50 लाख किसान अब किसान उत्पादक संगठन के शेयरहोल्डर बने, देशभर में 10,000 से ज्यादा FPO

50 लाख किसान अब किसान उत्पादक संगठन के शेयरहोल्डर बने, देशभर में 10,000 से ज्यादा FPO

एफपीओ यानी किसान उत्पादक संगठन, किसानों का एक समूह होता है जो अपने खेती से जुड़े काम को सामूहिक रूप से बेहतर बनाने के लिए एक साथ आते हैं. खासकर छोटे और सीमांत किसानों को मजबूत बनाने, उनकी आय बढ़ाने और खेती को लाभकारी बनाने के लिए यह संगठन बनाए जाते हैं.

Advertisement
50 लाख किसान अब किसान उत्पादक संगठन के शेयरहोल्डर बने, देशभर में 10,000 से ज्यादा FPOकिसान उत्पादनक संगठन

पिछले पांच वर्षों में भारत के 50 लाख से अधिक किसान किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) के शेयरहोल्डर बने हैं. इस पहल ने किसानों को मजबूत बनाया है और उत्पादन लागत में कमी लाने में मदद की है, क्योंकि इससे पूरे कृषि उत्पादन की अर्थव्यवस्था बेहतर हुई है. 

तेलंगाना (6.7 लाख), उत्तर प्रदेश (5.9 लाख), आंध्र प्रदेश (5.7 लाख), मध्य प्रदेश (3.2 लाख) और महाराष्ट्र (3 लाख) इस मामले में सबसे आगे हैं. FPOs में महिला किसानों की भागीदारी 38% है.

सरकार ने 2020 से 6,865 करोड़ रुपये के बजट के साथ 10,000 FPOs बनाने की योजना शुरू की थी. वित्त वर्ष 2025 तक 340 FPOs ने 10 करोड़ रुपये से अधिक की बिक्री की, जबकि 1,100 से अधिक संगठनों ने 1 करोड़ रुपये से ऊपर की बिक्री की.

FPOs को कंपनी अधिनियम, 2013 और सहकारी सोसाइटी अधिनियम के तहत रजिस्टर किया गया है. सरकार किसानों को प्रति सदस्य 2,000 रुपये तक सब्सिडी मुहैया कराती है और अधिकतम 15 लाख प्रति FPO देने का प्रावधान है.

5,880 से अधिक FPOs के पास बीज लाइसेंस, 3,500 से अधिक के पास खाद बांटने का लाइसेंस है, और 400 से अधिक FPOs कृषि रसायनों (दवा) की डीलरशिप भी करते हैं, जिससे किसानों को छूट मिलती है. कुछ FPOs ने GeM, Amazon और Flipkart जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी अपने उत्पाद बेचना शुरू कर दिया है.

यह पहल किसानों की आमदनी बढ़ाने और उन्हें कृषि क्षेत्र में मजबूती से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

एफपीओ क्या है?

एफपीओ (Farmer Producer Organisation) यानी किसान उत्पादक संगठन, किसानों का एक समूह होता है जो अपने खेती से जुड़े काम को सामूहिक रूप से बेहतर बनाने के लिए एक साथ आते हैं. खासकर छोटे और सीमांत किसानों को मजबूत बनाने, उनकी आय बढ़ाने और खेती को लाभकारी बनाने के लिए यह संगठन बनाए जाते हैं.

एफपीओ एक कानूनी तौर पर रजिस्टर्ड संस्था होती है, जिसमें किसान इसके सदस्य और शेयरहोल्डर होते हैं. इसका मकसद किसानों को उत्पादन, मार्केटिंग और संसाधनों तक बेहतर पहुंच देना है.

एफपीओ कैसे काम करता है?

संगठन बनाना: किसान समूह मिलकर एफपीओ का गठन करते हैं. इसे कंपनी अधिनियम या सहकारी सोसाइटी अधिनियम के तहत रजिस्टर किया जाता है.

संसाधनों का साझा उपयोग: किसान अपनी जमीन, पूंजी और उत्पाद को मिलाकर काम करते हैं जिससे लागत कम होती है और उत्पादन बढ़ता है.

सामूहिक खरीद: एफपीओ के माध्यम से किसान एक साथ बीज, उर्वरक, कीटनाशक आदि की खरीद करते हैं, जिससे उन्हें सस्ते दामों पर अच्छी क्वालिटी वाले इनपुट मिलते हैं.

तकनीकी सहायता: एफपीओ किसानों को नई तकनीक, उन्नत खेती के तरीके और कृषि विशेषज्ञों की मदद उपलब्ध कराता है जिससे उत्पादन बेहतर होता है.

साझा मार्केटिंग: किसान अपने उत्पादों को मिलकर बाजार में बेचते हैं, जिससे उन्हें बेहतर दाम मिलते हैं और बिचौलियों की भूमिका कम हो जाती है. कुछ एफपीओ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे Amazon, Flipkart और GeM के जरिये भी बिक्री करते हैं.

लोन और बीमा: एफपीओ एक वैध संस्था होने के कारण बैंक और सरकार से लोन, सब्सिडी और बीमा योजनाओं का लाभ आसानी से पा सकते हैं.

प्रोसेसिंग से कमाई: कुछ एफपीओ अपने उत्पादों को संसाधित (प्रोसेस) भी करते हैं, जैसे आटा बनाना, पैकेजिंग आदि, जिससे किसानों को अधिक आय होती है.

POST A COMMENT