चीन में खिलने वाला दुर्लभ आर्किड खिला अरुणाचल में, 2400 मीटर पर आया नजर 

चीन में खिलने वाला दुर्लभ आर्किड खिला अरुणाचल में, 2400 मीटर पर आया नजर 

अरुणाचल प्रदेश को 'भारत का आर्किड स्वर्ग' कहा जाता है. यहां पहले से ही 600 से ज्‍यादा आर्किड प्रजातियां मौजूद हैं. ऐसे में यह बायो-डायवर्सिटी के लिए ईस्‍टर्न हिमालय क्षेत्र वैश्विक महत्व को उजागर करती है. हेमिपिलिया बेसिफोलियाटा ऑर्किडेसी परिवार का एक पुष्पीय पौधा है. यह दक्षिण-पूर्वी चीन (दक्षिण-पूर्वी सिचुआन, उत्तरी युन्नान) में पाया जाता है.

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चीन में खिलने वाला दुर्लभ आर्किड खिला अरुणाचल में, 2400 मीटर पर आया नजर Orchid Arunachal Pradesh: अरुणाचल प्रदेश के वैज्ञानिकों ने खोजी नई प्रजाति

वनस्पति वैज्ञ‍ानिकों की एक टीम ने अरुणाचल प्रदेश की निचली दिबांग घाटी के मायोदिया क्षेत्र में एक नई आर्किड प्रजाति को तलाशा है. हेमिपिलिया बेसिफोलिएटा नाम की इस प्रजाति को  भारत की फ्लोरल बायो-डायवर्सिटी में एक बड़ा योगदान माना जा रहा है. इस आर्किड को पहली बार जून 2024 में 2,400 मीटर की ऊंचाई पर देखा गया था. हाल ही में एक इंटरनेशनल मैगजीन पर इससे जुड़ा एक आर्टिकल आया है जिसमें इसके निष्‍कर्ष जारी किए गए हैं. 

क्‍या है इस प्रजाति की खासियत 

इस सफलता का श्रेय भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के अरुणाचल क्षेत्रीय केंद्र के डॉ. कृष्णा चौलू को दिया जा रहा है जिन्‍होंने इसकी खोज करने वाली टीम को लीड किया था. साथ ही जाम्बे त्सेरिं, आर्किड रिसर्च सेंटर, अरुणाचल प्रदेश सरकार, और सह-लेखक अब्बारेड्डी नागेश्वर राव, के. अहमद कबीर और अजीत रे भी इसमें शामिल थे. हेमिपिलिया वंश से संबंधित, यह नया आर्किड हेमिपिलिया प्यूबेरुला जैसा नजर आता है. इसकी खासियत है, ज्‍यादा संख्या में फूल, खास फ्लोरल मोर्फोलॉजी यानी पुष्प आकृति विज्ञान और चिकने बाह्यदल. 

अरुणाचल में 600 तरह के आर्किड 

अरुणाचल प्रदेश को 'भारत का आर्किड स्वर्ग' कहा जाता है. यहां पहले से ही 600 से ज्‍यादा आर्किड प्रजातियां मौजूद हैं. ऐसे में यह बायो-डायवर्सिटी के लिए ईस्‍टर्न हिमालय क्षेत्र वैश्विक महत्व को उजागर करती है. हेमिपिलिया बेसिफोलियाटा ऑर्किडेसी परिवार का एक पुष्पीय पौधा है. यह दक्षिण-पूर्वी चीन (दक्षिण-पूर्वी सिचुआन, उत्तरी युन्नान) में पाया जाता है. वैज्ञानिकों ने इसे समझाने के लिए खास विश्लेषण और तस्वीरें उपलब्ध कराईं. रिसर्चर्स को जंगल में सिर्फ कुछ ही खिली प्रजातियां नजर आईं. 

लेकिन विशेषज्ञ हैं परेशान 

इसकी सीमित जानकारी और नाजुक अस्तित्व को लेकर वैज्ञानिक थोड़े चिंतित हैं. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि आवास क्षरण और जलवायु परिवर्तन इस दुर्लभ प्रजाति के लिए खतरा बन सकते हैं. मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने टीम को बधाई देते हुए कहा, 'यह उल्लेखनीय खोज अरुणाचल प्रदेश की बायो-डायवर्सिटी को नया आयाम देती है और हमें अपनी प्राकृतिक विरासत की रक्षा करने की हमारी ज़िम्मेदारी की याद दिलाती है.' 

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