मछली हो या फसल, लागत जितनी कम आएगी मुनाफा उतना ही ज्यादा होगा. यही वजह है कि एक्सपर्ट किसी भी फील्ड के हों उनकी कोशिश यही होती है कि कैसे लागत को कम किया जाए. कैसे किसी भी एक काम से दोहरा फायदा लिया जाए. मछली पालन भी कुछ ऐसा ही है. अगर खेत में मछली पालन किया जाता है तो मछली पालन के साथ ही इसका फायदा खेती को भी होता है. वहीं दूसरी ओर खेत में लगी फसल को मछली के तालाब का पानी एक अच्छी खाद के रूप में मिल जाता है.
फिश एक्सपर्ट की मानें तो मछली पालन में 60 से 70 फीसद खर्च तो उनके दाने (फीड) पर हो जाता है. बाकी के खर्च में तालाब का मेंटीनेंस और मछलियों की दवाई वगैरह पर खर्च होते हैं. दाने पर आने वाले खर्च को कैसे कम से कम किया जाए जिससे मछली पालन को बढ़ावा मिले इस पर कई संस्थान लगातार काम कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें- रेलवे पशुपालकों को समझाने के साथ FIR भी करा रहा, जानें पशुओं के कटने से कितना हो रहा नुकसान
हरियाणा के मछली पालक मुनेंद्र शेरावत ने किसान तक को बताया कि मछली के तालाब का पानी खेत में लगी फसलों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है. मेरे पास इस वक्त दो एकड़ जमीन पर तालाब हैं. इसमें मछली पालन हो रहा है. तालाब के पास ही मेरी खेती की जमीन है. जहां मौसम के हिसाब से फसल लगी होती है. मछली पालन के हिसाब से मैं तालाब का पानी एक साल में तीन बार बदलता हूं. इस दौरान तालाब के पानी को बदलने के दौरान फेंकने के बजाए खेत में लगा देता हूं.
धान के खेत में पानी की ओर आकर्षित होने वाले दर्जनों तरह के कीट मडराते रहते हैं. जिसमे बड़ी संख्या में मच्छर भी होते हैं. आबादी के पास भी मच्छरों का खासा प्रकोप रहता है. और अगर आपका तालाब धान के खेत या फिर आबादी के आसपास है तो मछलियों को मच्छरों समेत उनका लार्वा मिल जाता है. धान की वजह से दूसरे कीट भी बड़ी संख्या में तालाब तक आते हैं. इन्हें भी मछलियां अपनी खुराक बना लेती हैं.
ये भी पढ़ें- Egg Expiry Date: अब बिना तोड़े करें पता अंडा खराब है या सही? ऐसे चेक होगी एक्सपायरी डेट
अगर आपका मछली पालन का तालाब ग्रामीण इलाके में आबादी के आसपास है तो वहां भैंसे भी पाली जा रही होंगी. ऐसे में आप भैंस पालकों को बोलकर दिन में उनकी भैंस अपने तालाब में उतरवा सकते हैं. तालाब में रहने के दौरान भैंस गोबर करती हैं. यह गोबर भी मछलियों की खुराक होता है.
यूपी के मछली पालक एमडी खान का कहना है कि तालाब में पाली जाने वाली मछलियों को दाने के रूप में खासतौर पर चावल और सरसों की खल (मस्टर्ड केक) दिया जाता है. इसके अलावा बाजार में भी कई तरह के फीड आते हैं. ब्रीड के हिसाब से कुछ लोग पोल्ट्रीं फार्म की बीट भी मछलियों को खिलाते हैं. अगर मछली मांगुर या उस जैसी ब्रीड की और दूसरी मछली हैं तो स्लॉटर हाउस से निकले वेस्ट को मिलाकर बनाया गया फीड भी दिया जाता है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today