने के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने जोर देकर कहा कि शोध से किसानों और हितधारकों को लाभान्वित हों इसी में ही शोध कार्य की सार्थकता है. कहा कि इस प्रकार के आयोजन शैक्षणिक प्रकाशनों और पुरस्कारों तक सीमित न रहें. उन्होंने उत्तराखंड के लोगों और किसानों की सक्रिय प्रकृति को उजागर किया और संसाधनों के संरक्षण और आजीविका को बढ़ाने के लिए स्पष्ट, वैज्ञानिक रूप से समर्थित मार्गदर्शन की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने पारंपरिक ज्ञान, संस्कृति और बुजुर्गों की बुद्धिमत्ता को आधुनिक संरक्षण प्रथाओं में एकीकृत करने के महत्व पर भी जोर दिया ताकि प्रकृति के साथ सतत जीवन को बढ़ावा दिया जा सके.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का सम्मेलन की सफलता और उत्पादक विचार-विमर्श की कामना करते हुए संदेश उपस्थित लोगों को सुनाया गया. डॉ. दुर्गेश पंत, यूकॉस्ट के महानिदेशक, ने उत्तराखंड को ष्सॉल्यूशन स्टेटष् के रूप में वर्णित किया क्योंकि यहां के प्रतिष्ठित संस्थानों में महत्वपूर्ण ज्ञान मिलता है.
नाबार्ड देहरादून के महाप्रबंधक डॉ. सुमन कुमार ने प्रौद्योगिकी विकास और प्रसार में नाबार्ड की भूमिका पर चर्चा की. जलग्रहण प्रबंधन निदेशालय, देहरादून की परियोजना निदेशक सुश्री नीना ग्रेवाल भी माननीय अतिथि के रूप में उपस्थित थीं.
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ICAR-IISWC निदेशक और आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. एम. मधु ने ICAR-IISWC और तकनीकी उपलब्धियों को प्रस्तुत किया और प्रकृति के साथ रहने के महत्व पर इस सम्मेलन के आयोजन के महत्व पर प्रकाश डाला. सम्मेलन के आयोजन सचिव, इंजीनियर एस.एस. श्रीमाली और डॉ. राजेश कौशल ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और तीन दिवसीय कार्यक्रम के कार्यक्रम का विवरण दिया.
उद्घाटन के दौरान, 25 वैज्ञानिकों को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया. विभिन्न अनुसंधान संगठनों, प्रायोजकों और विकास एजेंसियों के स्टालों की प्रदर्शनी का उद्घाटन उपस्थित लोगों के लिए किया गया.
इस सम्मेलन को 12 से अधिक क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा प्रायोजित किया गया है, जिसमें ICAR, जल शक्ति मंत्रालय, भूमि संसाधन विभाग, अंतर्राष्ट्रीय जल प्रबंधन संस्थान (IWMI), नई दिल्ली, राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA), चेन्नई, पौध किस्म और किसान अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (PPVFRA),नई दिल्ली, यूकॉस्ट, यूएसईआरसी, जलग्रहण प्रबंधन निदेशालय, देहरादून, अंतर्राष्ट्रीय बांस और रतन संगठन (INBAR), साथ ही IASWC और ICAR-IISWC देहरादून शामिल हैं.
इस सम्मेलन मेंICAR संस्थानों, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, राष्ट्रीय एजेंसियों जैसे NBA और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों जैसे INBAR .और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों जैसे प्छठ.त् से लगभग 350 वैज्ञानिक और विद्वान, साथ ही राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से 150 प्रगतिशील किसान भाग ले रहे हैं. वे वैज्ञानिकों के साथ बातचीत कर रहे हैं और नई ज्ञान और तकनीकों को प्राप्त करने के लिए प्रदर्शनी स्टालों का अन्वेषण कर रहे हैं.
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