आज 2 अक्टूबर है और देश ही नहीं दुनिया भर में महात्मा गांधी को याद किया जा रहा है. उन्हें याद करने पर दो शब्द और दो बातें हर व्यक्ति के जहन में आती हैं. पहला सत्य और दूसरा अहिंसा. इन दो विचारों को जिस तरह गांधी ने स्थापित किया ऐसा ना फिर कभी हो सका ना हो सकने की कोई संभावना नजर आती है. गांधी के वक्त और उनके बाद की दुनिया में बेशक एक बड़ा फर्क गुलामी और आजादी का है, लेकिन उससे भी ज्यादा बड़ा फर्क बदलती वैचारिकता का है. यही बदलती वैचारिकता हमें ले जाती है किसानों की दुनिया की ओर और फिर एक बार याद आते हैं गांधी और उनके विचार. बीते समय में हुए तमाम किसान आंदोलनों में बार-बार गांधी का जिक्र हुआ तो उसकी वजह भी थे गांधी के किसानों के बारे में विचार. आज उनके जन्मदिवस पर जानिए गांधी किसानों के बारे में क्या कहा करते थे.
आज हर दिन जहां भी किसान आंदोलन होते हैं MSP का मुद्दा सबसे आगे रहता है. MSP यानी किसानों की फसल का एक तय दाम जो उन्हें मिलना सुनिश्चित होना चाहिए लेकिन होता नहीं है और कई मामलों में मिलता भी नहीं है. फसल के दाम पर महात्मा गाधी कहते थे, 'किसानों को पूरा दाम ना मिले या उन्हें कम दाम मिले, ऐसा तो कभी कतई होना ही नहीं चाहिए.'
राजनीति में कौन नेता और कौन मंत्री बनेगा यह एक अलग चर्चा का विषय होता है, लेकिन गांधी की इस पर भी एक अलग ही राय थी. वह कहते थे, 'अगर मेरी चले तो हमारा गर्वनर जनरल किसान को बनाया जाए क्योंकि यहां का राजा
किसान ही है.'
वह खेती और किसान के जीवन से इतने प्रभावित थे कि कई मरतबा आजादी के लड़ाई के दौरान जब उन्हें किसी कागत पर अपना व्यवसाय लिखना होता था तो वह किसान लिखते थे. यह भी बता दें कि यह किसान लिखना सिर्फ कागजी किसान वाली बात नहीं थी. वह बाकायदा खेती किया करते थे और इसके लिए उन्होंने अलग से जमीन भी ली थी. वह कहते थे, 'एक मजदूर, खेत जोतने वाले और एक शिल्पकार का जीवन जीने लायक है.' यही नहीं उन्होंने एक बार यहां तक कहा था, 'संभव हो तो मैं खुद को किसी खेत में पूरी तरह लगा दूं क्योंकि खेत और किसान तो हमारी नींव हैं.'
वह किसान के संघर्ष और उसके महत्व दोनों से अच्छी तरह परिचित थे और उसकी बहुत कद्र करते थे. यही वजह थी कि उन्होंने एक बार ये भी कहा,' आपके विचार में भारत का मतलब कुछ राजकुमार हैं, मेरे लिए इसका मतलब वो लाखों किसान हैं जिन पर इन राजकुमारों और हमारा अस्तित्व निर्भर करता है.'
किसान के बारे में उनकी सोच कुछ ऐसी थी कि वह जिंदगी को किसान और खेती से जोड़कर देखते थे.वह कहते थे,'जमीन को कैसे खोदना है औऱ मिट्टी को कैसे ढालना है अगर हम यह भूल जाते हैं तो हम अपने आप को ही भूल जाएंगे.'
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