पंजाब में बाढ़ के बाद मिट्टी में जमी गाद की मोटी परत, गेहूं बुवाई पर छाया संकट

पंजाब में बाढ़ के बाद मिट्टी में जमी गाद की मोटी परत, गेहूं बुवाई पर छाया संकट

पंजाब में हाल ही में आई बाढ़ ने मिट्टी की संरचना में भारी बदलाव ला दिया है. लाल रेत और हिमालयी गाद की मोटी परत ने खेतों की उर्वरता को प्रभावित किया है, जिससे रबी की फसलों, खासकर गेहूं की बुवाई पर खतरा मंडरा रहा है. पीएयू की नवीनतम रिपोर्ट और विशेषज्ञ सलाह पढ़ें.

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पंजाब में बाढ़ के बाद मिट्टी में जमी गाद की मोटी परत, गेहूं बुवाई पर छाया संकटपंजाब में बाढ़ के बाद मिट्टी पर संकट

हाल ही में आई बाढ़ के कारण पंजाब के कई जिलों- अमृतसर, गुरदासपुर, फिरोजपुर, कपूरथला और पटियाला- की खेतों में मोटी परत में लाल रेत और सिल्ट जम गई है. यह रेत हिमालय की तलहटी से आई है और अब स्थानीय मिट्टी के साथ मिलकर एक ऐसी परत बना रही है जिससे न तो पानी जमीन में आसानी से सोख पा रहा है और न ही पौधों की जड़ें ठीक से फैल पा रही हैं.

रबी फसल पर पड़ सकता है असर

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) के वाइस-चांसलर सतबीर सिंह गोसल के अनुसार, यह नई परत खेत की उर्वरता को प्रभावित कर सकती है. खासतौर पर गेहूं की बुवाई, जो आने वाले 2-3 हफ्तों में शुरू होती है, उसमें देरी हो सकती है. लाल रेत में पोषक तत्व नहीं होते, जिससे फसल की पैदावार पर असर पड़ सकता है.

मिट्टी में पोषक तत्वों की स्थिति

अध्ययन में यह पाया गया कि अधिकांश सैंपलों में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा 0.75% से ज्यादा थी, लेकिन जिन खेतों में भारी रेत थी, वहां यह मात्रा कम पाई गई.

  • फास्फोरस और पोटाश की मात्रा अस्थिर रही.
  • सूक्ष्म पोषक तत्व (micronutrients) सामान्य से अधिक पाए गए.

PAU की सिफारिशें- उर्वरता सुधारने के उपाय

PAU ने किसानों को सलाह दी है कि वे खेत की मिट्टी को संतुलित और उपजाऊ बनाए रखने के लिए इन उपायों को अपनाएं:

  • फार्मयार्ड मैन्योर (गोबर खाद), पोल्ट्री मैन्योर या हरी खाद (green manure) का उपयोग करें.
  • बुवाई के 40-50 दिन बाद 2% यूरिया का स्प्रे करें.

भारी रेत हटाना बड़ी चुनौती

  • मिट्टी विज्ञान विभाग के प्रमुख राजीव सिख्का के अनुसार, करीब 5,000 एकड़ खेतों में 4-5 फीट तक रेत की परत जम गई है.
  • एक एकड़ से सिर्फ 1 फुट रेत हटाने के लिए 350 ट्रॉली मिट्टी की जरूरत होगी.

मिट्टी की सख्त परत से फसल को खतरा

  • PAU के रिसर्च डायरेक्टर अजमेर सिंह धत्त ने चेतावनी दी कि यदि मिट्टी की यह परत सख्त हो गई तो यह हार्डपैन बना सकती है, जिससे न तो पानी नीचे जाएगा और न ही फसलों की जड़ें फैलेंगी.
  • इससे बचने के लिए डीप टिलेज (गहरी जुताई) और सिल्ट व क्ले का अच्छे से मिश्रण जरूरी है.

पराली जलाने की बजाय उसे मिट्टी में मिलाएं

डॉ. मखन सिंह भुल्लर ने किसानों से अपील की है कि वे पराली न जलाएं, बल्कि उसे मिट्टी में मिला दें. इससे मिट्टी की बनावट सुधरेगी और पोषक तत्व भी मिलेंगे.

मिट्टी को बचाना है तो कदम उठाना जरूरी

बाढ़ के बाद की यह स्थिति पंजाब की खेती के लिए एक चेतावनी है. समय रहते मिट्टी की देखभाल और संतुलन जरूरी है ताकि आने वाली रबी फसल- खासकर गेहूं- की पैदावार प्रभावित न हो. किसानों को विशेषज्ञों की सलाह मानकर प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करना होगा.

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