Explained: क्या है केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट जिससे 7 लाख किसानों को होगा फायदा, सिंचाई-पेयजल की समस्या होगी दूर

Explained: क्या है केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट जिससे 7 लाख किसानों को होगा फायदा, सिंचाई-पेयजल की समस्या होगी दूर

केन नदी का अतिरिक्त पानी दौधन बांध से 221 किलोमीटर लंबी लिंक नहर के जरिए बेतवा नदी में डाला जाएगा, जिससे दोनों राज्यों में सिंचाई और पेयजल की सुविधा मिलेगी. इस परियोजना से 10 जिलों - पन्ना, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, सागर, रायसेन, विदिशा, शिवपुरी और दतिया के 2,000 गांवों में 8.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे करीब सात लाख किसान परिवार लाभान्वित होंगे.

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क्या है केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट जिससे 7 लाख किसानों को होगा फायदा, सिंचाई-पेयजल की समस्या होगी दूरपीएम मोदी केन-बेतवा नदी प्रोजेक्ट की आधारशिला रखेंगे

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 दिसंबर को केन-बेतवा नदी लिंक परियोजना का उद्घाटन करेंगे. अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि प्रधानमंत्री खजुराहो पहुंचेंगे और परियोजना का उद्घाटन करेंगे. 25 दिसंबर को परियोजना का उद्घाटन किया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक, छतरपुर और पन्ना के सीमावर्ती क्षेत्र में बनने वाले दौधन बांध का नाम बदलकर 'अटल सागर बांध' रखा जा सकता है. केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना अंडरग्राउंड पाइप सिंचाई प्रणाली को अपनाने वाली देश की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना है. यह परियोजना राज्य के छतरपुर और पन्ना जिलों में केन नदी पर बनाई जा रही है.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मंगलवार को कहा कि इस परियोजना के तहत मध्य प्रदेश के 10 जिलों के करीब 44 लाख और उत्तर प्रदेश के 21 लाख लोगों को पीने का पानी मिलेगा. इस परियोजना की अनुमानित लागत 44,605 ​​करोड़ रुपये है. उन्होंने कहा कि इस परियोजना से 2,000 गांवों के करीब 7.18 लाख किसान परिवार लाभान्वित होंगे. इससे 103 मेगावाट पनबिजली और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा भी पैदा होगी. 

सीएम यादव ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी 25 दिसंबर को छतरपुर जिले के खजुराहो में इस परियोजना की आधारशिला रखने आ रहे हैं. यह परियोजना मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड की तस्वीर और तकदीर बदल देगी."

केन-बेतवा लिंक परियोजना केंद्र सरकार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच सहयोग का एक अनूठा उदाहरण है. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के नदी जोड़ो अभियान के सपने को साकार करने की पहल की है. इस परियोजना के माध्यम से किसानों को सिंचाई के लिए भरपूर पानी मिलेगा और इससे पीने और औद्योगिक उपयोग के लिए भी पर्याप्त पानी मिलेगा.

सिंचाई-पेयजल की समस्या होगी दूर

क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास के साथ-साथ पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे. सूखा प्रभावित बुंदेलखंड क्षेत्र में भूजल की स्थिति में भी सुधार होगा, ऐसा मुख्यमंत्री ने कहा. यादव ने कहा कि केन-बेतवा देश की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना है, जिसमें अंडरग्राउंड पाइप सिंचाई प्रणाली अपनाई गई है. परियोजना के तहत पन्ना टाइगर रिजर्व में केन नदी पर 77 मीटर ऊंचा और 2.13 किलोमीटर लंबा दौधन बांध और दो सुरंगें (ऊपरी स्तर 1.9 किलोमीटर और निचला स्तर 1.1 किलोमीटर) बनाई जाएंगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि बांध में 2,853 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी जमा होगा.

केन नदी का अतिरिक्त पानी दौधन बांध से 221 किलोमीटर लंबी लिंक नहर के जरिए बेतवा नदी में डाला जाएगा, जिससे दोनों राज्यों में सिंचाई और पेयजल की सुविधा मिलेगी. इस परियोजना से 10 जिलों - पन्ना, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, सागर, रायसेन, विदिशा, शिवपुरी और दतिया के 2,000 गांवों में 8.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे करीब सात लाख किसान परिवार लाभान्वित होंगे.

मध्य प्रदेश-यूपी के किसानों को फायदा

केन-बेतवा परियोजना से उत्तर प्रदेश में 59,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा मिलेगी और 1.92 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मौजूदा सिंचाई का दायरा बढ़ेगा, जिससे उत्तर प्रदेश के महोबा, झांसी, ललितपुर और बांदा जिलों में सिंचाई सुविधा मिलेगी. इस परियोजना में मध्य प्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़ और निवाड़ी जिलों में ऐतिहासिक चंदेलकालीन विरासत तालाबों को बचाने का काम भी शामिल है, जहां बरसात के मौसम में पानी जमा किया जा सकेगा. 

दौधन जलाशय से पन्ना टाइगर रिजर्व में जंगली जानवरों को साल भर पीने का पानी मिलेगा, वन पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार होगा और उत्तर प्रदेश के बांदा जिले को बाढ़ के खतरे से राहत मिलेगी. बुंदेलखंड क्षेत्र में चला आ रहा जल संकट समाप्त होगा और रोजगार के लिए पलायन पर भी रोक लगेगी. परियोजना को लागू करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में 22 मार्च, 2021 को मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री की ओर से एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए थे.

 

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