अमेरिका के वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक एक बार फिर भारत पर भड़के हैं. इस बार उन्होंने मक्का को लेकर भारत के लिए आक्रामक तेवर अपनाए हैं. लुटनिक ने एक इंटरव्यू में कहा, 'भारत 1.4 अरब लोगों का दावा करता है तो फिर वह हमसे एक बुशल (25.40 किलोग्राम) मक्का क्यों नहीं खरीदता. क्या यह बात आपको बुरी नहीं लगती? वो हमें सब कुछ बेचते हैं और हमारा मक्का नहीं खरीदते. वो हर चीज पर टैरिफ लगाते हैं.' मक्का, भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील में एक अहम मसला रहा है. अमेरिका चाहता है कि भारत, उससे जीएम यानी जेनिटिकली मोडिफाइड मक्का खरीदे और भारत सरकार को इससे इनकार है. ट्रेड डील में सबसे बड़ी बाधा यही मक्का बना है. भारत सरकार ने घरेलू किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए अमेरिकी जीएम कॉर्न के निर्यात को सिरे से खारिज कर दिया है. अमेरिका जो दुनिया का सबसे बड़ा मक्का निर्यातक देश है, उसके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के इस फैसले से खासे नाराज नजर आए. नतीजा भारत पर 50 फीसदी टैरिफ. जानिए मक्का के साथ अमेरिका के ऐसे इमोशंस क्यों हैं और क्यों लुटनिक इतना भड़के हैं?
अमेरिकी वेबसाइट FDA के अनुसार अमेरिका धरती पर मक्का दुनिया का सबसे बड़ा मक्का उत्पादक है, जहां दुनिया की मक्का फसल का 30 प्रतिशत से ज्यादा उत्पादन होता है. यह अमेरिका में 400,000 से ज्यादा खेतों में उगाया जाता है और अमेरिका में उगाए जाने वाले मक्के का करीब 20 फीसदी निर्यात किया जाता है. इससे 10 लाख अमेरिकियों को रोजगार मिलता है. मक्का, अमेरिका में सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसल है, और इसका ज्यादा जीएम है. ज्यादा जीएम मक्का कीटों से बचाव या खरपतवार को सहन करने के लिए तैयार किया जाता है.
बैसिलस थुरिंजिएंसिस या बीटी मक्का मक्की की वजह जीएम किस्म है जो ऐसे प्रोटीन पैदा करता है जो कुछ कीटों के लिए तो जहरीले होते हैं लेकिन इंसानों, पालतू जानवरों, मवेशियों या दूसरे जानवरों के लिए नहीं. ये वही प्रोटीन हैं जिनका प्रयोग ऑर्गेनिक खेती करने वाले किसान कीटों को नियंत्रित करने के लिए करते हैं, और ये लेडीबग जैसे बाकी दूसरे कीटों को नुकसान नहीं पहुंचाते. बीटी कॉर्न मक्का कीटनाशकों के छिड़काव की जरूरत को कम करता है और साथ ही कीटों से होने वाले नुकसान को भी रोकता है. हालांकि बहुत सारा जीएम मक्का प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स और पेय पदार्थों में इस्तेमाल होता है, लेकिन इसका ज्यादा हिस्सा गायों जैसे पशुओं और मुर्गियों को खिलाने में इस्तेमाल होता है.
अमेरिका में जीएम मक्का की खेती का दायरा बेहद बड़ा है. देश में करीब 90 मिलियन एकड़ में मक्का उगाया जाता है. इसकी ज्यादातर खेती मध्य-पश्चिम/हार्टलैंड में होती है. खास बात है कि करीब 99 फीसदी मक्का फील्ड कॉर्न है और सिर्फ एक प्रतिशत ही स्वीट कॉर्न होता है. अनुमानित आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में उगाए जाने वाले कुल मक्का उत्पादन का 90 फीसदी से ज्यादा हिस्सा जीएम वैरायटी से आता है. प्रमुख मक्का उत्पादक राज्य जैसे आयोवा, इलिनॉय, नेब्रास्का, मिनेसोटा और इंडियाना जीएम मक्का की खेती में आगे हैं. इन राज्यों में बड़े पैमाने पर मशीनरी और वैज्ञानिक तकनीकों का इस्तेमाल होता है. यह मक्का मेक्सिको, जापान, दक्षिण कोरिया, यूरोपियन देशों और अफ्रीका तक पहुंचता है. अमेरिकी जीएम मक्का वैश्विक खाद्य उद्योग, बायोफ्यूल निर्माण और पशु आहार में अहम भूमिका निभाता है.
