भारतीय सी-फूड पर टैरिफ लगने से अमेरिका में महंगा हुआ झींगा, इतने बड़े स्तर पर पड़ रहा असर

भारतीय सी-फूड पर टैरिफ लगने से अमेरिका में महंगा हुआ झींगा, इतने बड़े स्तर पर पड़ रहा असर

अमेरिकी टैरिफ के दुष्प्रभाव अब उसके घरेलू बाजार में भी दिखने लगा है. डोनाल्ड ट्रंप के हाई टैरिफ लागू होने के बाद अमेरिकी बाजार में झींगा की कीमतों में भारी उछाल आया है. सफेद झींगा की अमेरिका में थोक कीमतें सीधे 21 प्रतिशत कक बढ़ गई हैं.

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भारतीय सी-फूड पर टैरिफ लगने से अमेरिका में महंगा हुआ झींगा, इतने बड़े स्तर पर पड़ रहा असरटैरिफ से झींगा निर्यात को नुकसान

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ का अमेरिकी बाजार में झींगा की कीमतों पर असर पड़ना शुरू हो चुका है. बताया जा रहा है कि इसकी कीमतों में वहां 15-20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है. अमेरिकी झींगा बाजार में भारत की आपूर्ति का हिस्सा लगभग 45 प्रतिशत है, जिसका मूल्य सालाना लगभग 6 अरब डॉलर है. भारतीय झींगा उत्पादक भी इस बात पर अड़े हैं कि टैरिफ का बोझ अमेरिका में खरीदार को उठाना चाहिए. 

अमेरिका में थोक कीमतें 21 प्रतिशत बढ़ी

अंग्रेजी अखबार 'बिजनेसलाइन' की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रमुख समुद्री खाद्य निर्यातक किंग्स इन्फ्रा के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक शाजी बेबी जॉन ने बताया कि भारतीय झींगा पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगने के कारण लोकप्रिय सफेद झींगा की अमेरिका में थोक कीमतें बढ़कर 6.25 डॉलर प्रति पाउंड (554.90 रुपये प्रति 453 ग्राम) हो गई हैं - जो अप्रैल से 21 प्रतिशत की वृद्धि है. उन्होंने कहा कि इस वृद्धि ने रेस्तरां और उपभोक्ताओं को सीधे तौर पर प्रभावित किया है, जिससे रेड लॉबस्टर जैसी श्रृंखलाओं को अपने "अंतहीन झींगा" प्रचार को लागत प्रभावी संस्करण में पुनर्गठित करने के लिए मजबूर होना पड़ा है, जिसमें 15.99 डॉलर (करीब 1,419 रुपये) में तीन झींगा व्यंजन पेश किए जा रहे हैं. 

उन्होंने कहा कि इन समायोजनों के बावजूद, रेस्तरां में झींगा परोसने की मात्रा पिछले साल की तुलना में 7 प्रतिशत कम हो चुकी है, जो नई कीमतों की वास्तविकता को दर्शाता है. सीफूड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महासचिव के एन राघवन ने कहा कि अमेरिकी घरेलू बाजार में कीमतों में बढ़ोतरी से यह बात साफ झलकती है.

झींगे का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है भारत

राघवन ने कहा कि भारत अमेरिका को झींगे का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है. हम उत्पाद की गुणवत्ता में निरंतरता बनाए रखने के कारण इस मुकाम पर पहुंचे हैं. उच्च टैरिफ घरेलू उपभोक्ताओं के लिए झींगे को और महंगा बना देंगे, जिससे उन्हें ज़्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी. उन्होंने आगे कहा कि हम अमेरिकी बाज़ार में तीनों क्षेत्रों - रेस्टोरेंट चेन, सुपरमार्केट और स्ट्रीट सेल - को आपूर्ति कर रहे थे. झींगे के आयात पर हाई टैरिफ लगाए जाने के बाद, स्ट्रीट सेल, जो कि कीमतों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं, लगभग शून्य हो गई हैं. अन्य दो क्षेत्रों में अभी भी कम मात्रा में कुछ बिक्री हो रही है.

भारत के लिए वैश्विक महाशक्ति बनने का मौका

जहां अमेरिकी रेस्टोरेंट और उपभोक्ता बढ़ती लागत से जूझ रहे हैं, वहीं भारत एक अनोखे मोड़ पर खड़ा है. शाजी बेबी जॉन ने कहा कि वैश्विक समुद्री खाद्य आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान भारतीय कंपनियों के लिए न केवल निर्यात बढ़ाने, बल्कि झींगा उत्पादन और व्यापार में खुद को एक वैश्विक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने का एक रणनीतिक अवसर प्रस्तुत करता है. वैश्विक समुद्री खाद्य व्यापार का भविष्य मूल्यवर्धित उत्पादों में निहित है. अंतर्राष्ट्रीय खरीदार सुविधा, स्थायित्व और गुणवत्ता आश्वासन के लिए अधिक से अधिक मूल्य चुकाने को तैयार हो रहे हैं. 

भारतीय निर्यातक प्रसिद्ध वैश्विक ब्रांडों के तहत जमे हुए (फ्रोजन), पकाने के लिए तैयार (रेडी टू कुक) और स्थायी रूप से प्रमाणित झींगे की पेशकश करके इसका लाभ उठा सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह का दृष्टिकोण अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारत की उपस्थिति को बढ़ाता है और प्रमुख खुदरा विक्रेताओं और खाद्य सेवा श्रृंखलाओं के साथ दीर्घकालिक अनुबंधों को मजबूत करता है.

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