Gandhi Jayanti 2023: क्या खाते थे महात्मा गांधी? आखिर क्यों कर ली थी नमक और दूध से तौबा? पढ़ें पूरा डाइट चार्ट

Gandhi Jayanti 2023: क्या खाते थे महात्मा गांधी? आखिर क्यों कर ली थी नमक और दूध से तौबा? पढ़ें पूरा डाइट चार्ट

मोहनदास करमचंद गांधी एक नायक, कार्यकर्ता, आध्यात्मिक नेता और विश्व शांति के समर्थक थे. 1947 में, उन्होंने भारत की स्वतंत्रता हासिल करने में मदद की। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान, उस व्यक्ति ने कुल 17 बार उपवास किया, जिसमें उनका सबसे लंबा उपवास 21 दिनों का था. गांधी जी बचपन से ही शाकाहारी थे और उन्होंने अपने भोजन को तीन श्रेणियों में विभाजित किया था. क्या और कैसे आइए जानते हैं.

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Gandhi Jayanti 2023: क्या खाते थे महात्मा गांधी? आखिर क्यों कर ली थी नमक और दूध से तौबा? पढ़ें पूरा डाइट चार्टखाने को लेकर कई परहेज करते थे महात्मा गांधी

2 अक्टूबर यानी आज का दिन ना सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए खुशी का दिन है. आज ही के दिन 154 साल पहले भारत को आजादी दिलाने वाले महात्मा गांधी का जन्म हुआ था. यही कारण है कि ये दिन सभी भारतवासियों के लिए बेहद खास है. इस वर्ष गांधी जी की 154वीं जयंती सेलिब्रेट की जा रही है. अंग्रेजों से आजादी दिलाने में महात्मा गांधी के अभूतपूर्व योगदान को भुलाया नहीं जा सकता. उनके संघर्षों के कारण ही हम आज आजादी से सांस ले रहे हैं. इतना ही नहीं गांधी जी को उनके व्यक्तित्व के लिए भी जाना जाता है. देश को आजादी दिलाने वाले गांधीजी का जीवन सदैव शांति और प्रेम से भरा रहा. शायद यही वजह थी कि उन्होंने हमेशा हिंसा की जगह अहिंसा का रास्ता चुना.

आज उनके जन्मदिन पर आइए जानते हैं महात्मा गांधी से जुड़ी कुछ खास बातें. आपको जानकर हैरानी होगी कि जीवन के एक पड़ाव पर आकर महात्मा गांधी ने नमक और दूध से दूरी बना ली थी. ऐसा क्यों आइए जानते हैं.

आखिर गांधीजी ने दूध से क्यों बनाई थी दूरी?

वह देश को आजादी दिलाने के साथ-साथ अपनी विशेष दिनचर्या और प्रभावी जीवनशैली के लिए भी जाने जाते थे. खुद को स्वस्थ रखने के लिए महात्मा गांधी ने खुद को कई चीजों से दूर कर लिया था. उनमें से एक था दूध और नमक. ऐसा कहा जाता है कि शरीर और दिमाग को फिट रखने के लिए हमेशा स्वस्थ भोजन की आवश्यकता पर जोर देने वाले गांधीजी दूध को भी मांसाहारी आहार मानते थे. इसलिए उन्होंने गाय-भैंस का दूध न पीने की कसम खा ली थी. और जब तबीयत खराब होने पर डॉक्टर ने उन्हें दूध पीने की सलाह दी तो बापू ने बकरी के दूध का सेवन किया था.

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डॉक्टरों ने दी नमक खाने की सलाह

नमक की बात करें तो गांधी जी शुरू से ही खाने में नमक की मात्रा बहुत सीमित रखते थे. महात्मा गांधी को फल और सब्जियाँ बहुत पसंद थीं. वे जानते थे कि उनमें प्राकृतिक नमक है, लेकिन वे अपने भोजन में अतिरिक्त नमक नहीं मिलाते थे. उन्होंने 1911 तक नमक रहित आहार लिया. लेकिन जैसे-जैसे समय बढ़ता गया, डॉक्टरों ने उन्हें नमक खाने की सलाह दी. इसके बाद 1920 के अंत तक गांधीजी ने अपने आहार में थोड़ा नमक शामिल कर लिया. लेकिन इस समय तक भी वह बहुत कम नमक खाते थे. नमक खाने के बाद गांधी जी को इसका महत्व समझ में आने लगा. ऐसे में उन्होंने ब्रिटिश सरकार द्वारा नमक पर लगाए गये कर का कड़ा विरोध किया. 1930 में इस कर को हटाने के लिए गांधीजी ने लोगों के साथ मिलकर दांडी मार्च निकाला. जो भारत की आजादी का एक अहम भूमिका निभाया था. 

किन चीजों का सेवन करते थे गांधी जी

महात्मा गांधी ने अपने आहार को लेकर लगातार कई प्रयोग करते रहते थे. कभी नमक ना खाना तो कभी दाल से बिल्कुल परहेज करना उनके प्रयोगों में से एक था. महात्मा गांधी अपने डाइट में अंकुरित गेहूं, मीठे, हरी पत्तियां पीसी हुई, 6 खट्टे नींबू और 2 औंस शहद को मिलकर खाया करते थे. वह पहला भोजन सुबह 11 बजे और दूसरा शाम 6.15 बजे खाते थे. इतना ही नहीं गांधी जी हमेशा पानी को उबालकर पीते थे.

महात्मा गांधी के 5 स्वस्थ आहार

  1. उन्हें हमेशा स्थानीय रूप से उगाए गए मौसमी ताजे सूखे फल, सब्जियां और जड़ी-बूटियां पसंद थीं। उन्होंने शुद्ध घी, गुड़ तथा गाय एवं बकरी के दूध के प्रयोग को प्रोत्साहित किया. उनका मानना था कि ये चीजें हमारे शरीर को ऊर्जावान बनती हैं.
  2. महात्मा गांधी ने साल 1911 में नमक-मुक्त आहार शुरू किया था, वह भोजन में अतिरिक्त नमक जोड़ने के कट्टर विरोधी थे. 1920 के दशक के अंत तक, उन्होंने डॉक्टरों की सलाह के अनुसार फिर से नमक खाना शुरू कर दिया, वह प्रति दिन 30 से अधिक अनाज नहीं खाते थे.
  3. शरीर को मोटापे से बचाने और पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए महात्मा गांधी हर हफ्ते एक दिन का उपवास करते थे. इस दिन वह केवल फल और पानी का सेवन करते थे ताकि शरीर को भोजन पचाने में अधिक मेहनत न करनी पड़े और भोजन आसानी से पच जाए.
  4. गांधी जी ने छह साल तक दूध को अपने आहार से बाहर रखा. लेकिन वर्ष 1917 में बीमार पड़ने के बाद उन्होंने अपने खाने में बकरी के दूध को शामिल किया. उनका मानना था कि गाय और भैंस का दूध मांसाहारी है. जिस वजह से वो खुद को इससे दूर रखते थे.
  5. गांधीजी को फल बहुत पसंद थे और आम उनका पसंदीदा था. लेकिन वह रिफाइंड चीनी से खुद को दूर रखते थे. गांधीजी ने 1941 में लिखा था, ''आम एक शापित फल है. यह ध्यान इतना आकर्षित करता है जितना कोई अन्य फल नहीं. इसलिए हमें इससे इतना अधिक प्यार नहीं करना चाहिए. यानि इसका सेवन अधिक नहीं करना चाहिए. क्योंकि इसमें चीनी कि मात्रा बहुत अधिक होती है.
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