केंद्र सरकार द्वारा सब्जियों और अन्य नकदी फसलों को एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के लिए पात्र फसलों की सूची से बाहर करने पर बागवानी की खेती करने वाले पंजाब के किसान नाराज हो गए हैं. ऐसे में मलेरकोटला के किसान महासंघ के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने सोमवार से ‘किसान मोर्चा’ में शामिल होने की घोषणा की है. महासंघ के अध्यक्ष महमूद अख्तर शाद किसानों के पहले जत्थे का नेतृत्व करेंगे जो सोमवार सुबह क्षेत्र से रवाना होगा.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि क्षेत्र के 5,000 से अधिक सब्जी उत्पादक और सीमांत किसान अपनी लंबित वास्तविक मांगों के प्रति केंद्र सरकार और पंजाब सरकार की उदासीनता से परेशान हैं. शाद ने कहा कि नियमित रूप से हमारी मांगों को पूरा करने में विफल रहने के बाद, हमने सोमवार से शंभू में किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि सब्जियों और कई नकदी फसलों को एमएसपी के लिए पात्र फसलों की सूची में शामिल न करना विरोध में शामिल होने के फैसले के पीछे तत्काल कारण था.
ये भी पढ़ें- शंभू बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों पर हमला, किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने भाजपा नेताओं पर लगाए गंभीर आरोप
शाद ने कहा कि महासंघ के सदस्य इस बात से परेशान हैं कि लगातार सरकारें उनके लंबित मुद्दों का समाधान करने में विफल रही हैं. ऐसे में कुछ दशकों से उनकी वित्तीय स्थिति खराब होती जा रही है. उन्होंने इस बात की सराहना करते हुए कि किसानों ने सरकारों से न्याय पाने के लिए संगठित संघर्ष में शामिल होने की आवश्यकता को समझा है. शाद ने दावा किया कि पहले सप्ताह के लिए रोस्टर पहले ही स्वीकृत हो चुका है, जिसके अनुसार 31 सदस्यों का एक समूह अपनी मांगें स्वीकार होने तक हर रोज शंभू बॉर्डर पहुंचेगा.
कार्यकर्ता खलील मोहम्मद ने अफसोस जताया कि छोटे खेतों में सब्जियां उगाना अब कथित तौर पर सरकारों की उदासीनता के कारण एक लाभदायक और सम्मानजनक पेशा नहीं रह गया है. मोहम्मद ने कहा कि इससे भी अधिक अजीब बात यह है कि हमें अपनी उपज बेचने के लिए एक इलाके से दूसरे इलाके में जाना पड़ता है, जिसे हमारे परिवार के दस सदस्य अपने खेतों में अथक परिश्रम से उगाते हैं.
ये भी पढ़ें- Farmers Income: पंजाब के किसानों की बढ़ेगी इनकम, अब पठानकोट की लीची का विदेशों में होगा निर्यात, जानें सरकार का प्लान
उन्होंने कहा कि चार पुरुष सदस्य साइकिल पर एक इलाके से दूसरे इलाके में जाकर सब्जियां बेचते हैं. ये किसान, जो किसान संगठनों के किसी भी घटक के सदस्य नहीं हैं, ने हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव से पहले अपनी मांगों को अपने (राजनीतिक दलों) घोषणापत्र का हिस्सा बनाने के लिए प्रमुख राजनीतिक दलों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की थी, लेकिन केंद्र और राज्य में सत्ताधारी दलों सहित किसी भी प्रमुख राजनीतिक दल ने ऐसा करने की जहमत नहीं उठाई. उन्होंने अब किसानों के आंदोलन का हिस्सा बनने और अपनी मांगों को एसकेएम की मुख्य मांगों में शामिल कराने का फैसला किया है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today