पंजाब के कई जिलों में बाढ़ का पानी उतरने के बाद लोग अपने घरों और खेतों में लौट तो आए हैं, लेकिन हालात सामान्य नहीं हुए हैं. घरों की दीवारें टूटी पड़ी हैं, छतें कमजोर हैं और खेतों में मोटी गाद जमी हुई है. किसानों का कहना है कि इस बार रबी सीजन फसल की बुवाई नामुमकिन है. होशियारपुर जिले के रारा गांव के 54 वर्षीय मनजीत सिंह ने बताया कि वह 8 सितंबर को अपने घर लौटे है. इससे पहले उनका परिवार करीब 15 दिन तक सड़क किनारे ट्रैक्टर-ट्रॉली पर तिरपाल डालकर रह रहा था.
मनजीत ने आगे बताया कि उनके घर में चारों ओर मिट्टी और कीचड़ है भर गया है और दीवारों में दरारें पड़ गई हैं. उन्होंने कहा कि अब वे छत पर तिरपाल डालकर पानी रोकने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं, खेत अब भी पानी और गाद से भरे हुए हैं. मनजीत ने कहा, "फसल खत्म हो गई. घर को किसी तरह रहने लायक बनाया है. अब आगे की असली परीक्षा शुरू है."
गांव के सरपंच पति चरणजीत सिंह बताते हैं कि उनकी 60 एकड़ जमीन में से 40 एकड़ प्रभावित हुई है. इसमें से 12 एकड़ जमीन नदी में बह गई, जबकि 28 एकड़ पर 3 से 4 फुट मोटी गाद जम गई है. वे कहते हैं, "गन्ने की फसल नष्ट हो गई. पिछले साल भी कुछ खेत गाद से भर गए थे, जिन्हें अब तक साफ नहीं किया जा सका है. इस बार हालात और गंभीर हैं,"
उन्होंने आगे कहा कि गांव में करीब 200 एकड़ जमीन पर गाद जमी है. 8 से 10 कच्चे मकान भी ढह गए हैं. कई परिवार अब भी तिरपाल के नीचे रह रहे हैं. चरणजीत का कहना है कि यह मिट्टी हल्की रेत नहीं, बल्कि भारी गाद है, जिसे सूखने और हटाने में महीनों लगेंगे.
उन्होंने कहा कि सरकार की नीति 'जिसदा खेत, उसदी रेत' व्यावहारिक नहीं लग रही है. जब तक गाद गीली है, उसे कोई उठाने नहीं आता. सूखने के बाद यह और कठिन हो जाती है. तब इसे खरीदने वाला भी नहीं मिलता. वहीं, गांव के लोगों का कहना है कि राजस्व विभाग और अन्य अधिकारी नुकसान का आकलन करने आए थे, लेकिन अब तक केवल उसी परिवार को 4 लाख रुपये का मुआवजा मिला है, जिसके एक सदस्य की बाढ़ में मौत हो गई थी. बाकी प्रभावित परिवार अब भी इंतजार कर रहे हैं.
मुकैरियां के मेहताबपुर गांव के सरपंच मंजिंदर सिंह ने बताया कि गांव के आसपास लगभग 1,000 एकड़ जमीन पर गाद और कीचड़ जमा है. कुछ खेतों में 6 फुट तक गाद है. मेरे अपने 8 एकड़ खेत में दो फुट तक गाद जमी है. नदी का रुख बदल गया है और पानी खेतों से होकर बह रहा है. डर है कि जमीन ही नदी का हिस्सा न बन जाए. उन्होंने आरोप लगाया कि बाढ़ के कटाव रोकने के लिए चल रहे काम की रफ्तार बहुत धीमी है. ठेकेदार ऐसी जगह मिट्टी डाल रहे हैं, जहां जरूरत नहीं है. कमजोर जगहें अब भी खुली पड़ी हैं.
मुशैबपुर गांव के किसान रंजोध सिंह का कहना है कि उनकी 25 एकड़ जमीन पूरी तरह नष्ट हो गई है. खेतों में चार से छह फुट तक गाद और कंकड़-पत्थर फैले हैं. अभी खेत तक पहुंचना भी कठिन है. मिट्टी हटाने में महीनों लगेंगे. इस हालत में रबी की बुवाई असंभव है.
गंधोवाल गांव की दलजीत कौर का घर बाढ़ के पानी से कमजोर होकर गिर गया. वे बताती हैं, “उन्होंने बच्चों और कुछ सामान को बचाकर श्री हरगोबिंदपुर में किराए का कमरा ले लिया है. घर का अधिकतर सामान पानी में नष्ट हो गया. अब घर बनाने के लिए सरकारी मदद का इंतजार है.”
बाढ़ के बाद अब गांवों में जिंदगी को पटरी पर लाना सबसे बड़ी चुनौती है. हजारों एकड़ जमीन गाद में दब गई है, कई घर टूट गए हैं और कई परिवार अस्थायी टेंटों में रह रहे हैं. किसान कहते हैं कि गाद हटाने और घरों को दोबारा खड़ा करने में महीनों लगेंगे. इस बीच राहत और मुआवजे की आस ही उनका सहारा है. (पीटीआई)
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