ग्रामीण क्षेत्रों में नीम के पेड़ खूब पाए जाते हैं. इन पेड़ों पर बहुत सारे फल लगते हैं और ये इस समय गर्मियों में पकने की अवस्था में हैं. मई के अंत और जून के पहले सप्ताह में बारिश से पहले निंबोली इकट्ठा करके घर पर उसका अर्क तैयार किया जा सकता है. ऐसे में किसान सही समय पर निंबोली से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. निंबोली अर्क कपास, सोयाबीन, अरहर, चना, अलसी, सब्जियों की फसलों, फलों की फसल के रस चूसने वाले कीड़ों, पतंगों, घुन, फल मक्खियों, मकड़ी पर छिड़काव करके इन कीटों के संक्रमण को कम करने में मदद करती है.
नीम से तैयार अर्क को कीट-रोधक, ओविनाशक, दुर्गन्धरोधी, कीट भक्षण निवारक, कीट वृद्धि अवरोधक और कीटनाशक के रूप में कार्य करता हुआ दिखाया गया है. निंबोली अर्क का शिकारी या परजीवी मित्र कीड़ों पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता है. इसलिए यह खेती के लिए अच्छा मानी जाती है.
नीम की निंबोली खाने में कड़वी होती हैं. लेकिन इनमें विटामिन सी, एंटीऑक्सिडेंट्स, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं. निंबोली खाने से शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है, ब्लड शुगर कंट्रोल में मदद मिलती है, पेट की समस्याएं दूर होती हैं और स्किन इंफेक्शन भी ठीक होते हैं.
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गर्मियों में निम्बोली को इकट्ठा करके, अच्छी तरह सुखाकर, साफ करके संग्रहित कर लेना चाहिए.
छिड़काव से एक दिन पहले भण्डारित निम्बोले को कूटकर पीस लेना चाहिए.
छिड़काव से पहले शाम को पांच किलो निम्बोली पाउडर को नौ लीटर पानी में रात भर भिगोना चाहिए.
इसके अलावा 200 ग्राम साबुन पाउडर को एक लीटर पानी में अलग से भिगो दें.
अगले दिन सुबह निंबोली के अर्क को 9 लीटर पानी में पतले कपड़े से छान लें.
इसके अलावा 200 ग्राम साबुन पाउडर को एक लीटर पानी में अलग से भिगो दें.
अगले दिन सुबह लेमनग्रास के अर्क को 9 लीटर पानी में पतले कपड़े से छान लें.
छने हुए अर्क में एक लीटर तैयार साबुन का घोल मिलाना चाहिए.
पानी मिलाकर इस मिश्रण को कुल 100 लीटर का बना लें. यानी यह 5 प्रतिशत अर्क छिड़काव के लिए तैयार है.
छिड़काव के लिए उसी दिन तैयार निम्बोली अर्क का उपयोग करना चाहिए.
बची हुई भूसी को मिट्टी में मिला दें और इसे खाद के रूप में प्रयोग करें.
एकीकृत कीट प्रबंधन प्रणाली में निंबोली अर्क को पादप कीटनाशक के रूप में उपयोग करने से रासायनिक कीटनाशकों के छिड़काव की लागत बच जाएगी और रासायनिक कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से भी बचा जा सकेगा और मित्र कीटों का संरक्षण होगा.साथ ही पर्यावरण संतुलित होगा गांव का हर किसान कम लागत पर निंबोली एकत्र कर अच्छी कमाई कर सकता हैं.
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