भारत ने शुक्रवार को तेल रहित चावल की भूसी के निर्यात पर जुलाई 2023 से जारी प्रतिबंध को अब हटा लिया है. विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) द्वारा 3 अक्टूबर, 2025 को जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि चावल की भूसी का निर्यात अब बिना किसी प्रतिबंध के स्वतंत्र रूप से अनुमत है. DGFT ने तेल रहित चावल की भूसी की निर्यात नीति को तत्काल प्रभाव से 'निषिद्ध' से 'मुक्त' कर दिया है. सरकार को धन्यवाद देते हुए सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के अध्यक्ष संजीव अस्थाना ने कहा कि एसईए उद्योग की इस लंबे समय से लंबित मांग को पूरा करने में सरकार के सक्रिय हस्तक्षेप की सराहना करता है.
अंग्रेजी अखबार 'बिजनेस लाइन' की रिपोर्ट के अनुसार, एसईए लंबे समय से इस पर काम कर रहा है और एसईए के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस पर चर्चा करने के लिए केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात की थी. एसईए के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने कहा कि तेल रहित चावल की भूसी पर प्रतिबंध हटाने के सरकार के फैसले से भारत के कृषि प्रसंस्करण निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और वैश्विक चारा बाजारों में एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में देश की प्रतिष्ठा मजबूत होगी. मेहता ने कहा कि हम पूरी कोशिश करेंगे और अपने सालाना ₹1,000 करोड़ के कारोबार पर वापस लौटेंगे.
इस कदम से चावल मिलिंग और विलायक निष्कर्षण उद्योग (सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन) को लाभ मिलने की उम्मीद है, विशेष रूप से पूर्वी भारत में, क्योंकि इससे निर्यात के अवसर खुलेंगे, साथ ही किसानों और प्रसंस्करणकर्ताओं को चावल की भूसी के उप-उत्पादों के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि इससे चावल की भूसी के प्रसंस्करण को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे चावल की भूसी के तेल का उत्पादन बढ़ेगा, जो आयात का विकल्प है.
बता दें कि भारत सरकार ने 28 जुलाई, 2023 की एक अधिसूचना में तेल रहित चावल की भूसी के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. उस समय चारे की ऊंची कीमतों के कारण दूध और दुग्ध उत्पादों की बढ़ती कीमतों को निर्यात प्रतिबंधों का कारण बताया गया था. तेल रहित चावल की भूसी चारे का एक प्रमुख घटक है. इस धारणा से असहमत होते हुए, एसईए ने तब कहा था कि तेल-रहित चावल की भूसी की कीमत में 10 प्रतिशत की कमी करने पर भी पशु आहार की लागत में मामूली कमी ही आएगी. तब एसईए ने कहा था कि दूध की कीमतों पर इसका प्रभाव न्यूनतम होगा, करीब 1 प्रतिशत से अधिक की कमी नहीं होगी. तेल रहित चावल की भूसी की कीमत, जो जुलाई 2023 में 20,000 रुपये प्रति टन थी, वह जुलाई 2025 में घटकर 10,000-11,000 रुपये प्रति टन हो गई.
सरकार को हाल ही में लिखे एक पत्र में, एसईए ने कहा कि 2022 के उत्तरार्ध में कोविड समाप्त होने के बाद सभी वस्तुओं की बाजार मांग में तेजी से वृद्धि हुई, जिसके कारण दबी हुई मांग और रसद, उत्पादन व्यवधान आदि जैसे कारक थे. इसके अलावा, आपूर्ति श्रृंखला पर दबाव के कारण सभी खाद्यान्न, दालें, धातु, रसायन और श्रृंखला में सभी वस्तुओं की कीमतें बढ़ गईं. निर्यात प्रतिबंध का मूल उद्देश्य चारे की बढ़ती लागत को नियंत्रित करना और दूध की कीमतों को स्थिर करना था. हालांकि, ढाई साल बाद, प्रोटीन मील की कीमतों में 40-50 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि दूध की कीमतें बढ़ गईं, ऐसा रिपोर्ट में कहा गया है.
गौरतलब है कि जुलाई 2023 में प्रतिबंध लगने से पहले, भारत 5-6 लाख टन तेल-रहित चावल की भूसी का निर्यात करता था, जिसका मूल्य ₹1,000 करोड़ प्रति वर्ष था, और यह निर्यात मुख्यतः वियतनाम, थाईलैंड और अन्य एशियाई देशों को किया जाता था. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारत एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित था. भारत ने 2023-24 (28 जुलाई, 2023 तक) में ₹241 करोड़ मूल्य के 1.51 लाख टन चावल की भूसी निष्कर्षण का निर्यात किया था. हालांकि, चावल की भूसी निष्कर्षण का कुल निर्यात 2022-23 में 5.95 लाख टन (₹950 करोड़ मूल्य का) और 2021-22 में 7.49 लाख टन (₹984 करोड़ मूल्य का) रहा.
बता दें कि पश्चिम बंगाल सहित पूर्वी राज्य चावल की भूसी निकालने के महत्वपूर्ण उत्पादक हैं. एसईए के अनुसार, इस क्षेत्र में पशु आहार उद्योग अविकसित रहा है और पूर्वी भारत में चावल की भूसी निकालने की मांग सीमित थी. पूर्वी भारत से दक्षिण या पश्चिम भारत तक चावल की भूसी निकालने के लिए स्थानीय माल ढुलाई शुल्क के कारण, इस क्षेत्र में चावल की भूसी निकालने के निपटान का प्रमुख साधन निर्यात ही रहा.
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