मक्का यहां सिर्फ खाने के लिए नहीं, बल्कि पशु आहार, बायोफ्यूल (एथेनॉल), और औद्योगिक उत्पादों में भी इस्तेमाल होता है. यह किसानों की इनकम और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था दोनों का बड़ा आधार है. मक्का की अच्छी या खराब पैदावार सीधे अमेरिकी किसानों की भावनाओं और उनकी आर्थिक स्थिति को प्रभावित करती है. दरअसल, अमेरिका में उगाया जाने वाला ज्यादातर मक्का इंसानों के खाने के लिए नहीं होता. विशेषज्ञों के अनुसार मक्का एक साधारण सी फसल है लेकिन अमेरिका में इससे कई तरह की चीजें भी बनाई जाती हैं. इन चीजों में पशुओं के लिए चारा, कारों के लिए ईंधन, सनस्क्रीन और पानी की बोतलों के लिए ऑयल, मैगजीन की पब्लिशिंग के लिए जरूरी स्टार्च और फुटपाथ पर इस्तेमाल होने वाली चॉक तक शामिल हैं. यहां तक कि मक्के का प्रयोग माचिस, क्रेयॉन और कालीन बनाने के लिए भी किया जाता है.
हालांकि जीएम मक्का को अमेरिकी किसान बड़े पैमाने पर अपनाते हैं, लेकिन इसके खिलाफ आलोचना भी होती है। कुछ वैज्ञानिक और पर्यावरण कार्यकर्ता मानते हैं कि लंबे समय तक जीएम फसलों का असर मिट्टी की सेहत, बायो-डायवर्सिटी और इंसानी सेहत पर पड़ सकता है. इसके अलावा, बीज कंपनियों पर किसानों की निर्भरता भी एक बड़ा मुद्दा है क्योंकि जीएम बीज सामान्य बीजों से महंगे होते हैं और हर साल नए खरीदने पड़ते हैं.
अमेरिका और मक्का का रिश्ता सिर्फ एक फसल नहीं है, यह देश के इतिहास और अर्थव्यवस्था से गहराई से जुड़ा हुआ है. अमेरिका मक्का कोअनाज ही नहीं बल्कि अपनी पहचान और गौरव का हिस्सा मानता है. मक्का यानी कॉर्न उत्तरी और मध्य अमेरिका की सबसे पुरानी फसलों में से एक है. वहां बसे मूल निवासियों यानी नेटिव अमेरिकंस ने हजारों साल पहले मक्का की खोज की और इसे उगाना शुरू किया. उस समय मक्का भोजन से ज्यादा जीवन का आधार भी था. जब यूरोपियंस अमेरिका आए तो उन्होंने भी मक्का को अपनी लाइफस्टाइल का हिस्सा बना लिया. यहां से यह फसल अमेरिकी सभ्यता के विकास की गवाह बनी.
जिस तरह से भारत में गेहूं और चावल का महत्व है उसी तरह से अमेरिकी संस्कृति में मक्का का स्थान बहुत खास है. थैंक्सगिविंग जैसे पारंपरिक त्योहारों में मक्का का इस्तेमाल अनिवार्य माना जाता है. अमेरिकी गांवों में आज भी 'कॉर्न बेल्ट' के नाम से मशहूर क्षेत्र है, जहां मक्का खेतों की हरियाली सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव भी दर्शाती है. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, मक्का से बने पकवान अमेरिकी घरों का अहम हिस्सा हैं.
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