UP के पूर्व मुख्‍य सचिव का दावा! फर्जी होती हैं क्राॅप सर्वे रिपोर्ट, पटवारी घर बैठे ही कर देते हैं तैयार

UP के पूर्व मुख्‍य सचिव का दावा! फर्जी होती हैं क्राॅप सर्वे रिपोर्ट, पटवारी घर बैठे ही कर देते हैं तैयार

देश के प्रत्‍येक गांव से तैयार होने वाली क्राॅप सर्वे रिपोर्ट अर्थव्‍यवस्‍था काे प्रमुख आधार माना जा सकता है. असल में इन्‍हीं क्राॅप सर्वे रिपोर्ट्स के आधार पर ही आरबीआई अपनी मौद्रिक नीति तक तय करता है.

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UP के पूर्व मुख्‍य सचिव का दावा! फर्जी होती हैं क्राॅप सर्वे रिपोर्ट, पटवारी घर बैठे ही कर देते हैं तैयारपूर्व मुख्‍य सचिव दीपक सिंघल ने कहा कि वह 10 साल तक कई जिलों में जिलाधिकारी के तौर पर पोस्‍टेड रहे, वह अपने अनुभवों के आधार पर ये कह सकते हैं कि पटवारी फसलों का सर्वे करने के लिए खेतों में नहीं जाते हैं

क्रॉप सर्वे रिपोर्ट फर्जी होती हैं. यूपी के पूर्व मुख्‍य सचिव (रिटायर्ड IAS) दीपक सिंघल ने ये दावा बुधवार को नई दिल्‍ली में आयोजित एक कार्यक्रम में किया. लीला पैलेस चाणाक्‍यापुरी में इंटरनेशनल इनोवेशन कॉन्‍क्‍लेव 1.0 को संबोधित करते हुए यूपी के पूर्व मुख्‍य सचिव दीपक सिंघल ने कहा कि कितने क्षेत्रफल में गेहूं, धान समेत अन्‍य फसलों की बुवाई इस साल हुई  है, इसकी रिपोर्ट पटवारी घर पर बैठकर ही तैयार कर लेते हैं, पटवारी पिछले सालों के अनुभवों के आधार पर ऐसी रिपोर्ट तैयार करते हैं, वह खेतों में जाते ही नहीं हैं.

उन्‍होंने कहा कि वह 10 साल तक कई जिलों में जिलाधिकारी रहे हैं और अपने इन अनुभवों के आधार पर वह ये दावे के साथ कह सकते हैं कि क्रॉप सर्वे रिपोर्ट फर्जी होती हैं. उन्‍होंने नाॅबार्ड के पूर्व चैयरमैन जीआर चिंताला की तरफ से ड्रोन के माध्‍यम से क्राॅप सर्वे कराए जाने की मांग को आगे बढ़ाते हुए ये बातें कहीं. 

दीपक सिंघल 1982 बैच के IAS ऑफिसर हैं. वह कुछ महीनों के लिए यूपी के मुख्‍य सचिव रहे हैं. इससे पहले सिंचाई समेत कई विभागों के मुख्‍य सचिव समेत केंद्र में कई महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारी वह संंभाल चुके हैं. उन्‍हें तेज तर्रार प्रशासनिक अधिकारी माना जाता था.

जिले से शासन को भेजी जाती हैं क्रॉप सर्वे रिपोर्ट्स

रबी से लेकर खरीफ सीजन में किसान, जिस भी फसल की खेती करते हैं, उसकी बुवाई का स्‍टे्टस यानी बुवाई से जुड़ी सभी जानकारी ग्राम स्‍तर पर तैयार की जाती है, सभी ग्रांवों से आंकड़े एकत्रित कर जिला स्‍तर पर एक रिपोर्ट बनाई जाती है. फिर सभी जिलों से ये रिपोर्ट शासन काे भेजी जाती हैं तो वहीं सभी राज्‍यों के शासन से केंद्रीय कृषि मंत्रालय के साथ ही अहम मंत्रालयों में ये क्रॉप सर्वे रिपोर्ट भेजी जाती हैं. इसी क्राॅप सर्वे रिपोर्ट से ही केंद्रीय कृषि व किसान कल्‍याण मंत्रालय खाद्यान्‍न उत्‍पादन की अनुमानित रिपोर्ट तैयार करता है. 

अर्थव्‍यवस्‍था का प्रमुख आधार क्राॅप सर्वे रिपोर्ट

देश के प्रत्‍येक गांव से तैयार होने वाली क्राॅप सर्वे रिपोर्ट अर्थव्‍यवस्‍था काे प्रमुख आधार माना जा सकता है. असल में इन्‍हीं क्राॅप सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही आरबीआई अपनी मौद्रिक नीति तक तय करता है. वहीं केंद्र से लेकर राज्‍य सरकारों तक की नीतियां निर्धारित करने में क्रॉप सर्वे रिपोर्ट की अहम भूमिका होती हैं. मसलन, फसल उत्‍पादन के आधार पर ही देश में महंगाई का गुण गणित लगाया जाता है. तो वहीं किसानों की फसलों का दाम तय करने में भी क्रॉप सर्वे रिपोर्ट की भूमिका होती है. क्‍योंकि फसल के अनुमानित उत्‍पादन से ही दाम तय होते हैं. ऐसे में क्रॉप सर्वे रिपोर्ट की सटीकता पर दाग लगाना गहरी चिंंता की तरफ इशारा करता है.

प्रत्‍येक PACS को दिए जाएं 2 ड्रोन

असल में क्राॅप सर्वे रिपोर्ट पर सवाल नॉबार्ड के पूर्व चैयरमैन जीआर चिंताला की तरफ से क्रॉप सर्वे के लिए ड्राेन का इस्‍तेमाल करने की वकालत के बाद उठा. इंटरनेशनल इनोवेशन कॉन्‍क्‍लेव 1.0 में जीआर चिंंताला ने गांवों में किसानों को क्रेडिट सुविधा का जिक्र करते हुए प्राईमरी एग्रीकल्‍चर क्रेडिट सोसायटी (PACS) की भूमिका की तारीफ की.

उन्‍होंने कहा कि देश के 6 लाख से अधिक गांवाें में एक लाख से अधिक PACS हैं. इस तरह से 6 गांवों के लिए एक PACS काम कर रहा है. उन्‍हाेंने कहा कि अगर एक PACS को दो ड्रोन उपलब्‍ध करा दिए जाएं तो खेती किसानी में व्‍यापक बदलाव आएगा. उन्‍होंने क्रॉप सर्वे के लिए ड्रोन इस्‍तेमाल करने की वकालत की. इसे आगे बढ़ाते हुए यूपी के पूर्व मुख्‍य सचिव दीपक सिंघल ने कहा कि वह काेऑपरेटिव सचिव से इस संबंध में जल्‍द ही बातचीत करेंगे.

 

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