बेसिल पास्ता और तुलसी वाली चाय, बेसिल करी और तुलसी की पूजा, अब आप कहेंगे कि तुलसी को तो अंग्रेजी में बेसिल ही कहते हैं फिर यह पास्ता वाली बेसिल से अलग क्यों होती है? भारत में जब भी औषधीय पौधों की बात होती है तो सबसे पहले नाम आता है तुलसी का. वहीं, पश्चिमी देशों में खाना पकाने और हर्बल उपचारों के लिए बेसिल का इस्तेमाल खूब होता है. दिखने में दोनों पौधे काफी हद तक मिलते-जुलते हैं, लेकिन वास्तव में इनके बीच कई अंतर हैं. यह अंतर केवल स्वाद या रूप-रंग तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इनके सांस्कृतिक, औषधीय और पाक महत्व में भी साफ नजर आता है.
तुलसी भारतीय उपमहाद्वीप की देन है और इसे हिंदू संस्कृति में देवी का रूप माना गया है. घरों के आंगन में तुलसी का पौधा लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. भारत में धार्मिक दृष्टि से इसे पवित्र माना जाता है और पूजा-अर्चना में इसका विशेष महत्व है. इसलिए आपको हर हिंदू घर में एक तुलसी का पौधा जरूर मिलेगा.
इससे अलग बेसिल मुख्य तौर पर भूमध्यसागरीय क्षेत्र और यूरोप से जुड़ा हुआ पौधा है. भारत में तुलसी का प्रयोग दवाई के तौर पर होता है तो यूरोप में बेसिल का प्रयोग औषधीय और पाक जड़ी-बूटी के रूप में लोकप्रिय है. इसे 'किंग ऑफ हर्ब्स' भी कहा जाता है. तुलसी और बेसिल दोनों ही औषधीय व पौष्टिक गुणों से भरपूर पौधे हैं. तुलसी भारतीय परंपरा और आध्यात्मिकता से गहराई से जुड़ी है, जबकि बेसिल का अधिक संबंध अंतरराष्ट्रीय पाक शैली और पश्चिमी चिकित्सा से है.
तुलसी का वैज्ञानिक नाम Ocimum tenuiflorum या Ocimum sanctum है, जबकि बेसिल का वैज्ञानिक नाम Ocimum basilicum है. दोनों एक ही मिंट फैमिली Lamiaceae से संबंधित हैं लेकिन अलग-अलग प्रजातियां हैं. तुलसी की कई किस्में भारत में पाई जाती हैं, जैसे – राम तुलसी, श्याम तुलसी, वन तुलसी आदि. वहीं बेसिल की किस्मों में स्वीट बेसिल, थाई बेसिल, लेमन बेसिल और होली बेसिल (जो तुलसी के करीब है) शामिल हैं.
तुलसी की पत्तियों में तीखा, हल्का कड़वा और औषधीय स्वाद होता है. इसे सीधे खाने की बजाय औषधियों और काढ़े में ज्यादा प्रयोग किया जाता है. जबकि बेसिल की पत्तियां मुलायम स्वाद वाली होती हैं और इनमें हल्की मिठास के साथ तीखी सुगंध पाई जाती है. इटैलियन पास्ता, पिज्जा, सूप और सलाद में इसका खूब इस्तेमाल होता है.
तुलसी को आयुर्वेद में 'औषधियों की रानी' कहा गया है. यह सर्दी-जुकाम, खांसी, बुखार, अस्थमा, हृदय रोग और तनाव कम करने में लाभकारी मानी जाती है. तुलसी की पत्तियों से बना काढ़ा रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. बेसिल में भी एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं, लेकिन इसका प्रयोग ज्यादातर पाचन सुधारने, त्वचा की सेहत बढ़ाने और हल्के संक्रमण दूर करने के लिए किया जाता है.
तुलसी: धार्मिक अनुष्ठानों, औषधीय काढ़ों, आयुर्वेदिक दवाओं और घरेलू नुस्खों में.
बेसिल: पिज्जा, पास्ता, सॉस, सूप और सलाद जैसी अंतरराष्ट्रीय डिशों में मसाले और गार्निशिंग के लिए.
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