जिस बात की आशंका थी, वह बात लगभग सही साबित होने जा रही है. यह आशंका अल-नीनो को लेकर है. आसान भाषा में कहें तो भारत में घोर मॉनसून सीजन में सूखे की स्थिति बन सकती है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग यानी कि IMD अभी तक कुछ भी खुल कर बोलने से बचता रहा है. लेकिन उसकी एक हालिया एडवाइजरी बहुत कुछ कह देती है. यह एडवाइजरी केंद्र सरकार की ओर से अलग-अलग राज्यों को जारी की गई है. एडवाइजरी कहती है कि राज्य सरकारें किसी भी 'प्रतिकूल परिस्थिति' (वर्स्ट सिचुएशन) से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहें. यहां तक कि खरीफ सीजन के बीजों को भी संभाल कर सहेजने की हिदायत दी गई है. सूखे की स्थिति में बीजों का अकाल न पड़ जाए, इसलिए उन्हें संभालने की जरूरत पर बल दिया गया है.
आपको याद हो तो कुछ दिन पहले दुनिया की कई मौसम एजेंसियों ने भारत में अल-नीनो का अंदेशा जताया था. हालांकि इसकी कोई ठोस मियाद नहीं बताई गई. मगर मई के दरमियान इसके अमल में आने की आशंका जताई गई है. अब दुनिया की तमाम एजेंसियों की रिपोर्ट पर IMD ने भी ठप्पा लगा दिया है. रिपोर्ट को संज्ञान में लेते हुए राज्यों को अलर्ट मोड में रहने की सलाह दी गई है.
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कुछ दिन पहले मौसम विभाग की ओर से जारी पूर्वानुमान में कहा गया कि इस साल मॉनसून सामान्य रहेगा और मॉनसून सीजन में अल-नीनो का असर देखा जा सकता है. इस पूरे मसले पर केंद्रीय कृषि सचिव मनोज आहूजा कहते हैं, हमें खराब से खराब स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए. इस बार कम बारिश की आशंका है, साथ ही अल-नीनो के हालात भी बन सकते हैं. ऐसे में राज्य स्तर पर पूरी तैयारियां मुकम्मल रहनी चाहिए.
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IMD ने कहा है कि इस साल 96 परसेंट बारिश पूर्वानुमान के साथ मॉनसून सामान्य रहेगा. दूसरी ओर प्राइवेट मौसम एजेंसी स्काईमेट ने कहा है कि इस साल 94 फीसद बारिश के साथ मॉनसून सामान्य से कमतर रहेगा. ऐसे में मॉनसून को लेकर दुविधा की स्थिति बनती दिख रही है. इससे पार पाने के लिए सरकार ने राज्यों को किसी भी बुरी स्थिति के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है. इसमें खरीफ सीजन के बीजों को संभाल कर रखने की सलाह दी गई है.
बीजों को इमरजेंसी में स्टॉक करने की बात इसलिए की गई है क्योंकि सूखे पड़ने पर बीजों की सबसे बड़ी कमी होती है. सूखे की स्थिति में किसान किसी भी फसल की दोबारा बुआई या रोपाई करने की सोचते हैं. लेकिन यह काम दोबारा तभी होगा जब बीजों की उपलब्धता होगी. यानी मानकर चलें कि सामान्य मॉनसून में जहां खेती का काम एक बार के बीज से चल जाता है, सूखे में यह खर्च दोगुना बढ़ जाता है. इसे देखते हुए सरकार ने राज्यों को एडवाइजरी जारी करते हुए बीजों के भंडारण की सलाह दी है. राज्यों से कहा गया है कि वे बीजों की उपलब्धता की रिपोर्ट बराबर लेते रहें और हालात की नजाकत समझते रहें.
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