बंगाल की खाड़ी के ऊपर तेजी से मौसम का मिजाज बदल रहा है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने पूर्वानुमान में कहा है कि मौसम के बदलते हालात से बंगाल की खाड़ी में ग्रीष्मकालीन चक्रवात बन सकता है. इसकी तारीख नौ मई बताई गई है. यानी बंगाल की खाड़ी में नौ मई के आसपास चक्रवात के हालात बन सकते हैं. हालांकि अभी तक इस चक्रवाती तूफान के रास्ते और उसकी तीव्रता के बारे में कोई पुष्ट जानकारी नहीं दी गई है. इस बारे में आईएमडी ने बुधवार को जानकारी दी.
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि मौसम विभाग की मॉडलिंग इस बात की ओर इशारा करती है नौ मई को बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती तूफान के हालात बन सकते हैं. लेकिन तूफान की दिशा और तीव्रता की जानकारी कम दबाव के क्षेत्र बनने के बाद ही पता चलेगा. सात मई को कम दबाब का क्षेत्र बन सकता है जिसके बाद तूफान की दिशा और तीव्रता के बारे में जानकारी मिल सकती है.
हालांकि अभी तक इस संभावित चक्रवाती तूफान का असर तटीय इलाकों या जमीनी क्षेत्रों में क्या होगा, इसके बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आई है. लेकिन खतरे को देखते हुए मछुआरों को सलाह दी गई है कि वे सात मई के बाद समुद्र में न जाएं. इससे जोखिम बढ़ सकता है.
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संभावित चक्रवाती तूफान के खतरे को देखते हुए ओडिशा सरकार ने राहत और बचाव की तैयारी शुरू कर दी है. इसी के साथ प्रदेश के 18 तटीय जिलों के कलेक्टरों को अलर्ट पर रखा गया है. इसके अलावा 11 विभागों को अलर्ट मोड में रखा गया है. इसके बारे में विशेष आपदा आयुक्त सत्यव्रत साहू ने मंगलवार को जानकारी दी.
मौसम विभाग के महानिदेशक महापात्र ने कहा कि छह मई के आसपास बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्व में एक चक्रवाती सर्कुलेशन बन रहा है और इसके प्रभाव में सात मई के आसपास उसी क्षेत्र में एक कम दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना है. 8 मई को इसमें और भी अधिक तीव्रता देखी जा सकती है. उन्होंने कहा, “नौ मई के आसपास मध्य बंगाल की खाड़ी की ओर बढ़ने के दौरान चक्रवाती तूफान में हवाओं की गति तेज होने की अधिक संभावना है. सिस्टम पर लगातार नजर रखी जा रही है और नियमित रूप से निगरानी की जा रही है.”
ओडिशा तट पर संभावित प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर महापात्र ने कहा कि इसके लिए या पूर्वी तट पर किसी अन्य स्थान के लिए कोई अलर्ट जारी नहीं किया गया है. यह जानकारी इसलिए दी जा रही है ताकि मछुआरे, तेल खनन और कॉमर्शियल ऑपरेशन में लगे लोगों को समय रहते सावधान किया जा सके. हालांकि इससे किसी को पैनिक में जाने की जरूरत नहीं है.
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हालांकि सभी चक्रवात संभावित जिलों को तैयार रखा गया है. एनडीआरएफ, ओडीआरएएफ और अन्य के साथ जिले और संबंधित विभाग किसी भी संभावित घटना के लिए तैयार हैं. महापात्र ने कहा कि अप्रैल, मई और जून को ग्रीष्मकालीन चक्रवात का महीना माना जाता है, जबकि सितंबर, अक्टूबर और नवंबर मॉनसून चक्रवात महीने हैं. मई के महीने में क्रमशः 2019, 2020 और 2021 में पूर्वी तट पर तीन प्रमुख ग्रीष्मकालीन चक्रवात - फानी, अम्फान और यास देखे गए हैं.(PTI)
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